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छत्तीसगढ़ के बलौदा बाजार में सतनामी समाज के लोगों ने कलेक्ट्रेट ऑफिस में आग क्यों लगा दी?

सतनामी समाज अपने धार्मिक प्रतीक 'जैतखाम' को तोड़े जाने का विरोध कर रहे हैं. जिले में भारी हिंसा के बाद राज्य के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने DGP को तलब किया है.

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सतनामी समाज का प्रदर्शन उग्र हो गया. (फोटो- आज तक)

छत्तीसगढ़ के बलौदा बाजार जिले में सतनामी समाज का प्रदर्शन हिंसक घटनाओं में बदल गया. 10 जून को भीड़ ने जिला कलेक्ट्रेट में तोड़-फोड़ की और बिल्डिंग में आग भी लगा दी. आसपास कई गाड़ियां भी आग में लिपटी दिख रही हैं. घटना के कई वीडियो सामने आए हैं, जिनमें लोग कलेक्ट्रेट दफ्तर में पत्थरबाजी करते दिख रहे हैं. सतनामी समाज अपने धार्मिक प्रतीक 'जैतखाम' को तोड़े जाने का विरोध कर रहे हैं. जिले में भारी हिंसा के बाद राज्य के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने DGP को तलब किया है.

सतनामी समाज को सतनामपंथ, सतनामी विद्रोह या साधनपंथ भी कहा जाता है. राज्य में इनकी आबादी करीब 25 लाख है. ये संप्रदाय असल में रविदसिया संप्रदाय की एक शाखा माना जाता है. मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो छत्तीसगढ़ के 98% अनुसूचित जाति के लोग इसी संप्रदाय में हैं. सतनाम समाज के प्रवर्तक बाबा गुरु घासीदास की तपोभूमि गिरौदपुरी में है. आज की हिंसक घटना गिरौदपुरी से ही जुड़ी हुई है.

क्यों हुआ विरोध प्रदर्शन?

इंडिया टुडे से जुड़ीं सूमी राजप्पन की रिपोर्ट के मुताबिक, 15-16 मई की दरमियानी रात गिरौदपुरी के अमर गुफा में कुछ लोगों ने तोड़-फोड़ की थी. यहां सतनामी समाज के प्रतीक चिन्ह जैतखाम को तोड़ दिया गया था. अगले दिन सतनामी समाज के लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया था. शिकायत पर पुलिस ने एक केस दर्ज कर 3 लोगों को गिरफ्तार भी किया था. लेकिन समाज के लोग शांत नहीं हुए. उनका आरोप है कि प्रशासन दोषियों को बचा रहा है. वे सीबीआई जांच की मांग कर रहे हैं.

इसी मांग को लेकर सतनामी समाज ने 10 जून को कलेक्टर और एसपी कार्यालय घेराव का आयोजन किया था. समाज ने अपने इस घेराव को लेकर एक बयान में लिखा कि पहले भी धरमपुरा (कवर्धा), जरहागांव (बिलासपुर) जैसी जगहों पर जैतखाम और सामाजिक भवन को तोड़ा गया था. सतनामी समाज का ये भी आरोप है कि उनके जनप्रतिनिधि और कर्मचारियों के साथ प्रशासन जातिगत शोषण और उपेक्षा कर रहा है.

दैनिक भास्कर एक रिपोर्ट बताती है कि सतनामी समाज के लोग हर गांव किसी चबूतरे या प्रमुख जगह पर खंभे में सफेद झंडा लगाते हैं. जैतखाम मूलरूप से इसी झंडे का नाम है और इस समाज का प्रतीक है. सबसे बड़ा जैतखाम गिरौदपुरी में है, जिसकी ऊंचाई करीब 77 मीटर है.

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आगजनी और तोड़फोड़ के बाद जिले के एसपी सदानंद कुमार ने मीडिया को बताया कि सतनाम समाज के लोगों ने शांतिपूर्वक प्रदर्शन का आश्वासन दिया था. उन्होंने कहा कि प्रदर्शनकारी अचानक बैरिकेड तोड़कर कलेक्ट्रेट परिसर में घुस गए और बिल्डिंग को आग लगा दी.

आग लगने की घटना के बाद वहां 7 फायर ब्रिगेड की गाड़ियां पहुंची. लेकिन प्रदर्शनकारियों ने फायर ब्रिगेड की दो गाड़ियां को भी आग लगा दी. गाड़ियों के ऊपर चढ़ गए. कुछ वीडियो में लोग कलेक्ट्रेट बिल्डिंग के ऊपर भी चढ़े नजर आ रहे हैं.

भूपेश बघेल ने सरकार को जिम्मेदार ठहराया

छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने घटना के बाद सरकार पर सवाल उठाए हैं. साथ ही लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की है. उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा, 

"बलौदा बाजार में हुई हिंसा की घटना चिंताजनक है. अगर शासन-प्रशासन ने समय पर आवश्यक कदम उठाए होते तो लोगों की नाराज़गी को इस हद तक जाने से रोका जा सकता था. सतनामी समाज बाबा घासीदास के बताए शांति और सद्भाव के रास्ते पर चलने वाला समाज है. मैं समाज के लोगों से शांति बनाए रखने की अपील करता हूं."

एक दिन पहले, 9 जून को राज्य के डिप्टी सीएम और गृह मंत्री विजय शर्मा ने सोशल मीडिया पर बताया था कि इस घटना की न्यायिक जांच करवाई जाएगी. इसके बावजूद इतना बड़ा हिंसक प्रदर्शन हुआ.

अब घटना के बाद रिपोर्ट आई है कि मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने डीजीपी को बुलाकर एक बैठक की है. इसमें घटना को लेकर पूरी रिपोर्ट मांगी गई है.

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