दिल्ली सरकार (Delhi Government) के पर्यावरण और वन मंत्री गोपाल राय (Gopal Rai) की न्यूयॉर्क यात्रा का मामला हाई कोर्ट पहुंचा था. राय को न्यूयॉर्क के कोलंबिया में 18 सितंबर को इंडिया एनर्जी डायलॉग के एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने जाना था. लेकिन केंद्र सरकार की तरफ से उन्हें पॉलिटिकल क्लीयरेंस नहीं मिला था. 15 सितंबर को केंद्र सरकार ने कोर्ट को बताया कि राय को क्लीयरेंस दे दिया गया है. वो अब कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए जा सकते हैं.
मंत्री गोपाल राय को न्यूयॉर्क जाना था, केंद्र ने पहले अनुमति रोकी फिर दे दी, पर नियम क्या हैं?
12 सितंबर को विदेश मंत्रालय ने गोपाल राय की एप्लीकेशन रद्द कर दी थी. मंत्रालय ने राय को पॉलिटिकल क्लीयरेंस देने से मना कर दिया था मगर फिर कोर्ट पहुंचा मामला और...

मंत्री गोपाल राय से जुड़ा पूरा विवाद क्या था और इस तरह के दौरों के लिए कौन से नियम बनाए गए हैं? आगे जानते हैं.
एनर्जी डायलॉग का निमंत्रणदरअसल, 13 अगस्त को कोलंबिया इंडिया एनर्जी डायलॉग में भाग लेने और बोलने के लिए मंत्री गोपाल राय को निमंत्रण मिला था. जिसके बाद 5 सितंबर के दिन गोपाल राय ने न्यूयॉर्क यात्रा के लिए पॉलिटिकल क्लीयरेंस की एक एप्लीकेशन दाखिल की थी. ये एप्लीकेशन विदेश मंत्रालय को दी गई थी.
12 सितंबर को विदेश मंत्रालय ने राय की एप्लीकेशन रद्द कर दी. मंत्रालय ने राय को पॉलिटिकल क्लीयरेंस देने से मना कर दिया. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक मंत्रालय ने राय को बताया कि एनर्जी डायलॉग में दिल्ली सरकार के मंत्री का जाना उचित नहीं होगा. मंत्रालय ने कहा कि डायलॉग में नीति आयोग के उपाध्यक्ष सुमन कुमार बेरी भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं.
LG ने जाने की अनुमति दी थीगोपाल राय की तरफ से दायर की गई याचिका में कहा गया कि तेलंगाना सरकार के स्पेशल चीफ सेक्रेटरी भी इस डायलॉग में भाग लेने वाले हैं. इसलिए इसे सिर्फ देश स्तर पर देखना ठीक नहीं होगा. राय की तरफ से कहा गया कि विदेश मंत्रालय द्वारा दिए गए कारण, सत्ता का गलत उपयोग है और कानून की नजर में ठीक भी नहीं है. उन्होंने कहा कि डायलॉग सिर्फ ब्यूरोक्रेसी तक सीमित नहीं रह सकता, वो भी तब जब दिल्ली LG की तरफ से उन्हें क्लीयरेंस मिल चुका है.
राज्य के मंत्रियों के लिए विदेश यात्रा के नियमजब आप विदेश जाते हैं तो पासपोर्ट, वीज़ा सहित कई कायदे-कानूनों का पालन करना होता है. यात्रा से पहले सरकारी दफ्तर के चक्कर लगाने पड़ते हैं. भारत सरकार और राज्य सरकारों के मंत्रियों को भी ऐसा ही करना होता है. या कह लें कि कई तरह के और भी पेपर वर्क करने होते हैं. विदेश मंत्रालय के एक डॉक्यूमेंट के मुताबिक राज्य के सीएम और मंत्रियों को विदेश यात्रा से पहले उसके बारे में पूरी जानकारी PMO को बतानी होती है. ये यात्रा किसी ऑफिशियल काम से हो सकती है या निजी यात्रा भी. दोनों की जानकारी सरकार से साझा करनी होती है.
PMO को जानकारी देने से पहले मंत्री को पॉलिटिकल क्लीयरेंस और FCRA क्लीयरेंस लेना होता है. राय का मामला पॉलिटिकल क्लीयरेंस में ही अटका था. इसके लिए यात्री को विदेश मंत्रालय और कैबिनेट सेक्रेटेरिएट को अपनी यात्रा के बारे में बताना होता है. क्लीयरेंस मिलने के बाद यात्रा के दौरान भी यात्री को विदेश मंत्रालय को अपडेट करते रहना होता है.
FCRA क्लीयरेंस गृह मंत्रालय की तरफ से दिया जाता है. इसके मुताबिक विदेशी अंशदान लेने वाले सभी NGO को SBI की नई दिल्ली मेन ब्रांच में FCRA खाता खोलना होता है. यहीं पर वो सारा विदेशी अंशदान ले सकते हैं. FCRA के नियमों के मुताबिक स्पष्ट किया गया है कि किसी भी विदेशी शख्स या स्त्रोत से, या फिर भारतीय रुपये में मिले विदेशी दान को भी विदेशी अंशदान माना जाएगा.
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