दिल्ली पेड़ कटाई मामले में सुप्रीम कोर्ट की बेंच के नोटिस जारी करने के बाद एक दूसरी बेंच ने भी मामले पर सुनवाई कर दी (Tree Cutting Delhi Supreme Court). जस्टिस बीआर गवई की अगुवाई वाली पहली बेंच ने इसे लेकर आपत्ति जाहिर की है. 24 जुलाई को बेंच ने कहा कि दूसरी बेंच ने पेड़ काटने के मामले में DDA के खिलाफ अवमानना याचिका पर कार्रवाई करके न्यायिक औचित्य का पालन नहीं किया.
सुप्रीम कोर्ट की दो बेंच ने कर ली एक ही केस की सुनवाई, मामला CJI चंद्रचूड़ तक जा पहुंचा
CJI DY Chandrachud को मामले पर निर्देश जारी करने का अनुरोध करते हुए Supreme Court के जस्टिस B R Gavai ने DDA Tree Felling Case में स्थिति साफ करें कि किस बेंच को सुनवाई करनी चाहिए. ताकि आगे चलकर विरोधाभाषी फैसलों से बचा जा सके.
दरअसल, पहले 24 अप्रैल को जस्टिस गवई और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने दक्षिण पश्चिम दिल्ली के रिज क्षेत्र में पेड़ों की कटाई पर DDA उपाध्यक्ष सुभाशीष पांडा को नोटिस जारी किया था. इसके बाद मई में जस्टिस ओका और जस्टिस उज्जल भुइयां की बेंच ने भी इस मामले में अवमानना का आरोप लगाने वाली याचिका पर पांडा को नोटिस जारी कर दिया.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, 24 जुलाई को सुनवाई के दौरान जस्टिस गवई ने पूछा कि दूसरी पीठ अवमानना याचिका पर कैसे सुनवाई कर सकती थी जब उसने पहले ही इस मामले में नोटिस जारी कर दिया था. जस्टिस बीआर गवई ने कहा,
अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ASG ने दूसरी पीठ को सूचित किया था कि ये अदालत पहले ही इस मामले को देख चुकी है और अदालत ने अवमानना के लिए नोटिस जारी कर दिया है. हालांकि दूसरी पीठ ने न्यायिक औचित्य का पालन नहीं किया. जब पेड़ों की कटाई के लिए इस अदालत ने नोटिस जारी कर दिया था तो क्या दूसरी पीठ इसके लिए आगे बढ़ सकती थी?
जस्टिस गवई ने कहा,
दूसरी पीठ के लिए ये ज्यादा उपयुक्त होता कि वो अवमानना कार्यवाही शुरू करने से पहले भारत के मुख्य न्यायाधीश से स्पष्टीकरण मांगती कि किस पीठ को समान कार्यवाही जारी रखनी चाहिए ? हम इस अवमानना कार्यवाही को आगे ना बढ़ाने का प्रस्ताव रखते हैं क्योंकि अन्य पीठ के सामने कार्यवाही पहले ही आगे बढ़ चुकी है.
जस्टिस गवई, जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा और केवी विश्वनाथन की बेंच ने मामले को भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ के पास भेज दिया है. उनसे तय करने के लिए कहा गया है कि किस बेंच को मामले की सुनवाई जारी रखनी चाहिए जिससे आगे विरोधाभासी आदेशों से बचा जा सके.
दूसरी तरफ, सुभाशीष पांडा की ओर से पेश वरिष्ठ वकील विकास सिंह ने कहा कि उन्होंने दूसरी पीठ से संपर्क किया था क्योंकि मामला पहले से ही उसके सामने लंबित था.
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