दिल्ली, नोएडा और गुरुग्राम समेत राजधानी से सटे कुछ इलाकों में हल्की बारिश (Delhi NCR Rain) हुई है. 9 और 10 नवंबर की दरमियानी रात और 10 नवंबर की सुबह हुई बरसात से Delhi-NCR में फैली जहरीली हवा से राहत मिली है. दिल्ली में ऐसे समय में बारिश हुई है जब दिल्ली सरकार 20-21 नवंबर को प्रदूषण से निपटने के लिए आर्टिफिशियल बारिश कराने पर विचार कर रही है.
दिल्ली-NCR में अचानक से गायब हो गया एयर पॉल्यूशन, बारिश ने सांस लेने लायक बनाई हवा
Delhi NCR Rain: बारिश के पहले दिल्ली के कई इलाकों में AQI 400 के ऊपर पहुंच गया था. अब बारिश के बाद AQI में काफी गिरावट हुई है. दिल्ली में कई जगहों पर AQI 100 के नीचे आ गया है.

क्षेत्रीय मौसम पूर्वानुमान केंद्र (RWFC) के अनुसार, दिल्ली और NCR के कई स्थानों, सोहना, रेवाडी, होडल (हरियाणा), बिजनौर, सकौती टांडा, हस्तिनापुर, चांदपुर, दौराला, मेरठ, मोदीनगर, किठौर, अमरोहा, के आसपास के इलाकों में रुक-रुक कर हल्की बारिश या बूंदाबांदी होगी.
इस बरसात से पहले दिल्ली-NCR में वायु गुणवत्ता गंभीर श्रेणी में थी. अब कई स्थानों पर AQI 100 से नीचे चली गई है.
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दिल्ली के सत्यवती कॉलेज, पंजाबी बाग, शहीद सुखदेव कॉलेज, नई दिल्ली स्थित अमेरिकी दूतावास और मुंडका जैसे इलाकों के एयर मॉनिटरिंग स्टेशंस का AQI 100 के नीचे आ गया है. वहीं ITI जहांगीर, पूसा, मंदिर मार्ग, मेजर ध्यान चंद नेशनल स्टेडियम, लोनी गाजीयाबाद और RK Puram स्थित एयर मॉनिटरिंग स्टेशंस का AQI 100 से 150 के बीच आ गया है. वजीरपुर, सोनिया विहार वाटर ट्रिटमेंट प्लांट DJB, ITI शाहदरा, पटपड़गंज, जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम और आनंद विहार के एयर मॉनिटरिंग स्टेशंस में 150 से 180 के बीच AQI दर्ज किया गया है.
इससे पहले, 9 नवंबर को दिल्ली का औसत AQI 437 और 8 नवंबर को 426 था. 400 के ऊपर AQI को गंभीर माना जाता है. 51 से 100 के बीच AQI को 'संतोषजनक' माना जाता है. 101 से 200 के बीच के AQI को 'मध्यम' और 201 से 300 के AQI को 'खराब' माना जाता है. इसके उपर 400 तक का AQI 'बहुत खराब' होता है.
ठंड के मौसम में बारिश कैसे हुई?
इंडिया टुडे से जुड़े कुमार कुणाल की रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली समेत उत्तर पश्चिम भारत में ठंड के मौसम में आमतौर पर वेस्टर्न डिस्टरबेंस यानी पश्चिमी विक्षोभ की वजह से बारिश होती है. भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के अनुसार, पश्चिमी विक्षोभ ऐसे तूफान हैं जो कैस्पियन या भूमध्य सागर में उत्पन्न होते हैं. इससे उत्तर-पश्चिम भारत में मानसून के अलावे दूसरे समय में बारिश होती है.
पश्चिमी विक्षोभ यूक्रेन और उसके आसपास के इलाकों से हवा आद्रता लेकर के आती है और हिमालय के ऊंचे इलाकों में बर्फबारी करवाती है जबकि मैदानी इलाकों में हवाओं के साथ बारिश होती है. रिपोर्ट के अनुसार, भारत के मैदानी इलाकों में सर्दियों की शुरुआत आमतौर पर ऐसी ही बारिश से होती है और उत्तर भारत में तो शीत लहर के लिए भी वेस्टर्न डिस्टरबेंस के जरिए की गई बारिश बड़ी वजह मानी जाती है.
9-10 नवंबर की बारिश लगभग एक महीने के बाद पहला वेस्टर्न डिस्टरबेंस है. मौजूदा पश्चिमी विक्षोभ से 10 नवंबर को बारिश होगी. इसकी वजह से हवाओं की रफ्तार अगले दो दिनों तक अच्छी रह सकती है.
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