पड़ोसी देश श्रीलंका पर चीन काफी समय से दबदबा बढ़ाने की कोशिश कर रहा है. भारत के लिए ये चिंता का विषय रहा है. हाल में इसे बढ़ाया चीन के एक जासूसी जहाज ‘शी यान 6’ (China research vessel Shi Yan 6) ने. खबरे हैं कि ये जहाज हिंद महासागर में दाखिल हो चुका है और कोलंबो पोर्ट की तरफ बढ़ रहा है. ऐसा अनुमान है कि 25 अक्टूबर को ये जहाज अपनी मंजिल पर पहुंच जाएगा. चीन का कहना है कि ये एक ‘रिसर्च जहाज’ है. लेकिन भारत सरकार ने बताया है कि चीन रिसर्च के नाम पर जहाज भेजकर चुपके से भारत की जासूसी भी करना चाहता है. इस जहाज की हिंद महासागर में उतरने की टाइमिंग भी चीन की मंशा पर सवाल उठा रही है.
हिंद महासागर में डोल रहे चीनी जहाज Shi Yan 6 से भारत में चिंता क्यों?
चीन की मीडिया में कहा गया कि ये खोजी जहाज हिंद महासागर के पूर्वी क्षेत्रों में ‘एक असाधारण सफर’ पर निकल गया है. जानकार इसका क्या मतलब निकाल रहे हैं?
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक भारत जल्द ही लॉन्ग रेंज की बैलिस्टिक मिसाइल टेस्ट(Long range ballistic missile test) करने वाला है. इसके मद्देनजर बंगाल की खाड़ी से हिंद महासागर तक नो फ्लाई जोन बनाए जाने की घोषणा कर दी गई है. ये टेस्ट 5 से 9 अक्टूबर के बीच ओडिशा के अब्दुल कलाम द्वीप से हो सकता है. ऐसे में इस लॉन्च के कुछ ही दिनों पहले चीन के जासूसी जहाज शी यान-6 का हिंद महासागर में आना भारत को खटक रहा है. डिफेंस एक्सपर्ट जेएस सोढ़ी ने दैनिक भास्कर को बताया कि पिछले साल भी चीन का जासूसी जहाज युआन वांग-6 हिंद महासागर में तभी आया था जब भारत बैलिस्टिक मिसाइल का टेस्ट करने वाला था. इसकी वजह से भारत को कुछ दिनों के लिए टेस्ट टालना पड़ा था.
जहाज की खासियतशी यान 6, चीन के 13वें पंच वर्षीय प्लान का हिस्सा था. इस प्लान में चीन साइंस और एजुकेशन क्षेत्र के विकास पर काम कर रहा है. इस जहाज का वजन 3999 टन है. लंबाई 90.6 मीटर और 17 मीटर चौड़ाई है. जहाज पर 60 सदस्यों का क्रू है, जो ओशियनोलॉजी, मरीन जियोलॉजी, मरीन इकोलॉजिस्ट से जुड़ी खोज करेंगे. ये जहाज 2020 में बना गया था. 2022 में इसने पूर्वी हिंद महासागर में अपना पहला सफर शुरू किया था.
मीडिया रिपोर्ट्स में कुछ रक्षा जानकारों ने तर्क दिया है कि शी यान 6 में वो एंटीने नहीं हैं, जो सैटेलाइट और मिसाइल की ट्रैकिंग कर सकें. मगर जहाज में रिसर्च के नाम पर जो उपकरण लगे हैं उन्हें जासूसी के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है. उनका कहना है कि ये जहाज जहां श्रीलंका के पोर्ट से बड़ी आसानी से भारत के आंध्रप्रदेश, चेन्नई, केरल और तमिलनाडु के कई समुद्री तट की निगरानी कर सकते हैं. इस चीनी जहाज के दायरे में कुडनकुलम और कलपक्कम न्यूक्लियर रिएक्टर्स भी आते हैं.
पिछले साल ही अगस्त में चीन का एक और जासूसी जहाज युआन वांग 5(Yuan wang 5) श्रीलंका के हंबनटोटा पोर्ट पर पहुंचा था. तब भी भारत ने सुरक्षा को लेकर चिंता जताई थी. दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक शिप में दूर से छिपकर बातों को सुनने वाले उपकरण लगे हैं. इनकी मदद से ये जहाज सैकड़ों किमी दूर हो रही बातचीत को भी सुन सकता है. यानी अगर भारत की आशंकाएं सही साबित हुईं तो देश की कई अहम जानकारियां चीन के हाथ लगने का खतरा पैदा हो सकता है.
श्रीलंका बोला- बेफिक्र रहेंइस जहाज के आने की मंजूरी मिलने के मसले पर भारत ने श्रीलंका से सवाल पूछे. इस पर वहां के अधिकारियों ने कहा कि चीन का जहाज एक यूनिवर्सिटी से समझौते के तहत श्रीलंका आया है. बताया गया है कि जहाज कुछ रिसर्च करेगा. उनकी तरफ से उसे 17 दिनों के लिए कोलंबो पोर्ट पर ठहरने की मंजूरी दी गई है. ये रिसर्च श्रीलंका के नेशनल एक्वाटिक रिसोर्सेज रिसर्च एंड डिवेलपमेंट एजेंसी (NARA) के साथ की जा रही है.
मगर इस जहाज के निकलने से पहले चीन की सरकारी मीडिया में छपी खबरें कुछ और ही कह रही हैं. वहां की सरकारी मीडिया में कहा गया कि ये जहाज 80 दिनों तक हिंद महासागर में रहेगा. चीन की मीडिया में ये भी कहा गया कि खोजी जहाज हिंद महासागर के पूर्वी क्षेत्रों में ‘एक असाधारण सफर’ पर निकल गया है.
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