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दिल्ली में पानी के लिए त्राहिमाम क्यों? जल संकट की पूरी इनसाइड स्टोरी

Delhi में जलसंकट लगातार गहराता जा रहा है. दिल्ली में रोजाना लगभग 3.7-3.8 अरब लीटर पानी का उत्पादन होता है, लेकिन पानी की कमी से ये उत्पादन पिछले एक सप्ताह में कम हुआ है. दिल्ली अपनी पेयजल मांग के 90 प्रतिशत पानी के लिए पड़ोसी राज्यों हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश पर निर्भर है.

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दिल्ली जल बोर्ड के ऑफिस के बाहर बीजेपी ने प्रोटेस्ट किया. क्रेडिट- इंडिया टुडे

दिल्ली में पानी की कमी से बवाल मचा हुआ है. आज, 16 जून को छतरपुर में दिल्ली जल बोर्ड (DJB) के ऑफिस पर कुछ प्रदर्शनकारियों ने हमला बोल दिया. ऑफिस पर पथराव किया शीशे तोड़ डाले. दिल्ली सरकार चलाने वाली आम आदमी पार्टी का आरोप है कि ये सब बीजेपी ने करवाया है. लेकिन राजनीतिक को किनारे रख कर देखे तो दिल्ली में जल संकट नया नहीं है. और ना ही ये प्रोटेस्ट पहली बार हो रहे हैं. तमाम दावों और वादों के बावजूद हर साल दिल्ली वालों को इस समस्या से जूझना पड़ता है. तो आखिर दिल्ली के इस जल संकट का कारण क्या है? दिल्ली को कितना पानी चाहिए? दिल्ली को पानी कहां से मिलता है? और आखिर सरकार क्या कर रही है? इन सवालों के जवाब समझने की कोशिश करते है.

दिल्ली में जल संकट की वजह क्या है?

दिल्ली में लगातार बढ़ते जल संकट के पीछे कई कारण हैं. जिनमें ग्राउंड वाटर का अत्यधिक निकास, वाटर बॉडीज का पॉल्यूशन, प्रवासी आबादी में लगातार वृद्धि, क्लाइमेट चेंज के प्रतिकूल प्रभाव, घटिया वाटर मैनेजमेंट और इंटर स्टेट जल विवाद शामिल है. आरोप ये भी लगते हैं कि डिमांड और सप्लाई के अंतर को पाटने के दबाव में DJB ने पिछले पांच सालों में ग्राउंड वाटर का खूब दोहन किया है. यह निकासी 2020 में 86 MGD से 2024 में लगभग 135 MGD हो गई है. DJB के 8 जल उपचार संयंत्र (WTP) ज्यादातर समय अपनी पूरी क्षमता के साथ काम करते हैं, फिर भी महानगर की जरूरतों को पूरा नहीं कर पाते.

अभी पानी की कमी क्यों हो गई है?

दिल्ली में रोजाना लगभग 3.7-3.8 अरब लीटर पानी का उत्पादन होता है. लेकिन गर्मियों में दिल्ली को लगभग 5 अरब लीटर प्रति दिन पानी की जरूरत होती है. और गौर करने वाली बात ये कि यहां पानी का उत्पादन पिछले एक सप्ताह में कम हुआ है. इडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, उत्तरी दिल्ली के वजीराबाद में स्थित WTP 12 से 14 मई और फिर 18 मई से 1 जून तक अपनी पूरी क्षमता से काम नहीं कर सका था. इसी दौरान दिल्ली में अत्यधिक गर्मी थी, जिसने संकट को और बढ़ा दिया. 6 जून को दिल्ली में 3.8 अरब लीटर पानी का उत्पादन हुआ. 7 जून को ये घटकर 3.7 अरब लीटर और 9 जून को और भी घट गया. 12 जून को 3.6 अरब लीटर पानी का उत्पादन हुआ. यानी दिल्ली की जरूरत के मुकाबले पानी कम मिल रहा है.

क्रेडिट - इंडिया टुडे
दिल्ली पानी के लिए पड़ासी राज्यों पर निर्भर?

दिल्ली अपनी पेयजल मांग के 90 प्रतिशत पानी के लिए पड़ोसी राज्यों हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश पर निर्भर है. ज्यादातर पानी यमुना, रावी-व्यास और गंगा नदियों से आता है. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली को उत्तर प्रदेश में ऊपरी गंगा नहर के जरिए गंगा से रोजाना 470 क्यूसेक पानी मिलता है. यमुना और रावी-ब्यास नदियों से शहर को 1,049 क्यूसेक पानी की आपूर्ति की जाती है.

दिल्ली जल बोर्ड (DJB) भी यमुना से सीधे पानी लेता है. दिल्ली की जल आपूर्ति यमुना, ऊपरी गंगा नहर, भाखड़ा स्टोरेज और ग्राउंड वाटर से होती है. दिल्ली को अपनी कुल जरूरत का 41 प्रतिशत पानी यमुना, 27 प्रतिशत पानी ऊपरी गंगा नहर, 24 प्रतिशत पानी भाखड़ा स्टोरेज और 9 प्रतिशत ट्यूबवेल वगैरह से मिलता है. 

हिमाचल और दिल्ली में पानी का क्या विवाद है? 

