उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने नवंबर 2024 में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये एक बैठक की. इस बैठक का उद्देश्य था 'प्रशासनिक प्रोटोकॉल' को समझाना. जिसके मुताबिक, चुने हुए प्रतिनिधियों की जगह अधिकारियों से ऊपर है. और इस प्रोटोकॉल का पालन करने के लिए एक बहुत ही आम सी चीज़, पर दिखने में खास लगने वाले 'तौलिए' का भी एक रोल है. इस मीटिंग में मुख्य सचिव यही बात समझा रहे थे कि राज्य भर में होने वाली मीटिंग्स में सांसदों और विधायकों को 'तौलिए वाली कुर्सी' दी जाए. वो भी उनके कद-काठी के अनुसार होनी चाहिए.
'बाबू' की कुर्सी पर सफ़ेद तौलिया लगा तो हल्ला कट गया, नेता बोले - "हमको भी चाहिए"
राजनीति में अभी तक कुर्सी के लिए लड़ाई होती थी, पर अब कुर्सी पर लगे तौलिए भी राजनीतिक मुद्दा बन गए हैं.
ये इमरजेंसी मीटिंग उन शिकायतों का नतीजा थी जिनमें कहा गया था कि अधिकारी राज्य में चुने हुए जनप्रतिनिधियों का सम्मान नहीं कर रहे हैं. यूपी विधानसभा के स्पीकर सतीश महाना के साथ हुई इस बैठक में कुछ विधायकों ने इस मुद्दे को उठाया कि अधिकारी आजकल तौलिए लगी कुर्सी पर बैठते हैं जबकि चुने हुए प्रतिनिधि साधारण सी कुर्सी पर.
हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक मुज़फ्फरनगर के Charthawal से विधायक पंकज मलिक ने इस मीटिंग में कहा,
तौलिया-पावर सिंबल"जन-प्रतिनिधियों को साधारण कुर्सी दी गई, जबकि अधिकारियों की कुर्सी पर तौलिया लगा हुआ था. अगर अधिकारी चुने हुए जन-प्रतिनिधियों का सम्मान नहीं कर सकते तो वो जनता से कैसे पेश आएंगे. यहां तक कि अफसर लोग सोफे पर भी बैठते हैं, जबकि जन-प्रतिनिधियों को साधारण सी कुर्सी दी जाती है. ये आपत्तिजनक है."
सबसे बड़ा राज्य होने की वजह से उत्तर प्रदेश को देश का पावर सेंटर भी कह दिया जाता है. पर इस पावर सेंटर में भी अगर आपके पास वाकई में 'पावर' है तो उसका एक सिंबल है. नहीं, हम गाड़ियों पर लगी किसी तरह की बत्ती की बात नहीं कर रहे. हम बात कर रहे हैं अधिकारियों और 'बड़े लोगों' की कुर्सियों पर रखे एक सफ़ेद और एकदम बेदाग एक 'तौलिए' की. वही तौलिया जिससे आम लोग नहाने के बाद शरीर पोछने के लिए इस्तेमाल करते हैं. पर अगर वही तौलिया आपकी कुर्सी पर लग जाए तो आप यूपी में 'बड़े आदमी' कहलाने के किए एक मानक तो पूरा कर ही लेंगे.
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लखनऊ स्थित उत्तर प्रदेश सचिवालय को देखें तो यहां हर हफ्ते 2 बार लगभग एक हज़ार तौलिए बदले जाते हैं. इनमें से अधिकतर तौलिए सफ़ेद ही होते हैं, सिवाए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कुर्सी के. उनकी कुर्सी पर भगवा रंग का तौलिया लगा दिखता है. ये फुल लेंथ के तौलिए होते हैं जिनका साइज 180X90 सेंटीमीटर होता है. इनकी खरीद के लिए राज्यवार कोई एक सिस्टम नहीं है. सचिवालय, विभाग और जिला प्रशासन इन्हें कुछ अधिकृत एजेंसियों से ही खरीदते है.
तौलिया बड़ा ज़रूरीउत्तर प्रदेश में कुर्सी पर तौलिया लगाने की प्रथा सिर्फ सचिवालय और नेताओं तक ही सीमित नहीं है. पुलिस विभाग भी इस प्रथा से अछूता नहीं है. उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी रहे ओम प्रकाश सिंह के मुताबिक
“ये कुर्सी पर तौलिया लगाने की प्रथा पुलिस विभाग में भी फॉलो की जाती है. पुलिस में स्टेशन हाउस ऑफिसर (SHO) से लेकर डीजीपी तक की कुर्सी सफ़ेद तौलिए से सुसज्जित रहती है.”
हालिया मीटिंग को लेकर अधिकारी बताते हैं कि जबसे मुख्य सचिव ने मीटिंग ली है, तबसे इस तरह की और कोई घटना सामने नहीं आई है. अगर इस प्रोटोकॉल का उल्लंघन होता है तो कार्रवाई की जाएगी.
हालांकि, अब भी कुछ जन-प्रतिनिधि उनकी कुर्सियों पर तौलिया न लगने से नाराज़ हैं समाजवादी पार्टी से एमएलसी और पार्टी प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी के मुताबिक,
"सरकारी मीटिंग के आदेश के बाद भी कोई बदलाव नहीं आया है. ऐसा इसलिए हो रहा है कि भारतीय जनता पार्टी लोकतान्त्रिक मूल्यों को नहीं मानती. इसी वजह से जन-प्रतिनिधियों को अपेक्षित सम्मान नहीं दिया जा रहा."
अब इस कुर्सी और तौलिए की लड़ाई में आगे क्या होगा, ये देखना काफी दिलचस्प रहेगा. क्योंकि राजनीति में अभी तक कुर्सी के लिए लड़ाई होती थी, पर अब कुर्सी पर लगे तौलिए भी राजनीतिक मुद्दा बन गए हैं.
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