वहां उसका वैसा इलाज नहीं हो पा रहा था जैसा होना चाहिए. लेकिन माओवादियों ने बंद बुला रखा था. इलाका पूरा बंद था. रात हुई सो अंधेरा भी था तो सीआरपीएफ के डॉक्टर्स ने रात भर अपनी निगरानी में रखा. 16 तारीख को एक हेलीकॉप्टर से उसे सीआरपीएफ के शिविर ले जाया गया. वहां से सीआरपीएफ के ही डॉक्टर्स की टीम उसको जगदलपुर के एक प्राइवेट हॉस्पिटल ले गई. अब भीमे की तबियत अच्छी है. एक्सपर्ट्स उस पर नजर रखे हैं. और सबसे अच्छी बात पता, भीमे के इलाज का पूरा खर्च भी सीआरपीएफ उठा रही है.ये खबर अच्छी है. नक्सलियों से जूझते एरिया से जब ऐसी अच्छी खबरें आती हैं तो अच्छा लगता है. नक्सलियों से लड़ाई तो चलती ही रही है पर नक्सल प्रभावित इलाकों से अक्सर ऐसी बातें भी आती रहती हैं कि पुलिस या फोर्सेज से वहां की औरतों के साथ मिसबिहेव किया. मानव अधिकारों का हनन हुआ. ऐसे में वहां के लोकल लोगों की जिंदगी मुश्किल होती जाती है. ऐसी खबरें हमारा भरोसा मजबूत करती हैं, सरकार पर और फोर्सेज पर. दुनिया ऐसे ही रहने को अच्छी जगह बनेगी.
आदिवासी औरत प्रेगनेंट थी, CRPF ने हेलीकॉप्टर से पहुंचाया हॉस्पिटल
माओवादियों के बंद के बीच CRPF ने की मदद, अब उठा रही है इलाज का खर्च.
सुकमा, छत्तीसगढ़, हेलीकॉप्टर, सीआरपीएफ. ये सब सुनकर कैसा लगता है? नक्सली-माओवादी सा. लगता है हिंसा हुई होगी, या खूनखराबे की कोई खबर होगी. लेकिन इस बार ऐसी कोई खबर नहीं है. ये ऐसी खबर है जिसे पढने के बाद अच्छा सा लगेगा. छत्तीसगढ़ के नक्सल हिंसा से प्रभावित सुकमा जिले की बात है. 14 अप्रैल को मोरपल्ली गांव में भीमे नाम की एक आदिवासी औरत के पेट में दर्द उठा. उसके पेट में आठ महीने का बच्चा था. तो उसको चिंतलनार के पैरामिलिट्री फोर्सेज के फील्ड हॉस्पिटल ले जाया गया.