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छत्तीसगढ़: बलौदा बाजार में ड्रोन से हो रही निगरानी, तनाव के मद्देनजर 60 गिरफ्तार

सतनामी समुदाय द्वारा पूजित 'जैतखंभ' को अज्ञात लोगों ने तोड़ दिया था. इससे सतनामी समुदाय में व्यापक आक्रोश फैल गया है. तनावग्रस्त क्षेत्र में ड्रोन से निगरानी की जा रही है.

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ड्रोन के जरिए निगरानी की जा रही है. (फ़ोटो - आजतक)

छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के बलौदा बाज़ार में चल रहा प्रदर्शन उग्र हो गया. इलाक़े में तनावपूर्ण स्थिति है. इस बीच पुलिस ने हिंसा और आगजनी के आरोप में 60 से ज़्यादा लोगों को हिरासत में लिया है. उनसे पूछताछ की जा रही है. 10 जून को इस भीड़ ने ज़िला कलेक्ट्रेट में तोड़-फोड़ की थी (Collector’s office set on fire in Chhattisgarh) . साथ ही, बिल्डिंग में आग भी लगा दी थी. पूरी घटना में 25 से ज़्यादा पुलिसकर्मी गंभीर रूप से घायल हो गए हैं. प्रदर्शनकारियों ने CCTV कैमरे भी तोड़ दिए थे. दरअसल, 17 मई को सतनामी समुदाय द्वारा पूजित 'जैतखंभ' को अज्ञात लोगों ने तोड़ दिया था (unidentified persons had vandalised ‘Jaitkhamb’) . इससे सतनामी समुदाय में व्यापक आक्रोश फैल गया. ये 'जैतखंभ' बलौदा बाज़ार ज़िले के गिरौदपुरी धाम में पवित्र अमर गुफा के पास स्थित है. मामले को पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने चिंता जनक बताया है. वहीं, मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने DGP को तलब किया है.

जानकारी के मुताबिक़, विरोध प्रदर्शन के लिए सतनामी समाज के लोग बलौदा बाज़ार पहुंचे थे और CBI जांच की मांग कर रहे थे. इस प्रदर्शन में दशहरा मैदान में एकजुट होकर विरोध जता रहे लोग देखते ही देखते उग्र हो गए. सतनामी समाज के लोगों ने कलेक्ट्रेट को घेरा लिया और जमकर विरोध प्रदर्शन किया. स्थिति की गंभीरता को देखते हुए मौक़े पर भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया था. CCTV तोड़े जाने के बाद ड्रोन से निगरानी की गई. ड्रोन के फुटेज के आधार पर लोगों की पहचान की जा रही है और उन्हें हिरासत में लिया जा रहा है.

इंडिया टुडे से जुड़ीं सुमी राजाप्पन की रिपोर्ट के मुताबिक़, 10 जून को बलौदा बाज़ार के दशहरा मैदान में छत्तीसगढ़ सतनामी समाज के लोग इकट्ठा हुए थे. प्रदेश भर से 7 से 8 हज़ार लोग जमा हुए थे. प्रदर्शन में शामिल प्रमुख लोगों को गार्डन चौक पर ज्ञापन देने की सलाह दी गई, लेकिन उन्होंने सलाह को मानने के मना कर दिया. भीड़ रैली के रूप में नारे लगाते हुए आगे बढ़ी. गार्डन चौक के पास लगाए गए बैरिकेड को तोड़ दिया गया. इसके बाद पूरी रैली नेतृत्वहीन हो गई. इसके बाद भीड़ ने आगे बढ़ते हुए चक्रपाणि स्कूल के पास एक बड़े बैरिकेड को तोड़ा. साथ ही, ड्यूटी में तैनात पुलिस अफ़सरों और कर्मचारियों के साथ धक्का-मुक्की की, उन्हें लाठियों से पीटा और पथराव करते हुए आगे बढ़े.

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पुलिस ने उन्हें रोकने की कोशिश की. लेकिन भीड़ हिंसक हो गई. लोग पास खड़े फ़ायर ब्रिगेड पर चढ़ गए और उसे तोड़ दिया. इसके बाद भीड़ कलेक्ट्रेट पहुंची. वहां पुलिस अफ़सरों और कर्मचारियों को लाठी-डंडों से पीटा. भीड़ ने कलेक्ट्रेट परिसर में खड़ी करीब 100 मोटरसाइकिलों और 30 से ज़्यादा चारपहिया वाहनों में तोड़फोड़ कर आग लगा दी. पुलिस कार्यालय के संयुक्त कार्यालय भवन में भी आग लगा दी गई. इससे पुलिस कार्यालय के रिकॉर्ड भी जल गए. इस हिंसा में भीम आर्मी, भीम रेजिमेंट और भीम क्रांतिवीर सेना के कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों का नाम सामने आया है.

बता दें, सतनाम पंथ एक धार्मिक आंदोलन है. इसकी स्थापना छत्तीसगढ़ के 19वीं सदी के धार्मिक नेता गुरु घासीदास ने की थी. इस संप्रदाय में ज़्यादातर दलित शामिल हैं.

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