यहां जिस फिल्म की बात हो रही है, वो है सिल्वेस्टर स्टलोन की 1988 में आई 'रैंबो-3'. ये एक एक्शन फिल्म थी. इसमें फिल्म का नायक जॉन रैंबो अफगानिस्तान-सोवियत वॉर के बीच अपने दोस्त और कमांडर कर्नल सैम ट्रॉटमैन को बचाने के लिए अफगानिस्तान जाता है. तब अमेरिका और सोवियत यूनियन के बीच कोल्ड वॉर चल रहा था. ऐसे में अमेरिका ने अपने दुश्मन सोवियत यूनियन के खिलाफ लड़ रहे अफगान मुजाहिदीनों को हीरो कंसीडर किया. इसीलिए जब ये फिल्म खत्म होती है, तब स्क्रीन पर लिखा आता है-
''This film is dedicated to the brave mujahideen fighters of Afghanistan.''

'रैंबो 3' फिल्म के एंड का स्क्रीनग्रैब. इस मामले में कई बार ये भी कहा जाता है कि 'रैंबो 3' हमेशा ही अफगानिस्तान के बहादुर लोगों को डेडिकेट की गई थी. मुजाहिद्दीन फाइटर्स को नहीं.
मगर 9/11 को वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हुए अटैक के बाद अमेरिका का नज़रिया अफगानिस्तान और मुजाहिदीनों के प्रति बदल गया. क्योंकि अफगानिस्तान अमेरिका पर हमला करने वाले आतंकी संगठन अल-कायदा का गढ़ हुआ करता था. अमेरिका ने वॉर ऑन टेरर के नाम पर अफगानिस्तान पर हमला बोल दिया, जहां तालिबान का राज हुआ करता था. अमेरिका ने तालिबान से कहा ओसामा बिन लादेन हमें दे दो. मगर तालिबान ने प्रत्यर्पण से मना कर दिया. वो इस बात का पुख्ता सबूत चाहते थे जिससे साबित हो कि वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हुए हमले में लादेन का हाथ था. इसके बाद अमेरिका ने तालिबान को सत्ता से बाहर कर, वहां के कई शहरों में अपना मिलिट्री बेस बना लिया.
इसके बाद 'रैंबो 3' के आखिर में लगे टेक्स्ट को भी बदल दिया गया. पहले जहां मुजाहिदीन फाइटर्स को ये फिल्म समर्पित की गई थी. अब उसकी जगह अफगानिस्तान के बहादुर लोगों को डेडिकेट कर दी गई. अब जब आप 'रैंबो-3' देखेंगे, तब आपको आखिर में-
''This film is dedicated to gallant people of Afghanistan.''लिखा मिलेगा.
जब से अफगानिस्तान में तख्तापलट की खबरें आई हैं, सोशल मीडिया पर कुछ लोगों ने ये स्क्रीनशॉट्स घुमाने शुरू कर दिए हैं. इसलिए हमने आपको इसके पीछे की कहानी बता दी.