भारत के चीफ़ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने एक 'भावुक विदाई समारोह' के बाद सुप्रीम कोर्ट को अलविदा कहा. 8 नवंबर को हुए इस समारोह में उन्होंने अपने दो साल के कार्यकाल को याद किया. इस दौरान CJI अपने ट्रोल्स को भी विदाई संदेश देना नहीं भूले (CJI DY Chandrachud on trolls). उन्होंने कहा कि उनके कंधे आलोचना स्वीकार करने के लिए पर्याप्त चौड़े हैं. ट्रोल्स को संबोधित करते हुए उन्होंने मजाकिया अंदाज में कहा कि जो लोग उन्हें ट्रोल करते थे, वो अब बेरोजगार हो जाएंगे.
मुझे ट्रोल करने वाले बेरोजगार हो जाएंगे, जाते-जाते CJI ने ऐसा क्यों कहा?
CJI DY Chandrachud ने Supreme Court Bar Association की तरफ़ से आयोजित विदाई समारोह में भाषण दिया. इस दौरान, उन्होंने अपने 24 साल के न्यायिक करियर से जुड़े निजी किस्से और विचार शेयर किए. साथ ही, ट्रोल्स को लेकर भी बात की.
CJI चंद्रचूड़ का कहना है कि शायद वो सबसे ज़्यादा ट्रोल होने वाले जजों में से एक हैं. उन्होंने ये भी कहा,
"मैं शायद पूरे सिस्टम में सबसे ज़्यादा ट्रोल होने वाला जज हूं. मैं सोच रहा हूं कि सोमवार से उनका क्या होगा. मुझे ट्रोल करने वाले सभी लोग बेरोज़गार हो जाएंगे.
इस दौरान उन्होंने उर्दू के मशहूर शायर बशीर बद्र का एक शेर भी सुनाया. कहा,
मुख़ालिफ़त से मिरी शख़्सियत संवरती है, मैं दुश्मनों का बड़ा एहतिराम करता हूं.
इसके अलावा उन्होंने कहा,
मैंने कई तरीकों से अपने निजी जीवन को सार्वजनिक ज्ञान के सामने उजागर किया है. इसके लिए सोशल मीडिया पर सार्वजनिक आलोचना का सामना भी किया है. लेकिन ऐसा ही होता है. मेरे कंधे इतने चौड़े हैं कि उन सभी आलोचनाओं को स्वीकार कर सकूं, जिनका मैंने सामना किया है.
इस दौरान, उन्होंने अपनी टीम के सामने आई चुनौतियों को भी स्वीकार किया और कहा,
हमने सभी लंबित मामलों का डेटा सार्वजनिक डोमेन में डालने का फ़ैसला किया. जिस तरह से हमने काम किया है, उसके लिए मैं अपने कॉलेजियम का हमेशा आभारी रहूंगा. हमारे बीच कभी कोई मतभेद नहीं रहा. हमने कभी इस फ़ैक्ट को नज़रअंदाज़ नहीं किया कि हम यहां व्यक्तिगत एजेंडे के साथ नहीं हैं; हम यहां संस्था के हितों की रक्षा के लिए हैं.
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अंत में, CJI ने जस्टिस संजीव खन्ना को कार्यभार सौंपा. इससे पहले उन्होंने अपनी व्यक्तिगत कहानियां, दर्शन और चुनौतियों के बारे में भी अपने विचार शेयर किये. CJI चंद्रचूड़ ने न्यायिक शक्ति की सीमाओं को भी स्वीकार किया.
यानी उनका मानना है कि न्यायपालिका की भी एक हद है. उन्होंने कहा, ‘अदालत में आपको एहसास होता है कि आप एक जज के रूप में हर दिन अपने सामने आने वाले हर अन्याय को ठीक नहीं कर सकते. कुछ अन्याय कानून के शासन के दायरे में होते हैं. अन्य ऐसे होते हैं जो कानून के शासन के दायरे से बाहर होते हैं.’
बताते चले, 11 नवंबर, 1959 को पैदा हुए जस्टिस चंद्रचूड़ 13 मई, 2016 को सुप्रीम कोर्ट के जज बने. वो इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ़ जस्टिस से सुप्रीम कोर्ट में प्रमोट किए गए थे. उन्होंने कुल 612 फैसले लिखे हैं. सुप्रीम कोर्ट में अपने आख़िरी दिन भी उन्होंने 45 मामलों की सुनवाई की.
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