खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या (Nijjar Murder) को लेकर कनाडा और भारत के बीच शुरू हुए विवाद (India Canada tension) में एक हैकिंग ग्रुप की काफी चर्चा हो रही है. कनाडाई मीडिया में छपी रिपोर्ट्स के मुताबिक बीते कुछ दिनों में इस हैकिंग ग्रुप ने कनाडा की सेना समेत कई सरकारी या महत्वपूर्ण संस्थाओं की वेबसाइटों को हैक किया है. वजह? हैकिंग ग्रुप का कहना है कि ये भारत से पंगा लेने का नतीजा है.
भारत से पंगा होने के बाद कनाडा पर कौन कर रहा ताबड़तोड़ साइबर हमले?
कनाडाई मीडिया का कहना है कि हैकिंग ग्रुप ने PM Justin Trudeau के निज्जर वाले बयान का जिक्र किया, कनाडा को आतंकियों की पनाहगाह बताया!
कनाडाई न्यूज़ चैनल CBC न्यूज़ ने दावा किया है कि कनाडा की सरकार इस वक़्त साइबर हमलों से निपट रही है और इसकी जिम्मेदारी एक भारतीय हैकर ग्रुप ने ली है. ‘Indian Cyber Force’ (ICF) नाम के इस ग्रुप का दावा है कि उसने अपने हैकिंग अभियान से कनाडा के ओटावा में अराजकता पैदा कर दी है. हालांकि कनाडा की सिग्नल-इंटेलिजेंस एजेंसी का कहना है कि इन साइबर हमलों से किसी निजी जानकारी को खतरा नहीं हुआ है.
न्यूज़ एजेंसी के मुताबिक, हालांकि इन साइबर हमलों ने कनाडा के सरकारी नियंत्रण वाले कुछ संस्थानों को प्रभावित किया है, लेकिन इससे उस कोर नेटवर्क को कोई नुकसान नहीं पहुंचा है जिससे कनाडा की एजेंसियां और सरकारी विभाग संचालित होते हैं.
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कनाडा की किन वेबसाइट्स पर हमले हुए?कनाडा की आर्म्ड फ़ोर्स (सशस्त्र बल) का कहना है कि 27 सितंबर को उसकी वेबसाइट लोगों के मोबाइल फ़ोन पर काम नहीं कर रही थी. लेकिन कुछ घंटों में दिक्कत दूर कर ली गई. कनाडाई सेना के मुताबिक, उनकी ये वेबसाइट, रक्षा विभाग और सेना के अंदरूनी नेटवर्क द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली वेबसाइट से अलग है. ये कैसे बंद हुई, इसकी जांच की जा रही है.
सेना के प्रवक्ता एंड्री-ऐनी पौलिन ने अपने बयान में कहा,
“हमारे सिस्टम पर किसी बड़े प्रभाव के कोई संकेत नहीं हैं.”
ये किस तरह का हमला था? कनाडा के रक्षा मंत्री बिल ब्लेयर ने इस साइबर हमले की पुष्टि करते हुए कहा कि ये एक डिस्ट्रीब्यूटेड डिनायल-ऑफ-सर्विस (DDoS) अटैक था. इसमें कई बॉट एक साथ वेबसाइट पर विजिट करते हैं और वेबसाइट ठीक से लोड लेना बंद कर देती है. माने वेबसाइट ज्यादा लोड की वजह से काम नहीं करती.
बिल ब्लेयर ने कहा,
“ये एक बहुत सामान्य सी बात है. ऐसा अक्सर होता है. लेकिन हमारे साइबर और सिक्योरिटी ऑफिसर्स ने बहुत जल्दी कार्रवाई की.”
उन्होंने कहा कि ये एक "छोटी सी असुविधा" थी. हम इस पर आगे काम कर रहे हैं और जल्द ही कोई निर्णय लेंगे.
वहीं कनाडा की संसद के निचले सदन 'हाउस ऑफ कॉमन्स' की वेबसाइट पर साइबर अटैक के चलते वेबसाइट के पेज धीरे-धीरे या आधे-अधूरे लोड हो रहे हैं. अधिकारियों के मुताबिक, ऐसा सोमवार से ही हो रहा है.
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'हाउस ऑफ कॉमन्स' की प्रवक्ता एमिली क्रॉसन ने एक लिखित बयान में कहा,
कनाडा के चुनावों पर भी असर?"हाउस ऑफ कॉमन्स सिस्टम ने हमारे नेटवर्क और आईटी के बुनियादी ढांचे को बचाने के लिए प्लान के मुताबिक ही रेस्पॉन्ड किया. हालांकि कुछ वेबसाइट्स कुछ समय के लिए अनरेस्पॉन्सिव (बेकार) हो सकती हैं. हाउस ऑफ कॉमन्स की सपोर्ट टीम ने दिक्कत दूर करने के उपाय किए हैं. सर्विसेज को बहाल किया जा रहा है. IT टीम अभी निगरानी कर रही है."
