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'अग्निपथ' के अलावा भर्ती का कोई और विकल्प नहीं, अग्निवीरों को लेकर तीनों सेनाओं ने और क्या-क्या कहा?

तीनों सेनाओं के आला अधिकारियों ने कहा, 'अग्निपथ योजना देश के हित में है.'

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(बाएं से दाएं) लेफ्टिनेंट जनरल अनिल पुरी, एयर मार्शल सूरज कुमार झा और वाइस एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी (फोटो: पीआईबी)

अग्निपथ स्कीम को लेकर मंगलवार, 21 जून को भी एक बार फिर सेना की ओर से प्रेस कॉन्फ्रेंस की गई. इस दौरान रक्षा मंत्रालय में डिपार्टमेंट ऑफ मिलिट्री अफेयर्स के एडिशनल सेक्रेटरी लेफ्टिनेंट जनरल अनिल पुरी ने कहा कि अग्निपथ योजना इसलिए बनाई गई है, ताकि सबसे बेहतर परिणाम मिलें क्योंकि देश की रक्षा का सवाल है. उन्होंने कहा,

देशभक्ति या फौज में काम करना एक जुनून है, एक जज़्बा है, ये नौकरी के लिए प्रावधान नहीं है.

लेफ्टिनेंट जनरल अनिल पुरी ने कहा कि अग्निपथ योजना सशस्त्र बलों की युवा प्रोफाइल, सेना में तकनीक-प्रेमी लोग और व्यक्तियों को भविष्य के लिए तैयार करना, इन तीन प्रमुख चीजों को संतुलित करती है. उन्होंने कहा,

दुनिया के किसी दूसरे देश में भारत के समान डेमोग्राफिक डिविडेन्ड नहीं है. हमारे 50% युवा 25 वर्ष से कम आयु वर्ग के हैं. सेना को इसका अधिक से अधिक फायदा उठाना चाहिए.

अनिल पुरी ने कहा कि हर देश अपनी सुरक्षा जरूरत के हिसाब से योजना बनाता है और अग्निपथ योजना में भारतीय समस्याओं के लिए भारतीय समाधान का ध्यान रखा गया है. लेफ्टिनेंट जनरल ने ये भी साफ किया कि भर्ती प्रक्रिया में कोई बदलाव नहीं हुआ है. ऑल इंडिया, ऑल क्लास और रेजीमेंटेशन दोनों में भी कोई बदलाव नहीं हुआ है.

वहीं देश के कई हिस्सों में युवाओं द्वारा योजना के विरोध में हिंसा का सहारा लेने के मद्देनजर पुरी ने कहा कि अग्निपथ के सभी आवेदकों को शपथ पत्र देना होगा कि वे किसी भी हिंसा का हिस्सा नहीं थे. पुलिस वेरिफिकेशन का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि ये हमेशा से भर्ती प्रक्रिया का हिस्सा रहा है.

'वायु सेना में हर भर्ती अब केवल अग्निवीर वायु के जरिए'

वहीं भारतीय वायु सेना के एयर मार्शल सूरज कुमार झा ने कहा कि वायु सेना का सबसे सशक्त हथियार उसकी मैनपॉवर है. उन्होंने कहा,

भारतीय वायु सेना की युद्ध क्षमता और तैयारी पर कोई समझौता नहीं किया जा सकता है. भारतीय वायु सेना और भारत सरकार वो सब कुछ करेगी, जो हमें युद्ध के योग्य और युद्ध के लिए तैयार रखने के लिए आवश्यक है.

सूरज कुमार झा ने आगे बताया,

पहले वर्ष में 2% से शुरू करके अग्निवीरों को धीरे-धीरे शामिल किया जा रहा है. पांचवें वर्ष में ये संख्या लगभग 6 हजार हो जाएगी और 10वें वर्ष में लगभग 9-10 हजार हो जाएगी. भारतीय वायु सेना में हर भर्ती अब केवल 'अग्निवीर वायु' के जरिए होगी.

उन्होंने ये भी साफ किया कि प्रवेश की प्रक्रिया, प्रवेश स्तर की योग्यता, परीक्षा के सिलेबस या चिकित्सा मानकों में कोई बदलाव नहीं हुआ है.

'सीधे मर्चेंट नेवी में जा सकेंगे अग्निवीर'

थल सेना और वायु सेना के आला अधिकारियों के अलावा भारतीय नौसेना में कार्मिक प्रमुख (COP) दिनेश के त्रिपाठी ने बताया कि DG शिपिंग (डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ शिपिंग) के आदेश के अनुसार 4 साल के प्रशिक्षण के बाद अग्निवीर सीधे मर्चेंट नेवी में जा सकते हैं. उन्होंने बताया कि इस सिलसिले में इंडियन नेवी और बंदरगाह, पोत परिवहन एवं जलमार्ग मंत्रालय के बीच एक समझौता भी हुआ है.

भारतीय सेना में एजटेंट जनरल बंसी पोनप्पा ने कहा कि भर्ती कार्यक्रम पूरा तैयार है और अग्निपथ योजना के लिए भर्ती नोटिफिकेशन भारतीय सेना की वेबसाइट पर अपलोड कर दिया गया है. उन्होंने कहा कि ये योजना देश और फौज दोनों के हित में है और आने वाले समय में ये बहुत ही सफल होगी.