चंद्रयान 3 (Chandrayaan 3) चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग (Soft Landing) करने से कुछ ही घंटे दूर है. 23 अगस्त को शाम पौने छह बजे लैंडर (Lander) के निर्धारित प्वॉइंट पर उतरने का इंतजार है. इसी लैंडर के अंदर रखा हुआ है रोवर (Rover). जो चांद के लूनर साउथ पोल से जानकारी जुटाकर भेजेगा. जान लीजिए कि लैंडिंग के बाद मिशन के ये दो जरूरी हिस्से किस तरह काम करेंगे.
Chandrayaan 3: चांद पर उतरते ही क्या करेगा लैंडर, रोवर कितनी देर बाद एक्टिव हो जाएगा?
रोवर बाहर निकलकर क्या पता करने की कोशिश करेगा, डेटा ISRO तक कैसे आएगा?

पहले बता दें कि लैंडर एक स्पेसक्राफ्ट होता है जो किसी दूसरे ग्रह या चांद की सतह पर उतरता है. फिर वहीं रुका रहता है. ये पिरामिड जैसी शेप का होता है. हल्का लेकिन मजबूत. इसके अंदर ही रोवर को रखा जाता है. माने ये लैंडर एक प्रोटेक्टिव शील्ड की तरह है जो लैंडिंग के वक्त रोवर को झटके से बचाता है. चंद्रयान 3 के लैंडर का नाम विक्रम है. कोई चूक ना हो इसलिए इस बार विक्रम लैंडर को ज्यादा मजबूत और ज्यादा सेंसर्स के साथ बनाया गया है.
विक्रम लैंडर में चार पेलोड्स लगे हैं. पहला रंभा (RAMBHA). ये चांद की सतह पर सूरज से आने वाले प्लाज्मा कणों के घनत्व, मात्रा और बदलाव की जांच करेगा. दूसरा चास्टे (ChaSTE). ये चांद की सतह की गर्मी यानी तापमान की जांच करेगा. तीसरा है इल्सा (ILSA). ये लैंडिंग साइट के आसपास भूकंपीय गतिविधियों की जांच करेगा. चौथा है लेजर रेट्रोरिफ्लेक्टर एरे (LRA). ये चांद के डायनेमिक्स को समझने की कोशिश करेगा.
लैंडिंग के करीब 15 से 30 मिनट बाद लैंडर का दरवाजा खुलेगा और अंदर से रोवर बाहर निकलेगा. रोवर एक पहिए वाली डिवाइस या व्हीकल है जो एक जगह से दूसरी जगह जा सकती है. इसका काम होता है इधर-उधर जाकर जगह को एक्सप्लोर करना. रिसर्च करना.
चंद्रयान 3 के रोवर का नाम है प्रज्ञान. प्रज्ञान रोवर पर दो पेलोड्स लगे हैं. पहला है लेजर इंड्यूस्ड ब्रेकडाउन स्पेक्ट्रोस्कोप (Laser Induced Breakdown Spectroscope - LIBS). ये चांद की सतह पर मौजूद केमिकल्स यानी रसायनों की मात्रा और गुणवत्ता की स्टडी करेगा. साथ ही खनिजों की खोज करेगा.
प्रज्ञान पर दूसरा पेलोड है अल्फा पार्टिकल एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर (Alpha Particle X-Ray Spectrometer - APXS). ये एलिमेंट कंपोजिशन की स्टडी करेगा. जैसे- मैग्नीशियम, अल्यूमिनियम, सिलिकन, पोटैशियम, कैल्शियम, टिन और लोहा. इनकी खोज लैंडिंग साइट के आसपास चांद की सतह पर की जाएगी.
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बेंगलुरु पहुंचेगा डेटाये सारा डेटा रोवर लैंडर को मैसेज करेगा. फिर लैंडर उसे बेंगलुरु स्थित इंडियन डीप स्पेस नेटवर्क (IDSN) में भेजेगा. जरुरत पड़ने पर इस काम के लिए प्रोपल्शन मॉड्यूल और चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर की मदद भी ली जा सकती है.
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