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पैंगोंग झील के पास भारी मशीनरी के साथ क्या बना रहा चीन? सैटेलाइट तस्वीरें सामने आईं

जिस निर्माण की तस्वीरें सामने आई हैं वो भारतीय और चीनी सेनाओं के बीच 2020 में हुई झड़प वाली जगह से लगभग 38 किलोमीटर पूर्व में स्थित है.

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पैंगोंग त्सो के पास नई चीनी बस्ती. (सैटेलाइट इमेज @2024 मैक्सार टेक्नोलॉजीज वाया इंडिया टुडे)

एक तरफ भारत और चीन सीमा पर तनाव कम करने के लिए कूटनीतिक तरीकों से बातचीत कर रहे हैं, दूसरी तरफ चीन पैंगोंग झील के पास तेजी से निर्माण कर रहा है. इंडिया टुडे ने इस इलाके की हालिया सैटेलाइट तस्वीरों से एक एनालिसिस किया है. इनमें दिखता है कि झील के किनारे चीन एक 'बड़ी बस्ती' का निर्माण कर रहा है.

दुनिया की सबसे ऊंची खारे पानी की झील पैंगोंग त्सो भारत, तिब्बत और उनके बीच विवादित सीमा पर स्थित है. जिस निर्माण की तस्वीरें सामने आई हैं वो भारतीय और चीनी सेनाओं के बीच 2020 में हुई झड़प से लगभग 38 किलोमीटर पूर्व में स्थित है. हालांकि यह उन क्षेत्रों से बाहर है जहां भारत अपना दावा करता है.

इंडिया टुडे की तस्वीर के मुताबिक 9 अक्टूबर को अमेरिका के मैक्सार टेक्नोलॉजीज द्वारा ली गई सैटेलाइट तस्वीरों में लगभग 17 हेक्टेयर क्षेत्र में तेजी से निर्माण कार्य होते हुए दिखाई दे रहा है. 4347 मीटर की ऊंचाई पर येमागो रोड के पास वाला क्षेत्र मशीनरी से भरा पड़ा है. तक्षशिला संस्थान में जिओस्पेशियल अनुसंधान कार्यक्रम के प्रमुख वाई नित्यानंद का कहना है,

"मकानों और बड़ी प्रशासनिक इमारतों सहित 100 से अधिक बिल्डिंग बनाई जा रही हैं. जो समतल भूमि है भविष्य में पार्कों खेल के मैदानों के लिए छोड़ी गई हो सकती हैं."

नित्यानंदम ने एक और महत्वपूर्ण निर्माण की तरफ ध्यान दिलाया है. उन्होंने दक्षिण-पूर्व कोने में 150 मीटर लंबी आयताकार पट्टी की ओर भी इशारा करते हुए अनुमान लगाया कि इसे उड़ान के लिए तैयार किया जा सकता है.

इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक ओपन-सोर्स सैटेलाइट इमेजरी के विश्लेषण से पता चलता है कि अप्रैल 2024 की शुरुआत में झील की ओर ढलान वाली नदी के किनारे निर्माण शुरू किया गया था. डिफेंस सोर्सेज़ के मुताबिक, यह बस्ती दो भागों में बंटी है, संभवतः प्रशासनिक और बाकी कामों के लिए.

रिपोर्ट के मुताबिक संरचनाओं की परछाई से किए गए विश्लेषण से पता चलता है कि एक और दो मंजिला इमारतें बनाई गई हैं. साथ ही आसपास छोटी झोपड़ियों जैसे निर्माण हैं. इनमें से प्रत्येक में छह से आठ लोग रह सकते हैं. दो बड़ी संरचनाएं प्रशासन और स्टोरेज के रूप में काम कर सकती हैं. महत्वपूर्ण बात ये है कि ये संरचनाए सीधे-सीधे नहीं बनाई गई हैं, बल्कि टेढ़ी-मेढ़ी हैं. जो इस बात को दर्शाती हैं कि लंबी दूरी के हमले से बचने के उद्देश्य से इन्हें ऐसे बनाया गया है.

चीन के इस कदम में एक और ध्यान देने लायक बात है. ये बस्तियां ऊंची चोटियों के पीछे बसाई गई हैं ताकि वो दिखाई ना दे. इस बारे में नित्यानंदम ने कहा,

"आसपास की ऊंची चोटियों की वजह से उस क्षेत्र की निगरानी करना आसान नहीं होगा."

डिफेन्स एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर युद्ध जैसे हालात बनते हैं तो चीनी सैनिक काफी कम्फर्टेबल स्थिति में रहेंगे.

वीडियो: आसान भाषा में: चीन की खुफिया एजेंसी कैसे काम करती है?