लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) की मुश्किलें फिर से बढ़ने वाली हैं. केंद्रीय जांच एजेंसी CBI ने ‘जमीन के बदले रेलवे में नौकरी’ मामले में चार्जशीट दायर किया है, जिसमें बिहार के पूर्व सीएम और पूर्व केंद्रीय रेल मंत्री लालू यादव, उनकी पत्नी और बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी और उनकी बेटी मीसा भारती को आरोपी बनाया गया है.
क्या है 'नौकरी के बदले जमीन' घोटाला जिसमें CBI ने लालू, राबड़ी और बेटी मीसा को भी आरोपी बनाया?
इसी साल 18 मई को सीबीआई ने इस सिलसिले में एफआईआर दर्ज किया था.
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक CBI ने शुक्रवार 7 अक्टूबर को दिल्ली की अदालत में ये चार्जशीट दायर किया, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया है कि लालू यादव और उनके परिवार के लोगों ने नौकरी देने के नाम पर पटना के सात व्यक्तियों से सस्ती कीमत पर जमीनें लिखवा ली या फिर उनसे गिफ्ट के रूप में ले ली.
जांच एजेंसी ने दावा किया है कि आरोपियों ने रेलवे अधिकारियों के साथ मिलीभगत करके इस कथित घोटाले को अंजाम दिया.
चार्जशीट के मुताबिक ये जमीनें उस समय के सर्किल रेट की तुलना में काफी कम कीमत पर ली गई थीं. CBI ने यह भी कहा कैंडिडेट्स ने फर्जी ट्रांसफर सर्टिफिकेट का इस्तेमाल किया और यही फर्जी दस्तावेज रेल मंत्रालय के पास जमा किया था.
लालू परिवार के अलावा CBI ने रेलवे अधिकारियों सौम्या राघवन, कमल दीप मैनराय, सात कैंडिडेट्स (जिन्होंने कथित तौर पर अपनी जमीन लालू परिवार को ‘गिफ्ट’ की थी) और चार अन्य लोगों को आरोपी बनाया गया है.
CBI की FIR में कहा गया है कि 2004-09 के दौरान रेलमंत्री रहते हुए लालू यादव ने नियुक्ति के बदले अपने परिवार के सदस्यों के नाम जमीन ट्रांसफर करवाकर आर्थिक लाभ कमाया था. ये आरोप रेलवे के विभिन्न जोन में ग्रुप डी की भर्तियों को लेकर है.
FIR में CBI ने ये भी आरोप लगाया है कि जिन लोगों को नौकरी दी गई थी, उन्होंने पटना स्थित अपनी जमीन को लालू प्रसाद के परिजनों और परिवार द्वारा नियंत्रित एक प्राइवेट कंपनी को बेच दिया या फिर गिफ्ट में दे दिया था.
CBI के एक अधिकारी ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि पटना में करीब 1,05,292 स्क्वायर फीट जमीन को लालू परिवार को दे दिया गया था, जिसमें से जमीन के पांच टुकड़ों की ब्रिक्री हुई थी और दो गिफ्ट के रूप में दिए गए थे. अधिकारी ने कहा कि बेचने वाले व्यक्ति को कैश में पैसे दिए गए थे.
सितंबर 2021 से इस मामले में CBI ने जांच शुरु की थी, जिसके आधार पर एजेंसी ने इसी साल 18 मई को यादव और अन्य 15 लोगों के खिलाफ FIR दर्ज की थी. CBI के मुताबिक इस नियुक्ति को लेकर कोई विज्ञापन जारी नहीं किया गया था.
फिलहाल, लालू यादव अपने इलाज के सिलसिले में 10 अक्टूबर को सिंगापुर जाने वाले हैं. पिछले हफ्ते ही दिल्ली की एक अदालत ने उन्हें 25 अक्टूबर तक इलाज के लिए बाहर जाने की इजाजत दी थी.
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