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छत्तीसगढ़ में आने वाला है धर्मांतरण कानून, जानिए ड्राफ्ट में क्या-क्या है

Anti Conversion Law: धर्म परिवर्तन करने की इच्छा रखने वाले शख्स को 60 दिन पहले व्यक्तिगत विवरण के साथ एक फॉर्म भरना होगा. और इसे जिला मजिस्ट्रेट के पास जमा करवाना होगा. जिसके बाद मजिस्ट्रेट धर्मांतरण के असल इरादे, कारण और उद्देश्य की जांच करने के लिए कहेंगे.

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छत्तीसगढ़ के मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने धर्मांतरण सुरक्षा कानून को लेकर सदन को सूचित किया. (फाइल फोटो: आजतक)

छत्तीसगढ़ में बीजेपी सरकार धर्मांतरण को लेकर कानून(Chhattisgarh anti conversion law) ला सकती है. कैबिनेट मंत्री बृजमोहन अग्रवाल (Brijmohan Agarwal) ने सदन को इस बारे में जानकारी दी. उन्होंने बताया कि विधानसभा सत्र में इसको लेकर विधेयक पेश किया जाएगा. विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने धर्मांतरण का मुद्दा भी उठाया था. धर्मांतरण कानून को लेकर मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने बताया,

'छत्तीसगढ़ में पिछले कुछ समय से लगातार धर्मांतरण के मामले सामने आ रहे थे. कांग्रेस सरकार के दौरान भी धर्मांतरण को खूब बढ़ावा मिला है. धर्मांतरण के खिलाफ 34 मामले दर्ज किए गए हैं. वहीं 3400 से ज्यादा शिकायतें भी मिली हैं.'

इधर कांग्रेस ने इस कानून पर प्रतिक्रिया दी है. कांग्रेस नेता चरण दास महंत ने बताया कि सरकार विपक्ष से विमर्श किए बिना ही कानून बनाने जा रही है. उन्होंने कहा,

'बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर द्वारा संविधान में दिए गए अनुच्छेदों की अनदेखी हो रही है. हमारा हर धर्म से रिश्ता है. हम सब एक हैं. बिना जानकारी लिए और नियम-कायदों को बिना ध्यान में रखे धर्मांतरण को लेकर जांच कमिटी बनाना ठीक नहीं है. मैं इसकी निंदा करता हूं.'

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क्या है धर्म स्वतंत्रता विधेयक?

आजतक से जुड़ी सुमी राजाप्पन की रिपोर्ट के मुताबिक सरकार से जुड़े सूत्रों ने बताया कि विधानसभा में पेश होने वाले विधेयक में प्रावधान होगा कि धर्म परिवर्तन की इच्छा रखने वाले शख्स को 60 दिन पहले व्यक्तिगत विवरण के साथ एक फॉर्म भरना होगा. इसे जिला मजिस्ट्रेट के पास जमा करवाना होगा. जिसके बाद मजिस्ट्रेट धर्मांतरण के असल इरादे, कारण और उद्देश्य की जांच करने के लिए कहेंगे. अगर इस दौरान कुछ भी संदिग्ध मिलता तो धर्मांतरण की इजाजत नहीं दी जाएगी.

ड्राफ्ट में बताया गया कि बल, अनुचित प्रभाव, जोर-जबरदस्ती, प्रलोभन, विवाह या किसी गलत तरीके से धर्म परिवर्तन नहीं करवाया जा सकेगा. धर्मांतरण के 60 दिन के अंदर डिक्लेरेशन फॉर्म भरना होगा और सत्यापन के लिए खुद मजिस्ट्रेट के सामने पेश करना होगा.ऐसा ना होने पर धर्मांतरण को अवैध माना जाएगा. साथ ही बताया गया कि अगर धर्मांतरण को लेकर परिजनों को किसी भी तरह की आपत्ति है तो वो FIR दर्ज करवा सकते हैं. यह मामला गैर-जमानती होगा और सुनवाई सत्र अदालत में होगी. अवैध रूप से धर्म परिवर्तन करवाने में अगर कोई दोषी पाया जाता है तो उन्हें कम से कम दो से दस साल की सजा होगी.

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