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बेटे की चाह में पैदा कर दीं नौ बेटियां, हरेक के नाम में दिखता है 'पुत्र प्राप्ति का सपना'

ये कपल पूर्वी चीन स्थित शियांगसू के हुआइयान गांव में रहता है. दंपती को बेटा चाहिए था. लेकिन हुई बेटियां. वक्त बीतता गया लेकिन कपल की बेटे की चाह खत्म नहीं हुई, और ना ही खत्म हुआ बेटियों के पैदा होने का सिलसिला.

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बेटे की इच्छा में चीनी कपल ने 'नौ बेटियों' को जन्म दिया. (साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट)

“एक लड़का होता, तो परिवार पूरा हो जाता”, इस चक्कर में एक कपल ने नौ बेटियां पैदा कर लीं. आप सोच रहे होंगे हम भारत से जुड़ा कोई मामला बताने जा रहे हैं. लेकिन नहीं, ‘बेटा तो चाहिए’ वाली ये सोच दूसरे देशों में भी है. पुत्र प्राप्ति के लिए चीन में एक दंपती ने ना सिर्फ कई बेटियां पैदा कर लीं, बल्कि उनके नाम तक में 'भाई' लगा दिया. दो-तीन नहीं, सारी बेटियों केेे नामों में (Couple produced 9 daughters for son).

साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट के मुताबिक ये कपल पूर्वी चीन स्थित शियांगसू के हुआइयान गांव में रहता है. दंपती को बेटा चाहिए था. लेकिन हुई बेटियां. वक्त बीतता गया लेकिन कपल की बेटे की चाह खत्म नहीं हुई, और ना ही खत्म हुआ बेटियों के पैदा होने का सिलसिला. इंसान के हठ और कुदरत के इत्तेफाकों ने परिवार में बेटियों की तादात नौ कर दी. हालांकि दंपती ने बेटियों पालन-पोषण में कोई कमी नहीं रखी, लेकिन बेटा होने की उम्मीद भी नहीं गई.

पिता की ये उम्मीद बेटियों के नामों तक में दिखती है. उसने हर बेटी के नाम में ‘Di’ लगा दिया है. SCMP के मुताबिक चीनी भाषा में इसका मतलब है 'भाई'. इस कारण हर बेटी के नाम बेहद दिलचस्प है. 

- पहली बेटी का नाम है ‘झाओदी’. इसका मतलब है ‘भाई की प्रार्थना’. झाओदी की उम्र 60 साल हो गई है.
- दूसरी बेटी का नाम ‘पांडी’ और तीसरी बेटी का नाम ‘वांगडी’ है. दोनों का मतलब है ‘भाई के इंतजार में’. 
- चौथी बेटी ‘शियांगडी’ है. उनके नाम का अर्थ है ‘भाई के बारे में सोचना’. 
- पांचवीं बेटी ‘लाइडी’ है, यानी ‘भाई आ रहा है’. 
- छठवीं बेटी ‘यिंगडी’ है, यानी ‘भाई का स्वागत है’. 
- सातवें नंबर की बेटी का नाम ‘निआंदी’ है, जिनका नाम दर्शाता है ‘भाई की कमी खल रही है’.
- आठवीं बेटी के नाम में बेटा ना होने की निराशा दिखती है. ‘चौडी’, यानी ‘भाई से नफरत’.
- लेकिन नौंवी बेटी की पैदाइश पर कपल फिर से बेटे का सपना देखने लगता है. बेटी का नाम ‘मेंगडी’ है जिसका मतलब है ‘एक भाई का सपना’.

रिपोर्ट के मुताबिक इस साल मार्च की शुरुआत में Xiangdi ने एक पॉपुलर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अपनी डेली लाइफ के बारे में पोस्ट करना शुरू किया था. इसी से उनका पूरा परिवार सुर्खियों में आ गया. शियांगडी अपनी पोस्ट में बताती हैं, 

"जब हम छोटे थे, तो हम साथ खेलते थे. लड़ते थे और झगड़ते थे. बड़े होने पर हम हंसते थे. बहनें जीवन भर के लिए मेरी सबसे अच्छी दोस्त हैं. मुझे उनका साथ पाकर बहुत खुशी होती है."

एक अन्य पोस्ट में लिखा था,

“गरीब किसान होने के बावजूद हमारे पिता ने हमारी पढ़ाई का पूरा ध्यान रखा. वो अक्सर मां से कहते थे कि बेटियों में क्या बुराई है? मुझे लड़कियां पसंद है. मैं उन्हें पढ़ाई के लिए पूरा सपोर्ट करुंगा.”

चीनी समाज में भी 'बेटे की चाह' देखने को मिलती है. आज भी कई जगह एक परिवार में बेटे का होना इसलिए जरूरी माना जाता है, ताकि वो बुढ़ापे में अपने माता-पिता का ख्याल रख सके. दलील वही पुरानी, कि बेटियां शादी के बाद दूसरे घर चली जाती हैं. हालांकि, रिपोर्ट बताती है कि अब ये धारणा बदल रही है. नए कपल बेटियों को प्राथमिकता देते हैं, खासकर बड़े शहरों में.

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