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भारत में पाए गए चीन वाले निमोनिया के केस वाली रिपोर्ट को सरकार ने फर्जी बताया

एक मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया था कि चीन के बच्चों में फैल रहा निमोनिया भारत आ पहुंचा है. हालांकि, केंद्र सरकार ने इस रिपोर्ट को पूरी तरह से खारिज कर दिया है.

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दिल्ली AIIMS मायकोप्लाज्मा निमोनिया के फैलने पर निगरानी रखने के लिए बनाए गए एक वैश्विक संघ का हिस्सा है. (फोटो क्रेडिट - एपी)

चीन के बच्चों में फैल रहे निमोनिया (Chinese Pneumonia) के ‘भारत पहुंचने’ की खबर को सरकार ने खारिज कर दिया है. एक मीडिया रिपोर्ट में बताया गया था कि दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) में अप्रैल 2023 से सितंबर 2023 के बीच 7 बच्चों में इस बीमारी के बैक्टीरिया पाए गए हैं. हालांकि, केंद्र सरकार ने बयान जारी कर इस जानकारी को गलत बताया है. बयान में कहा गया कि इन केसों का संबंध दुनिया के किसी और हिस्से में फैले निमोनिया के बैक्टीरिया से नहीं है, इसमें चीन भी शामिल है. 

रिपोर्ट में क्या है दावा?

चीन में बच्चों में एक तरह का निमोनिया फैल रहा है. ये एक सांस से जुड़ी बीमारी है, जो मायकोप्लाज्मा निमोनिया नाम के बैक्टीरिया से फैलती है. ये हमारे फेफड़ों पर असर डालती है. पहले आई मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, AIIMS को इसी बैक्टीरिया के सैंपल यहां के बच्चों में भी मिले.

टाइम्स ऑफ इंडिया ने यह रिपोर्ट लैंसेट माइक्रोब में प्रकाशित एक रिपोर्ट के हवाले से लिखी थी. इसमें बताया गया कि इन्फेक्शन के शुरुआती दौर में किए गए PCR टेस्ट के जरिए से एक मामले के बारे में पता चला था. इसके बाद IgM एलिसा टेस्ट के जरिए 6 और मामलों के बारे में पता चला. इस टेस्ट को इन्फेक्शन की आखिरी स्टेजेस में भी किया जा सकता है.

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IgM एलिसा टेस्ट के जरिए इंसान के शरीर में मायकोप्लाज्मा निमोनिया के खिलाफ बनीं एंटीबॉडीज का टेस्ट किया जाता है. PCR और IgM एलिसा टेस्ट का पॉजिटिविटी रेट क्रमशः 3 और 16 प्रतिशत है.

सरकार ने इस रिपोर्ट को खारिज किया

भारत सरकार ने इस रिपोर्ट को पूरी तरह से खारिज किया है. स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की ओर से जारी एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि इन केसों का संबंध दुनिया के किसी और हिस्से में फैले निमोनिया के बैक्टीरिया से नहीं है. इसमें चीन भी शामिल है. बयान में मीडिया में चल रही इन रिपोर्ट्स को भ्रामक और गलत जानकारी देने वाला बताया गया है. इसमें कहा गया कि अप्रैल से सितंबर 2023 तक एक स्टडी के तहत इन सैंपल्स की जांच की गई थी. इसमें से 7 बच्चों में निमोनिया के बैक्टीरिया पाए गए. लेकिन इनका संबंध चीन में फैले बैक्टीरिया से नहीं है. साथ ही, इसमें चिंता की कोई बात नहीं है. 

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मंत्रालय ने ये भी बताया कि जनवरी 2023 से अब तक दिल्ली AIIMS के माइक्रोबायोलॉजी विभाग में 611 नमूनों की जांच की गई. इसमेंं कोई भी माइकोप्लाज्मा निमोनिया नहीं पाया गया. 

संघ की सदस्य डॉक्टर रमा चौधरी के हवाले से बताया गया कि 15 से 20 फीसदी मौकों पर मायकोप्लाज्मा निमोनिया कम्यूनिटी के जरिए फैलता है.

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