दिल्ली जल संकट को लेकर 31 मई को दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका डाली. याचिका में बताया गया कि राजधानी में पानी के प्राथमिक स्रोत सोनिया बैराज और भागीरथी बैराज अपनी अधिकतम क्षमता से काम कर रहे हैं. लेकिन उससे हरेक इलाके में पानी की आपूर्ति नहीं हो पा रही है. सरकार ने कोर्ट से अपील किया कि जो एक्स्ट्रा पानी हरियाणा सरकार को हिमाचल प्रदेश से मिलता है, उसे दिल्ली को दिलवा दिया जाए. कोर्ट ने हिमाचल सरकार को एक्स्ट्रा पानी तुरंत दिल्ली के लिए छोड़ने का आदेश दिया. और हरियाणा सरकार को भी ये कहा गया कि इस पानी को दिल्ली तक पहुंचाएं.

हिमाचल सरकार को सुप्रीम कोर्ट ने 137 क्यूसेक अतिरिक्त पानी छोड़ने का आदेश दिया था. हिमाचल के सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने 12 जून को पत्रकारों से बातचीत में कहा कि हमने पानी छोड़ दिया है. और वकीलों से कहा है कि वे इस बारे में सुप्रीम कोर्ट को सूचित करेंगे. पानी हरियाणा से होकर दिल्ली जाएगा और हमने अपना पानी नहीं रोका है. इस बारे में हरियाणा के सिंचाई और जल संसाधन मंत्री अभय सिंह यादव से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि फिलहाल हिमाचल प्रदेश से पानी नहीं मिला है. जैसे ही हरियाणा को पानी मिलता है वो तुरंत उसे दिल्ली की ओर भेज देगा.

लेकिन 13 जून को सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई में हिमाचल सरकार अपने पिछले बयान से पलट गई. उन्होंने कहा कि उनके पास अतिरिक्त पानी नहीं है. ऐसे में वो दिल्ली को पानी नहीं दे सकते हैं. इसके बाद कोर्ट ने दिल्ली सरकार को जल आपूर्ति के लिए अपर यमुना रिवर बोर्ड (UYRB) का रूख करने का निर्देश दिया.

सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे पर कहा कि राज्यों के बीच में यमुना जल बंटवारा एक बेहद जटिल विषय है. सुप्रीम कोर्ट के पास फॉर्मूला तय करने की विशेषज्ञता नहीं है. इस पर सभी पक्षों से बातचीत के बाद ही किसी नतीजे पर पहुंचा जा सकेगा. कोर्ट ने आगे कहा कि पानी के बंटवारे का मुद्दा अपर यमुना रिवर फ्रंट पर छोड़ देना चाहिए. कोर्ट ने अपर यमुना रिवर फ्रंट को निर्देश दिया कि वो दिल्ली सरकार का आवेदन मिलने के बाद मीटिंग कर जल्दी से जल्दी इस मुद्दे को सुलझाए. अगर जरूरत हो तो बोर्ड रोजाना बैठक कर सकती है.

दिल्ली हरियाणा जल विवाद कितना पुराना

यह विवाद करीब 3 दशक पहले शुरू हुआ. साल 1995 में कमोडोर सुरेश्वर धारी सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में एक पीआइएल दायर किया था. उन्होंने इस याचिका में यमुना नदी के प्रवाह को ठीक करने की मांग की थी. उन्होंने तर्क दिया कि पीने के पानी को बाकी चीजों के मुकाबले ज्यादा महत्व मिलना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट  का फैसला उनके पक्ष में आया. कोर्ट ने कहा कि घरेलू उपयोग के लिए पानी का अधिकार बाकी दूसरी चीजों से ज्यादा जरूरी है. दिल्ली ज्यादा पानी की हकदार है. कोर्ट ने हरियाणा को आदेश दिया कि दिल्ली को पूरे साल जरूरी मात्रा में पानी देना होगा.

टैंकर माफिया के आगे मजबूर दिल्ली सरकार

13 जून को दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया है. हलफनामें में सरकार ने बताया कि हम मजबूर है. हम टैंकर माफिया के खिलाफ कार्रवाई नहीं कर सकते. क्योंकि टैंकर माफिया दिल्ली से नहीं बल्कि हरियाणा से संचालित होते हैं. जिसकी वजह से हमारे हाथ बंधे हुए हैं.

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टैंकर माफिया विवाद और मुनक नहर

दिल्ली हरियाणा जल विवाद में मुनक नहर का जिक्र जरूर आता है. हरियाणा से दिल्ली के लिए पानी मुनक नहर से ही आता है. इसको बनाने का काम 2003 में शुरू हुआ था और 2012 में बनकर तैयार हुआ. इसे हरियाणा सरकार ने बनवाया था. यह करनाल जिले में यमुना का पानी लेकर खूबरू और मंडोर बैराज से होते हुए दिल्ली के हैदरपुर पहुंचती है. इस नहर की लंबाई 102 किलोमीटर है.

मुनक नहर से टैंकर माफिया अवैध रूप से पानी निकाल लेते हैं. बीते दिनों मुनक नहर से पानी चुराने की घटना सामने आई थी. जिसकी शिकायत दिल्ली सरकार ने एलजी वीके सक्सेना से की थी. एलजी ने टैंकर माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई के लिए मुनक नहर इलाके में दिल्ली पुलिस की तैनाती कर दी थी. अब इस इलाके में दिल्ली पुलिस के जवान पेट्रोलिंग कर रहे हैं.

दिल्ली जल बोर्ड का काम क्या है?

दिल्ली जल बोर्ड अधिनियम, 1998 के तहत दिल्ली जल बोर्ड का गठन हुआ था. दिल्ली में पीने के पानी के उत्पादन और वितरण की जिम्मेदारी इसकी है. जल बोर्ड वेस्ट वाटर और सीवेज ट्रीटमेंट के लिए भी जिम्मेदार है. दिल्ली के अधिकतर हिस्सों में जल बोर्ड ही पानी की सप्लाई करता है.

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