कैप्टन अंशुमान सिंह के माता-पिता (Captain Anshuman Singh Parents) ने अपनी बहू स्मृति (Smriti) पर आरोप लगाए हैं. उन्होंने कहा है कि स्मृति उनके बेटे, यानी अपने पति को मिले कीर्ति चक्र को अपने साथ ले गईं. आरोप के अनुसार, वो अपने साथ एल्बम, कपड़े और अंशुमान की कुछ अन्य ‘यादें’ भी ले गईं. स्मृति फिलहाल अपने मायके गुरदासपुर में हैं. पिछले साल जुलाई में सियाचिन में टेंट और बंकरों के अंदर आग लगने से कैप्टन की मौत हो गई थी. उन्होंने बंकर में मौजूद चार जवानों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया था लेकिन खुद अंदर फंस गए थे.
'फोटो और कीर्ति चक्र लेकर मायके..' कैप्टन अंशुमान के माता-पिता ने बहू पर लगाए आरोप? नियम क्या कहता है?
Captain Anshuman Singh: कैप्टन अंशुमान सिंह के माता-पिता ने आरोप लगाया है कि उनकी बहू अपने पति की 'यादें' अपने साथ ले गईं.

कैप्टन अंशुमान सिंह के पिता का नाम रवि प्रताप सिंह है. उन्होंने इंडिया टुडे को बताया है कि उनकी बहू ने अपने बेटे के कागजातों से उनका परमानेंट एड्रेस भी बदल दिया है. ताकि उनके बेटे से जुड़ा कोई भी संवाद सीधे स्मृति के साथ ही हो. पहले एड्रेस लखनऊ था जिसे कथित तौर पर बाद में बदलकर गुरदासपुर कर दिया गया.

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रवि प्रताप ने बताया है कि कैप्टन अंशुमान और स्मृति की शादी के बाद, स्मृति उनकी बेटी के साथ नोएडा में रहने लगीं. 19 जुलाई 2023 को अंशुमान की मौत हुई. तब रवि प्रताप ने स्मृति को लखनऊ बुलाया और अंतिम संस्कार के लिए गोरखपुर गए. लेकिन तेरहवीं के बाद स्मृति वापस गुरदासपुर चली गईं. रवि के मुताबिक, स्मृति अपनी मां के साथ नोएडा गईं और वहां से फोटो एल्बम, कपड़े और अंशुमान की कुछ और चीजें लेकर चली गईं.
5 जुलाई को कैप्टन अंशुमान को राष्ट्रपति ने मरणोपरांत कीर्ति चक्र से सम्मानित किया. इस समारोह में स्मृति और अंशुमान की मां शामिल हुई थीं. अंशुमान के पिता ने कहा कि उन्होंने कीर्ति चक्र को छुआ तक नहीं. अंशुमान की मां मंजू सिंह ने बताया कि जब वो इस समारोह से आ रही थीं, तब उन्होंने कीर्ति चक्र के साथ फोटो खिंचाया. इसके बाद उनकी बहू ने कथित तौर पर उनके हाथ से कीर्ति चक्र ले लिया.
कैप्टन अशुमान की याद में सरकार ने एक स्टैचू बनवाने की घोषणा की थी. रवि प्रताप ने बताया कि उन्होंने अपनी बहू और उनके पिता को इस बारे में मैसेज किया. मैसेज में लिखा कि कम-से-कम मूर्ति के अनावरण के समय कीर्ति चक्र को वहां ले आया जाए. रवि के मुताबिक, इस मैसेज का कोई जवाब नहीं मिला.
रवि प्रताप सिंह ने एक समाचार चैनल को बताया कि उनके पास अब अपने बेटे की याद में सिर्फ उनकी एक तस्वीर बची है. जो दीवार पर टंगी है.
'NOK' क्या कहता है?ऐसे मामलों के लिए इंडियन आर्मी में एक नियम है. इसे ‘नेक्सट ऑफ किन’ कहते हैं. इसके अनुसार, अगर आर्मी के किसी सदस्य को ड्यूटी पर कुछ हो जाता है, तो अनुग्रह राशि NOK को दी जाती है. यानी कि बैंक में नॉमिनी की तरह. जब कोई व्यक्ति सेना में भर्ती होता है, तब उनके माता-पिता का नाम NOK में लिखा जाता है. लेकिन जब उनकी शादी होती है, तब इसे बदल दिया जाता है. शादी के बाद NOK में माता-पिता की जगह उनकी पत्नी का नाम दर्ज किया जाता है. कैप्टन अंशुमान के माता-पिता ने इस नियम में बदलाव की मांग की है.
खबर लिखे जाने तक कैप्टन अंशुमान की पत्नी स्मृति का पक्ष सामने नहीं आया है.
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