डॉनल्ड ट्रंप के ट्रेड वॉर शुरू करने के बाद आखिरकार चीन अपने उस हथियार की ओर बढ़ता दिख रहा है जिसका अंदेशा जताया जा रहा था. चीन ने कई महत्वपूर्ण 'रेयर अर्थ' एलिमेंट्स और मैग्नेट्स के निर्यात को निलंबित कर दिया है. इससे पश्चिमी देशों की उन चीजों की आपूर्ति पर असर पड़ सकता है जो हथियार, इलेक्ट्रॉनिक्स, कारें, एयरोस्पेस, सेमीकंडक्टर और कई तरह के कंज़्यूमर प्रोडक्ट्स बनाने में इस्तेमाल होती हैं.
टैरिफ वॉर: चीन ने ऐसा फैसला लिया है, हथियार नहीं बना पाएगा अमेरिका!
चीन के इस कदम से पश्चिमी देशों को उन चीजों की आपूर्ति पर असर पड़ सकता है जो हथियार, इलेक्ट्रॉनिक्स, कारें, एयरोस्पेस, सेमीकंडक्टर और कई तरह के कंज़्यूमर प्रोडक्ट्स बनाने में इस्तेमाल होती हैं.

न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, चीनी सरकार एक नया निर्यात नियम बना रही है. जब तक यह नीति तैयार हो रही है, तब तक चीन के कई बंदरगाहों पर इन मेटल्स और मैग्नेट्स का निर्यात रोक दिया गया है. इनका इस्तेमाल कारों से लेकर मिसाइले बनाने में भी होता है. रिपोर्ट के मुताबिक, नया नियम लागू होने के बाद कुछ कंपनियों (जैसे अमेरिकी डिफेंस कंपनियों) को स्थायी रूप से इन धातुओं की आपूर्ति मिलना बंद किया जा सकता है.
चीन की तरफ से ये कदम ट्रंप द्वारा चीन पर भारी टैरिफ लगाने के जवाब में उठाया गया है. रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया की करीब 90% रेयर अर्थ एलिमेंट्स चीन में ही बनती हैं. इनका इस्तेमाल रक्षा, इलेक्ट्रिक वाहन, ऊर्जा और इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे क्षेत्रों में होता है. अमेरिका में सिर्फ एक ही रियर अर्थ की खान है, और अधिकांश आपूर्ति चीन से होती है. सात महत्वपूर्ण धातुओं जैसे सैमेरियम, गैडोलिनियम, टर्बियम, डिस्प्रोसियम, लुटेशियम, स्कैंडियम और यिट्रियम को अब चीन ने एक्सपोर्ट कंट्रोल लिस्ट में डाल दिया है. 2 अप्रैल से चीन ने इन धातुओं पर निर्यात प्रतिबंध लगा दिए हैं, जो केवल खनिज ही नहीं बल्कि तैयार मैग्नेट्स और अन्य प्रोडक्ट्स पर भी लागू होते हैं.
अब ये धातुएं और उनसे बने प्रोडक्ट्स चीन से तभी बाहर जा सकते हैं जब उनके लिए विशेष निर्यात लाइसेंस दिया जाए. लेकिन फिलहाल चीन का यह लाइसेंस जारी करने का सिस्टम ठीक से तैयार नहीं है, जिससे कंपनियों में घबराहट है कि यह प्रक्रिया लंबी खिंच सकती है और बाहर मौजूद स्टॉक जल्दी खत्म हो सकता है.
चीन की रणनीतियह कदम सिर्फ अमेरिका ही नहीं बल्कि सभी देशों को प्रभावित करता है. चीन अभी भी इन धातुओं पर पूरी तरह बैन नहीं लगा रहा है, लेकिन वह कम निर्यात लाइसेंस जारी करके सप्लाई को धीमा कर सकता है. अमेरिकी कंपनियां जैसे लॉकहीड मार्टिन, टेस्ला और एप्पल अपनी सप्लाई चेन में इन धातुओं पर निर्भर हैं. अमेरिका के पास कुछ दुर्लभ धातुओं का स्टॉक जरूर है, लेकिन वह स्थायी रूप से रक्षा कंपनियों की जरूरतें पूरी नहीं कर सकता.
चीन ने पहले ही तीन धातुओं पर अमेरिका को निर्यात बैन लगाया है और कई अन्य पर नियंत्रण लगा रखा है. खासकर "हेवी रेयर अर्थ" जैसे टर्बियम, डिस्प्रोसियम, पर यह रोक इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इन पर चीन का पूरी तरह नियंत्रण है. चीन म्यांमार और लाओस से इनकी सप्लाई चेन पर भी प्रभाव रखता है.
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