इस्कॉन मंदिर से जुड़े चिन्मय कृष्ण दास (Chinmoy Das) की बांग्लादेश में गिरफ्तारी हुई. वहां की अदालत ने उनकी जमानत याचिका को खारिज कर दिया. इसके बाद चिन्मय दास के समर्थकों और सुरक्षाकर्मियों में झड़प हुई. इस झड़प के दौरान एक वकील की मौत हो गई. वहीं सुरक्षाकर्मियों और पत्रकारों के साथ-साथ कम से कम 10 लोग घायल हो गए.
बांग्लादेश: चिन्मय दास की जमानत याचिका खारिज होने के बाद प्रदर्शन, वकील की मौत पर आरोप-प्रत्यारोप
Bangladesh Violence Update: जमानत याचिका रद्द होने के बाद जब Chinmoy Das को जेल ले जाया जा रहा था, तब उन्होंने माइक पर भीड़ से शांंत रहने की अपील की थी. प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए ग्रेनेड, आंसू गैस के गोले छोड़े गए और लाठीचार्ज भी किया गया.
ढाका ट्रिब्यून अखबार के मुताबिक, मृतक वकील की पहचान 35 साल के सिस्टेंट पब्लिक प्रॉसिक्यूटर और चटगांव डिस्ट्रिक्ट बार एसोसिएशन के मेंबर सैफुल इस्लाम के रूप में हुई है. बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस ने इस मामले को लेकर एक बयान जारी किया है. उनके आधिकारिक x हैंडल से लिखा गया,
“मुख्य सलाहकार प्रोफेसर मोहम्मद यूनुस ने 26 नवंबर को चटगांव में एक वकील की हत्या की निंदा की. उन्होंने हत्या की जांच और उचित कानूनी कार्यवाही के आदेश दिए हैं. उन्होंने लोगों से शांत रहने और किसी भी अप्रिय गतिविधि में भाग लेने से दूर रहने का आग्रह किया है. उन्होंने कानून प्रवर्तन एजेंसियों को शहर में सुरक्षा बढ़ाने का भी आदेश दिया है, जिसमें सभी संवेदनशील इलाके शामिल हैं. अंतरिम सरकार किसी भी कीमत पर बांग्लादेश में सांप्रदायिक सद्भाव सुनिश्चित करने और उसे बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है.”
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वकील की हत्या को लेकर चटगांव लॉयर्स एसोसिएशन के प्रेसिडेंट नाजिम उद्दीन चौधरी ने भी एक बयान जारी किया है. उन्होंने आरोप लगाया कि प्रदर्शनकारियों ने सैफुल को उनके चैंबर से नीचे खींचा और उनकी हत्या कर दी. 26 नवंबर को जमानत याचिका रद्द होने के बाद जब चिन्मय दास को जेल ले जाया जा रहा था, तब उन्होंने माइक पर भीड़ से शांंत रहने की अपील की थी. प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए ग्रेनेड, आंसू गैस के गोले छोड़े गए और लाठीचार्ज भी किया गया. पुलिस कमिश्नर लियाकत अली ने कहा कि इस मामले की जांच की जा रही है.
बांग्लादेश सम्मिलित सनातनी जागरण जोते ने प्रदर्शनकारियों पर लगे वकील की हत्या के आरोप पर सफाई दी. उन्होंने अपने बयान में कहा कि सुरक्षाबलों के साथ कुछ नागरिकों ने प्रदर्शनकारियों पर हमला किया था. कुछ लोग वहां नारा-ए-तकबीर के नारे लगा रहे थे और ईंट-पत्थर फेंक रहे थे. उन्होंने कहा कि किसी भी सनातनी ने मस्जिद पर हमला नहीं किया. बल्कि नारा लगाने वालों में से कुछ ने मस्जिद की खिड़कियों पर पत्थर फेंके. जागरण जोते ने इस घटना की कड़ी निंदा की.
उन्होंने आगे कहा कि बाद में ये अफवाह फैलाई कि मस्जिद पर हमला हुआ है. इसके बाद लोग इकट्ठा हो गए. उग्र भीड़ ने प्रदर्शनकारियों पर हमला किया. उन्होंने दावा किया कि उसी उग्र भीड़ ने वकील सैफुल इस्लाम पर हमला किया और वो गंभीर रूप से घायल हो गए. उन्होंने कहा कि सनातनियों ने वकील की हत्या नहीं की. बल्कि उपद्रवियों ने उनकी हत्या की और उल्टा सनातनियों पर आरोप लगा दिया.
भारत सरकार का जवाबचिन्मय दास को बांग्लादेश के राष्ट्रीय झंडे के अपमान के आरोप में गिरफ्तार किया था. बाद में उन पर देशद्रोह के आरोप लगाए गए. भारत सरकार ने इस मामले को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है. उन्होंने कहा है कि बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों को निशाना बनाने वाले अपराधियों पर कार्रवाई नहीं की जा रही है. इसके बजाय शांतिपूर्ण सभाओं के माध्यम से वैध मांगें रखने वाले एक हिंदू पुजारी के खिलाफ देशद्रोह का आरोप लगाया जा रहा है. उन्होंने शांतिपूर्वक प्रदर्शन कर रहे लोगं पर हुए हमलों पर भी चिंता व्यक्ति की है.
भारत सरकार के इस बयान के बाद बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने भी जवाब दिया है. उन्होंने कहा है कि चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी को कुल वर्ग गलत समझ रहे हैं. उनको विभिन्न आरोपों के तहत गिरफ्तार किया गया है. उन्होंने कहा कि बांग्लादेश सरकार का मानना है कि इस तरह के निराधार बयान न केवल तथ्यों को गलत तरीके से पेश करते हैं बल्कि दोनों पड़ोसी देशों के बीच मित्रता और आपसी समझ की भावना के विपरीत भी हैं.
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