कनाडाई मीडिया के मुताबिक, वहां की इलेक्शंस कनाडा वेबसाइट (जैसे हमारे यहां चुनाव आयोग की वेबसाइट है) पर भी बुधवार रात को एक घंटे के लिए साइबर अटैक हुआ था.
कनाडा के चुनावी कामकाज को देखने वाली इस एजेंसी ने अपने बयान में कहा,
"इस वेबसाइट पर कोई संवेदनशील डेटा या जानकारी नहीं है. ये हमारी मुख्य वेबसाइट elections.ca से अलग है. और इसे एक एक्सटर्नल सर्विस प्रोवाइडर होस्ट करता है. ये सर्विस प्रोवाइडर elections.ca को चलाने वाले नेटवर्क से किसी भी तरह नहीं जुड़ा है. हमारे सिस्टम की निगरानी रियल टाइम में कनाडाई साइबर सिक्योरिटी सेंटर करता है. जिससे हम अपने प्लेटफॉर्म और सिस्टम पर किसी भी गड़बड़ी का तुरंत पता लगा सकते हैं."
इसी तरह ओटावा अस्पताल ने भी अपनी वेबसाइट पर कुछ देर के लिए रुकावट की बात कही. लेकिन किसी नेटवर्क में किसी ब्रीच (घुसपैठ) से इनकार किया. हॉस्पिटल का कहना है कि जांच जारी है.
कनाडाई साइबर सिक्योरिटी सेंटर, वहां की सिग्नल-इंटेलिजेंस एजेंसी के तहत काम करता है. इस एजेंसी को कनाडा का कम्युनिकेशन सिक्योरिटी एस्टैब्लिशमेंट (CSE) कहा जाता है. CSE का कहना है कि उसका काम घटनाओं की पुष्टि करना नहीं, नेटवर्क का बिहेवियर कैसा है इस पर फोकस करना है.
CSE के प्रवक्ता रयान फोरमैन ने कहा,
भारतीय हैकिंग ग्रुप ने ली जिम्मेदारी"सामान्यव तौर पर DDoS (distributed denial-of-service) अटैक जानकारी को कभी-कभी ही जोखिम में डालता है और सिस्टम पर कोई स्थायी प्रभाव नहीं डालता. जियोपॉलिटिकल घटनाओं के चलते ऐसे साइबर अभियान बढ़ जाते हैं. हम किसी भी ऐसे खतरे की निगरानी करते हैं."
कनाडाई मीडिया ये भी आशंका जताता है कि इंडियन साइबर फोर्स कनाडा के छोटे उद्यमों की वेबसाइट में भी घुसपैठ करने में कामयाब रहा है. ये ग्रुप ट्विटर (अब X) पर एक्टिव है और बीते कुछ दिनों से लगातार कनाडा के कई महत्वपूर्ण कंप्यूटर नेटवर्क में घुसपैठ करने का दावा कर रहा है.
ग्रुप ने कनाडाई PM जस्टिन ट्रूडो के 18 सितंबर को संसद में दिए उस बयान का भी जिक्र किया है, जिसमें उन्होंने भारत सरकार पर खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या का आरोप लगाया था. अलग-अलग ट्वीट्स में ICF ने दावा किया है कि उसने कनाडाई सेना के अलावा वहां के कई चर्चित रेस्टोरेंट्स, मेडिकल क्लीनिक वगैरा की वेबसाइट्स हैक कर उनकेे पेज पर कई चीजें लिखित में पोस्ट की हैं. इनमें अंग्रेजी की ग्रामर और स्पेलिंग वगैरा गलत हैं. जिन वेबसाइट पर साइबर अटैक हुआ, उनका बैकग्राउंड काला हो गया और हरे रंग में मैसेज लिखे दिखे.
इन मैसेज में कनाडा को 'a heaven hub' यानी ‘आतंकवादियों की पनाहगाह’ कहा गया. कनाडा के PM ट्रूडो की भी बिना सबूत कुछ भी कहने के लिए आलोचना की गई और सिख अलगावादियों के खिलाफ भी टिप्पणी की गई.
हैकिंग ग्रुप ने कनाडा में ट्रैवल एडवाइजरी जारी करने वाली वेबसाइट- Global Affairs Canada को भी डाउन करने का दावा किया. लेकिन विभाग का कहना है कि ऐसा कुछ नहीं हुआ. बाद में हैकिंग ग्रुप ने इस दावे को अपने टेलीग्राम अकाउंट से हटा लिया.
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