नंदी ने त्रिपुरा स्पोर्ट्स कांउसिल के सेक्रेटरी को 9 फरवरी 2012 को एक लम्बा खत लिखा था. उन्होंने लिखा कि जिम्नास्टिक फेडरेशन ऑफ इंडिया के चीफ कोच गुरदयाल सिंह बावा दीपा के करियर को नुकसान पहुंचा रहे हैं.नंदी जो खुद पांच बार नेशनल चैंपियन रह चुके हैं, लेटर में लिखते हैं कि जब बांग्लादेश में एक टूर्नामेंट के दौरान पक्षपात करते हुए दीपा को दूसरे स्थान पर रखने का मुद्दा उन्होंने उठाया तो बावा ने उन्हें अगरतला आकर छड़ी से पीटने की धमकी दी थी. नंदी ने लिखा है कि मैंने उनसे कहा कि आप चाहें तो पिस्तौल लेकर भी आ सकते हैं.
बांग्लादेश वाले इंसीडेंट के बारे में उन्होंने लिखा है कि दिसंबर 2011 में सुल्ताना कमाल चैंपियनशिप थी ढाका में. ये चैंपियनशिप मीनाक्षी ने जीती थी, जबकि दीपा की परफॉर्मेंस मीनाक्षी से ज्यादा अच्छी थी. दीपा को जानबूझकर साजिश करके दूसरे नम्बर पर रखा गया. इसलिए की मीनाक्षी गुरदयाल सिंह बावा की शिष्या थी.
जिम्नास्ट्स के साथ चीफ कोच बावा. (फोटो: फेसबुक)
और जब नंदी ने आवाज़ उठाई तो बावा ने धमकी दी कि तुम्हारा औऱ तुम्हारी शिष्या दीपा दोनों का करियर खत्म कर दूंगा. घबराए नंदी ने त्रिपुरा स्पोर्ट्स काउंसिल को मामले को देखने और उनका व दीपा का करियर बचाने के लिए खत लिखा था.2014 में ग्लास्गो में कॉमनवेल्थ गेम्स में जिम्नास्ट टीम भेजने को लेकर मतभेद थे. दीपा ने टीम में जगह बनाई और उसने इसमें कांस्य पदक भी जीता था.
उनके मुताबिक बावा द्रोणाचार्य अवॉर्ड पाने के लिए लॉबिंग कर रहे हैं. आईएएनएस से लोपामुद्रा घोष ने कहा है कि वो अपने कोच के रूप में योगदान के लिए द्रोणाचार्य अवॉर्ड पाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन उन्होंने देश को एक भी अच्छा खिलाड़ी नहीं दिया है. जबकि नंदी अपने समय के सबसे बेहतरीन जिम्नास्ट रहे हैं.
लोपामुद्रा घोष और कुछ दूसरे पुराने जिम्नास्ट खिलाड़ी बिशेस्वर नंदी को द्रोणाचार्य अवॉर्ड दिलाने के लिए फेसबुक पर कैंपेन चला रहे हैं. वो चाहते हैं कि ये अवार्ड बावा के बजाय नंदी को मिले.
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