झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के नेता चम्पाई सोरेन (Champai Soren) भाजपा में शामिल हो सकते हैं. उन्होंने इस बात के संकेत दिए हैं कि वो अपनी पार्टी छोड़ सकते हैं. वहीं बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और हिंदूस्तानी आवाम मोर्चा (HAM) के नेता जीतन राम मांझी (Jitan Ram Manjhi) ने संकेत दिए हैं कि चम्पाई BJP में शामिल हो सकते हैं. राज्य में विधानसभा चुनाव से पहले इस फेरबदल की संभावना पर बहस तेज हो गई है.
जीतन राम मांझी ने ऐसा क्या पोस्ट कर दिया कि चम्पाई सोरेन की चर्चा तेज हो गई? हेमंत सोरेन ने भाजपा पर ये आरोप लगा दिया
Champai Soren: झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता चम्पाई सोरेन के दिल्ली पहुंचने के बाद से ही Jharkhand Politics में बड़े बदलाव की अटकलें लग रही हैं. अब Jitan Ram Manjhi ने भी इस बात के संकेत दिए हैं. वहीं दूसरी ओर चम्पाई ने खुद ही बताया है कि उनकी पार्टी में उनका अपमान किया गया.

जीतन राम मांझी ने सोशल मीडिया पर X पर लिखा है कि NDA में चम्पाई सोरेन का स्वागत है. उन्होंने चम्पाई सोरेन को टैग करते हुए लिखा है,
"चम्पाई दा आप टाइगर थे,टाइगर हैं और टाइगर ही रहेंगे. NDA परिवार में आपका स्वागत है."
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किस बात की है नाराजगी?31 जनवरी, 2024 को ED ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को गिरफ्तार कर लिया था. ये मामला रांची के बड़गाई इलाके में 8.86 एकड़ जमीन के जाली दस्तावेज तैयार करने से जुड़ा था. गिरफ्तारी से पहले हेमंत सोरेन ने CM पद से इस्तीफा दिया. और उनकी जगह चम्पाई सोरेन को मुख्यमंत्री बनाया गया. इसके बाद 28 जून को हेमंत को जमानत मिली और वो जेल से बाहर आ गए. इसके बाद 3 जुलाई को चम्पाई सोरेन से इस्तीफा ले लिया गया. और एक बार फिर से हेमंत झारखंड के मुख्यमंत्री बन गए.
चम्पाई सोरेन ने अपने पोस्ट में इसी बारे में लिखा है. उन्होंने कहा है कि अपने कार्यकाल में उन्होंने अपने सभी कर्तव्यों का पालन किया लेकिन इस दौरान उनका अपमान किया गया. उन्होंने लिखा है,
"आत्म-सम्मान पर चोट लगी""हूल दिवस (30 जून) के अगले दिन, मुझे पता चला कि अगले दो दिनों के मेरे सभी कार्यक्रमों को पार्टी ने स्थगित कर दिया है. इसमें एक सार्वजनिक कार्यक्रम दुमका में था, जबकि दूसरा कार्यक्रम पीजीटी शिक्षकों को नियुक्ति पत्र वितरण करने का था. पूछने पर पता चला कि गठबंधन द्वारा 3 जुलाई को विधायक दल की एक बैठक बुलाई गई है, तब तक आप CM के तौर पर किसी कार्यक्रम में नहीं जा सकते. क्या लोकतंत्र में इस से अपमानजनक कुछ हो सकता है कि एक मुख्यमंत्री के कार्यक्रमों को कोई अन्य व्यक्ति रद्द करवा दे? अपमान का ये कड़वा घूंट पीने के बावजूद मैंने कहा कि नियुक्ति पत्र वितरण सुबह है, जबकि दोपहर में विधायक दल की बैठक होगी, तो वहां से होते हुए मैं उसमें शामिल हो जाऊंगा. लेकिन, उधर से (पार्टी की ओर से) साफ इनकार कर दिया गया."
उन्होंने लिखा कि इसके बाद वो अंदर से टूट गए. उन्होंने समझ नहीं आया कि आगे क्या करना चाहिए. उन्होंने आगे लिखा,
Champai Soren के पास हैं तीन विकल्प"दो दिन तक, चुपचाप बैठ कर आत्म-मंथन करता रहा, पूरे घटनाक्रम में अपनी गलती तलाशता रहा. सत्ता का लोभ रत्ती भर भी नहीं था, लेकिन आत्म-सम्मान पर लगी इस चोट को मैं किसे दिखाता? अपनों द्वारा दिए गए दर्द को कहां जाहिर करता?"
जब विधायक दल की बैठक बुलाई गई थी तब CM चम्पाई थे. उन्होंने लिखा कि विधायक दल की बैठक बुलाने का अधिकार मुख्यमंत्री का होता है, लेकिन उन्हें बैठक का एजेंडा तक नहीं बताया गया था. बैठक के दौरान उनसे इस्तीफा मांगा गया. उन्होंने आगे लिखा,
“ऐसा लगा, मानो उस पार्टी में मेरा कोई वजूद ही नहीं है, कोई अस्तित्व ही नहीं है, जिस पार्टी के लिए हम ने अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया. इस बीच कई ऐसी अपमानजनक घटनाएं हुईं, जिसका जिक्र फिलहाल नहीं करना चाहता. इतने अपमान एवं तिरस्कार के बाद मैं वैकल्पिक राह तलाशने हेतु मजबूर हो गया. मैंने भारी मन से विधायक दल की उसी बैठक में कहा कि- आज से मेरे जीवन का नया अध्याय शुरू होने जा रहा है. इसमें मेरे पास तीन विकल्प थे. पहला- राजनीति से संन्यास लेना, दूसरा- अपना अलग संगठन खड़ा करना और तीसरा- इस राह में अगर कोई साथी मिले, तो उसके साथ आगे का सफर तय करना."
उन्होंने कहा कि उस दिन से लेकर आज तक, और आगामी झारखंड विधानसभा चुनावों तक, इस सफर में उनके लिए सभी विकल्प खुले हुए हैं. 18 अगस्त को चम्पाई सोरेन दिल्ली पहुंचे थे. तब से इस बात की अटकलें लगाई जा रही हैं कि वो BJP में शामिल हो सकते हैं. इस बीच हेमंत सोरेन ने BJP पर विधायकों की खरीद-फरोख्त और समाज को बांटने का आरोप लगाया है.
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