सुप्रीम कोर्ट ने UGC-NET एग्जाम दोबारा आयोजित करने के फैसले के खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर दिया है. याचिका में मांग की गई थी कि री-एग्जाम होल्ड किए जाए. बीती 18 जून को आयोजित हुई पिछली UGC-NET परीक्षा को रद्द कर दिया गया था. 19 जून को शिक्षा मंत्रालय ने इसे दोबारा 21 अगस्त को आयोजित कराने का फैसला लिया था.
UGC NET री-एग्जाम को रोकने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ गया
मामले पर चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने सुनवाई की.

लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, मामले पर भारत के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने सुनवाई की. कहा गया कि री-एग्जाम के फैसले को आए दो महीने बीत चुके हैं, लिहाजा इस वक्त याचिका पर विचार करना केवल अनिश्चितता पैदा करेगा और अराजकता को जन्म देगा.
चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा,
“आखिरी फैसला होने दीजिए. हम एक आदर्श दुनिया में नहीं हैं. परीक्षाएं 21 अगस्त को होने दीजिए ताकि छात्रों के लिए निश्चितता बनी रहे.”
बेंच ने कहा कि परीक्षा में 9 लाख से ज्यादा छात्र हिस्सा ले रहे हैं और केवल 47 याचिकाकर्ताओं ने इसे चुनौती दी है.
इसी साल जून में आयोजित हुई UGC-NET की परीक्षा में 9 लाख से ज्यादा अभ्यर्थी शामिल हुए थे. 19 जून को UGC को गृह मंत्रालय के इंडियन साइबर क्राइम कोऑर्डिनेशन सेंटर (I4C) से परीक्षा के बारे में कुछ इनपुट प्राप्त हुए थे. इन इनपुट से प्रथम दृष्टया संकेत मिला कि NET परीक्षा की सत्यनिष्ठा से समझौता हुआ है. इस वजह से इसे रद्द करने का फैसला किया गया था.
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने खुलासा किया कि UGC NET परीक्षा का पेपर डार्कनेट पर लीक हो गया था. गृह मंत्रालय ने सबूत के तौर पर स्क्रीनशॉट भी जारी किए. कहा गया कि 18 जून को दोपहर करीब 2 बजे दूसरे सेशन के एग्जाम से पहले स्क्रीनशॉट को कई टेलीग्राम चैनल पर भेजा गया था.
NTA ने कहा था कि परीक्षा की सत्यनिष्ठा (Integrity) से समझौता हुआ है. आगे की जांच के लिए मामला CBI को सौंप दिया गया.
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