सुप्रीम कोर्ट में 22 सितंबर को EWS आरक्षण को लेकर बहस चल रही थी. EWS आरक्षण यानी आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग को मिलने वाला आरक्षण. इस दौरान सुप्रीम कोर्ट के जज और केंद्र सरकार के वकील तुषार मेहता के बीच 'लाइटर नोट' पर एक जिरह होती है. कोर्ट रूम में इस बहस का हिस्सा अब सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है.
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कोर्ट में आर्थिक रुप से पिछड़े वर्ग के आरक्षण को दी गई चुनौती पर बहस हो रही थी.

दरअरल, केंद्र सरकार ने संविधान का 103वां संशोधन पास कर EWS आरक्षण लागू किया था. इसी संशोधन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में इस आरक्षण को चुनौती दी गई थी. इंडिया टुडे से जुड़ीं सृष्टि ओझा की रिपोर्ट के मुताबिक, CJI यूयू ललित की अध्यक्षता में 5 जजों की बेंच इस पर सुनवाई कर रही थी. आज सॉलिसिटर जनरल (SG) तुषार मेहता ने केंद्र सरकार की ओर से और संशोधन के पक्ष में तर्क दे रहे थे. अदालत ने कल SG को इस मामले में जानकारी और आंकड़े उन राज्यों से उपलब्ध कराने को कहा था, जहां संशोधन को अपनाया गया है. तुषार मेहता ने आज इसे लेकर केंद्र द्वारा बनाई गई एक कमेटी की रिपोर्ट का हवाला दिया.
तुषार मेहता कहते हैं कि आपका सवाल था कि क्या इस पर आंकड़े हैं. लेकिन लगता है कि आंकड़ों को अबतक लेकर कुछ खास काम नहीं हो पाया है. क्योंकि 2019 में संशोधन आया और फिर कोरोना महामारी फैल गई. लेकिन इस समिति ने पूरी कवायद की है. रिपोर्ट में आप देखेंगे कि इस आरक्षण ने समाज के सबसे गरीब से गरीब तबके के लिए मदद पहुंचाई है. UPSC परीक्षाओं में, 2019 में कुल 79 कैंडिडेट और 2020 में 86 कैंडिडेट का चयन किया गया, जिनकी अधिकतम आय ढाई लाख रुपये थी. यानी महीने की 20 हजार. ये जमीनी हकीकत है.
इसी रिपोर्ट को लेकर कोर्टरूम में बहस चल रही थी. तभी सॉलिसिटर जनरल कहते हैं कि मूल रूप से ये आंकड़े कभी भी संवैधानिक वैधता तय करने का आधार नहीं हो सकते. इसके बाद कोर्ट में लाइटर नोट पर बात हुई
SG- मैं लाइटर नोट पर ये कहूंगा कि, किसी ने बड़ी खूबसूरती से कहा है कि स्टैटिस्टिक्स तो ये नहीं बताती कि कितने बिजली के खंभों का इस्तेमाल रोशनी के लिए होता है, बल्कि ये बताती है कि कितने खंभों का इस्तेमाल शराबी टेक लेने के लिए करते हैं.
जस्टिस एसआर भट्ट- मेरे पिता जी भी स्टैटीशियन थे.
SG- मैं माफी चाहूंगा.
जस्टिस भट्ट- नहीं, नहीं एक और है, ऐसा ही. जैसा कि आपने लाइटर नोट पर कहा था, वैसा ही. अगर आप अपना सिर फ्रीजर में रखते हैं और हीटर लगाते हैं, तो औसतन स्टैटीशियन कहेंगे कि आप ठीक कर रहे हैं.
इसके बाद कोर्ट में ठहाके लगने लगते हैं.
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