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विदेशों में विरोधियों का मुंह बंद कराने में चीन-रूस सबसे आगे, निशाने पर सबसे ज्यादा मुसलमान

दुनियाभर में निशाना बनाए गए लोगों में सबसे ज्यादा मुस्लिम समुदाय से हैं. ये स्टडी वाशिंगटन डीसी स्थित नॉन-प्रॉफिट संगठन ‘फ्रीडम हाउस’ ने की है. इस संस्था ने 2014 से 2024 तक 103 देशों की 48 सरकारों द्वारा की गई 1 हजार 219 घटनाओं को डॉक्यूमेंट किया है.

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चीन विदेशों में अपने विरोधियों को टार्गेट करने में सबसे आगे है. (इंडिया टुडे)

पिछले एक दशक में दुनिया भर के एक चौथाई देशों ने असहमति को दबाने के लिए विदेशों में रह रहे राजनीतिक शरणार्थियों को निशाना बनाया है. राजनीतिक शरणार्थियों को टारगेट करने में चीन सबसे आगे है. वहीं निशाना बनाए गए लोगों में सबसे ज्यादा मुस्लिम समुदाय से हैं. ये स्टडी वाशिंगटन डीसी स्थित नॉन-प्रॉफिट संगठन ‘फ्रीडम हाउस’ ने की है. इस संस्था ने 2014 से 2024 तक 103 देशों की 48 सरकारों द्वारा की गई 1 हजार 219 घटनाओं को डॉक्यूमेंट किया है.

रिपोर्ट के मुताबिक, इसमें से कुछ ही देशों ने फिजिकल असॉल्ट का सहारा लिया है. विदेशों में रह रहे असहमत लोगों को निशाना बनाने में चीन सबसे आगे है. इसने 272 असहमत लोगों को निशाना बनाया है. जोकि डॉक्यूमेंट किए गए मामलों का लगभग 22 फीसदी है. रूस, तुर्की और मिस्र का भी ट्रैक रिकॉर्ड इस मामले में खराब है.

अंतरराष्ट्रीय दमन की हाई प्रोफाइल घटनाओं में इंस्ताबुल में सऊदी अरब के वाणिज्य दूतावास में पत्रकार जमाल खगोशी की हत्या शामिल है. साल 2018 में उनकी हत्या कर दी गई थी. रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने ब्रिटेन में अपने विरोधियों को निशाना बनाया है. इसमें साल 2006 में अलेक्जेंडर लिट्विनेंको को रेडिएशन पॉइजन देना शामिल है. इसके बाद से ब्रिटेन की जमीन पर एक दर्जन से ज्यादा रूसियों की संदिग्ध मौत हुई है, जिसमें मॉस्को के जुड़े होने का संदेह है.

फ्रीडम हाउस की रिसर्च डायरेक्टर याना गोरोखोव्स्काया ने दि गार्जियन को बताया, 

 हर साल हम अमेरिका, कनाडा, यूके, फ्रांस, जर्मनी और स्वीडन जैसे जगहों पर मामले दर्ज करते हैं. इसे जानकर लोगों को हैरानी होगी कि डेमोक्रेसी में ऐसा होता है. क्योंकि मुझे लगता है कि यहां एक लेवल की सिक्योरिटी होती है. और तानाशाह लोकतांत्रिक देशों में नहीं पहुंच सकते.

ईरान भी अपने से असहमत निर्वासित नागरिकों को निशाने बनाने में टॉप 10 में शामिल है. रिसर्च के दौरान इसके खिलाफ 47 मामले दर्ज किए गए हैं. हाल के वर्षों में इनमें से कई अभियानों का सार्वजनिक रूप से पर्दाफाश भी हुआ है.

साल 2023 में बीबीसी के फारसी न्यूज आउटलेट के पत्रकारों को ऑफेंसिव और यौन उत्पीड़न की धमकी भरे मैसेजेज के जरिए टारगेट किया गया था. वहीं मार्च 2024 में फारसी भाषा के न्यूज चैनल ईरान इंटरनेशनल के एक एंकर को साउथ लंदन के विंबलडन में उनके घर के बाहर चाकू मार दिया गया था.

 अंतरराष्ट्रीय दमन का सबसे ज्यादा निशाना मुसलमानों को बनाया जाता है. दुनिया भर में टार्गेटेड घटनाओं में 64 फीसदी उनके खिलाफ होती हैं. 

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