चंडीगढ़ को नया मेयर मिल गया है. 30 जनवरी को Chandigarh Mayor पद के लिये हुए चुनाव में बीजेपी कैंडिडेट मनोज सोनकर (Manoj Sonkar) को जीत मिली है. ये भाजपा के लिये एक सुखद आश्चर्य था और आम आदमी पार्टी - कांग्रेस गठबंधन के लिये दुखद. सुख-दुख तो ठीक है, लेकिन आश्चर्य कैसे? ऐसे, कि कांग्रेस-AAP गठबंधन के पास थे कुल 20 वोट और भाजपा के पास कुल 16 वोट. फिर भी जीत भाजपा की हुई. INDIA गठबंधन प्रत्याशी कुलदीप टीटा (Kuldeep Tita) को 12 वोट मिले और मनोज सोनकर को 16. आप पूछेंगे कि कांग्रेस-आप के बाकी 8 वोट कहां गए? तो जवाब है - पीठासीन अधिकारी ने इन्हें ‘इनवैलिड’ करार दिया.
चंडीगढ़ मेयर चुनाव: कांग्रेस-आप के पास 20 वोट, भाजपा के पास 16, फिर भी जीत भाजपा की!
पीठासीन अधिकारी ने INDIA गठबंधन के 8 वोट इनवैलिड करार दिये. इसपर जमकर बवाल हुआ.
वोट इनवैलिड करार देने पर जमकर हंगामा हुआ है. कांग्रेस के पास 7 वोट थे, जबकि आम आदमी पार्टी के पास 13 वोट थे. लेकिन इसमें से 8 वोट इनवैलिड करार दिए जाने के चलते गिने नहीं गये. इल्ज़ाम ये भी लग रहा है कि पीठासीन अधिकारी अनिल मसीह इन इनवैलिड मतों को लेकर मौके से निकल गए और भाजपा प्रत्याशी को विजेता घोषित कर दिया गया.
चुनाव को लेकर कांग्रेस और आप की तरफ से पीठासीन अधिकारी अनिल मसीह पर कई वोटों के साथ छेड़छाड़ के आरोप लगाए गए हैं. कांग्रेस और आप पार्षदों का आरोप हैं कि अनिल मसीह वीडियो में कई वोटों पर पेन चलाते हुए नजर आए हैं.
पहले 18 जनवरी को होना था चुनावइससे पहले चंडीगढ़ प्रशासन की तरफ से चुनाव को टालने का आदेश दिया गया था. चंडीगढ़ के डिप्टी कमिश्नर ने मेयर चुनाव की तारीख 18 जनवरी से स्थगित कर छह फरवरी करने का आदेश दिया था, जिसे पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी. कोर्ट की तरफ से 24 जनवरी के आदेश में 30 जनवरी को चुनाव कराने का आदेश दिया गया था. अदालत ने स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव की आवश्यकता पर जोर दिया था. इससे पहले कांग्रेस ने 2022 और 2023 में मतदान में हिस्सा नहीं लिया था. उन चुनावों में बीजेपी की जीत हुई थी.
इस चुनाव को लेकर नगर निगम परिसर के आसपास चंडीगढ़ पुलिस ने धारा 144 लगा दी थी. निगम परिसर में अर्धसैनिक बलों के साथ करीब 800 पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया था. इसके अलावा तीन स्तरीय बैरिकेडिंग की गई थी.
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