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"केवल वेज वालों को बैठने की अनुमति है", IIT बॉम्बे के मेस में लगे पोस्टर का पूरा विवाद क्या है?

IIT बॉम्बे में नॉन-वेज खाने वाले स्टूडेंट को अपमानित करने का आरोप लगा है.

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IIT बॉम्बे और मेस में कथित तौर पर लगाया गया पोस्टर (फोटो- आजतक/@AppscIITb)

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, बॉम्बे यानी IIT बॉम्बे में एक विवाद छिड़ गया है. ये विवाद है वेज और नॉन-वेज खाने वालों के लिए मेस में बैठने की जगह को लेकर. इंडिया टुडे के दीपेश त्रिपाठी की रिपोर्ट के मुताबिक, इंस्टीट्यूट के हॉस्टल की एक कैंटीन में एक स्टूडेंट ने नॉन-वेज खाने वाले दूसरे स्टूडेंट को कथित तौर पर अपमानित किया. बताया जा रहा है कि मेस में वेज खाने वालों के लिए जगह रिजर्व की गई है. उस जगह पर नॉन-वेज खाने वाले छात्रों को बैठने से मना किया गया.

नाम नहीं लिखने की शर्त पर IIT बॉम्बे के एक छात्र ने इंडिया टुडे को बताया कि हालिया घटना कुछ दिन पहले की है. ये सब हॉस्टल नंबर 12 की कैंटीन में हुआ. छात्र के मुताबिक, कुछ स्टूडेंट ने कैंटीन की दीवारों पर एक पोस्टर लगाया है जिस पर लिखा है, 

“केवल शाकाहारियों को यहां बैठने की अनुमति है.”

इस घटना के विरोध में कुछ छात्रों ने पोस्टर फाड़ दिए. सोशल मीडिया पर एक अभियान शुरू करते हुए कहा कि ये चीजें भेदभाव करती हैं. अंबेडकर पेरियार फुले स्टडी सर्कल (APPSC) नाम के एक स्टूडेंट ग्रुप ने इस मामले की जानकारी दी है. ये ग्रुप IIT बॉम्बे के छात्रों से जुड़े मुद्दों पर काम करता है. APPSC ने ट्विटर पर वो पोस्टर डाला है, जिसे लेकर विवाद हुआ है. साथ ही, इस संदर्भ में हॉस्टल के जनरल सेक्रेटरी का एक मेल और कुछ महीने पहले दायर की गई एक RTI एप्लिकेशन भी शेयर की है. 

APPSC की ओर से ट्वीट किया गया, 

"RTI और हॉस्टल के जनरल सेक्रेटरी का मेल दिखाता है कि इंस्टीट्यूट में खाने के आधार पर कुछ अलग-थलग करने की पॉलिसी नहीं है. फिर भी कुछ लोगों ने खुद मेस के कुछ एरिया को "केवल शाकाहारियों के लिए" बना दिया और दूसरे छात्रों को वहां से उठने के लिए मजबूर कर रहे हैं."

वहीं हॉस्टल नंबर 12 के जनरल सेक्रेटरी के नाम जो ईमेल शेयर किया गया है, उसके मुताबिक शाकाहारी छात्रों के लिए अलग से बैठने की कोई जगह नहीं है. ईमेल में बताया गया है कि कैंटीन में ‘जैन खाने’ का एक काउंटर है, लेकिन जैन खाना खाने वालों के लिए बैठने की कोई जगह तय नहीं है. ईमेल में इस तरह की घटनाओं की रिपोर्ट मिलने का जिक्र किया गया है, जिसमें कुछ जगहों पर नॉन-वेज खाने वाले छात्रों को बैठने से मना किया गया.

15 जुलाई को लिखे गए ईमेल में आगे कहा गया है, 

"हम सभी को याद दिलाना चाहेंगे कि ऐसा बर्ताव स्वीकार नहीं किया जाएगा. यह आपसी सम्मान और सहिष्णुता के मूल्यों के खिलाफ है. किसी भी छात्र को ये अधिकार नहीं है कि वह किसी दूसरे छात्र को मेस के किसी भी एरिया से इस आधार पर हटा दे कि वह किसी खास लोगों के लिए रिजर्व है.''

साथ ही यह भी कहा गया कि ऐसी घटना दोबारा होने पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी. इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, इस मामले पर इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर और अधिकारियों से संपर्क करने की कोशिश की गई, लेकिन वे इस पर कुछ कहने के लिए उपलब्ध नहीं थे.

साल 2018 में भी IIT-बॉम्बे के हॉस्टल मेस में कुछ इसी तरह का विवाद हुआ था. तब नॉन-वेजिटेरियन छात्रों के लिए अलग प्लेटों का इस्तेमाल करने की मांग की गई थी. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक इस पर नॉन-वेज खाने वाले कई छात्रों ने आपत्ति जताई थी. तब मेस काउंसिल की ओर से कहा गया था कि कई शाकाहारी स्टूडेंट की इस मांग का मकसद किसी को ठेस पहुंचाना नहीं है.

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