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इजरायल के PM बेंजामिन नेतन्याहू के ख़िलाफ़ ICC का वॉरंट आ गया, तो गिरफ़्तार हो जाएंगे?

अंतरराष्ट्रीय आपराधिक अदालत (ICC) के अभियोजक ने हमास के नेताओं और इज़रायल के प्रधानमंत्री बेन्हामिन नेतन्याहू के ख़िलाफ़ अरेस्ट वॉरंट जारी करने की मांग की है. ग़ाज़ा में हुए कथित युद्ध अपराधों के लिए. तो क्या ICC नेतन्याहू या हमास के नेताओं को वाक़ई गिरफ़्तार कर सकती है?

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हमास के साथ नाम आने पर नेतन्याहू भड़क गए. (फ़ोटो - AP)

अंतरराष्ट्रीय आपराधिक अदालत (ICC) के अभियोजक ने हमास के नेताओं और इज़रायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के ख़िलाफ़ अरेस्ट वॉरंट जारी करने की मांग की है. ग़ाज़ा में हुए कथित युद्ध अपराधों के लिए. प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने इस क़दम को ये कहते हुए ख़ारिज किया कि ‘लोकतांत्रिक इज़रायल’ की तुलना हत्यारों (हमास) से कैसे की जा सकती है. नेतन्याहू की बात को अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने दोहराया है, कि इज़रायल और हमास के बीच कोई तुलना नहीं.

मई के पहले हफ़्ते से ही चर्चा है कि ICC नेतन्याहू और इज़रायली सेना के कई अफ़सरों के ख़िलाफ़ अरेस्ट वॉरंट जारी कर सकती है. इज़रायली मीडिया में छपी रिपोर्ट्स के मुताबिक़, इस ख़बर ने लीडरशिप को असहज कर दिया है. वे इसको रोकने की पुरज़ोर कोशिश में जुटी है. इसीलिए समझ लेना चाहिए कि क्या नेतन्याहू को गिरफ़्तार किया जा सकता है? और, ICC का अरेस्ट वॉरंट कितना असरदार होता है?

क्या ICC नेतन्याहू को गिरफ़्तार कर सकती है?

ICC युद्धअपराध, नरंसहार और मानवता के ख़िलाफ़ होने वाले अपराधों की जांच करती है, उसकी सुनवाई करती है. आरोपी व्यक्ति के ख़िलाफ़ मुकदमा चला सकती है.

इस संस्था की स्थापना वैसे तो UN की सहमति से ही हुई थी, मगर ICC यूनाइटेड नेशंस का अंग नहीं है. 124 देश इसके सदस्य हैं. उन्हीं की फ़ंडिंग से कोर्ट चलता है. अमेरिका, इज़रायल, भारत, रूस और चीन जैसे देश ICC के सदस्य नहीं हैं.

ICC में केस तीन तरीक़े से खुलता है:

  • कोई सदस्य देश अपनी सीमा में हुए अपराध की शिकायत करे.
  • UN सिक्योरिटी काउंसिल (UNSC) किसी मामले को ICC को रेफ़र करे.
  • ICC के प्रॉसीक्यूटर स्वत: संज्ञान लेकर जांच शुरू कर सकते हैं.

नॉन-मेंबर देशों में भी जांच कर सकती है, बशर्ते वो देश ICC के अधिकार-क्षेत्र को स्वीकार करे, या फिर सिक्योरिटी काउंसिल इजाज़त दे.

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मार्च, 2021 से ही ICC इज़रायल के ख़िलाफ़ जांच कर रही है. फिर अक्टूबर 2023 को हमास के रॉकेट हमले से जो जंग शुरू हुई, इसमें हज़ारों जानें गई हैं. ग़ाज़ा की हेल्थ मिनिस्ट्री के मुताबिक़, इज़रायल के हमले में 35,647 से ज़्यादा लोग मारे जा चुके हैं.

इस बीच - नवंबर 2023 में - बांग्लादेश, बोलीविया, कोमोरोस, जिबूती और साउथ अफ़्रीका ने ICC में इज़रायल के ख़िलाफ़ जांच तेज़ करनी की अपील की. ये कहते हुए कि वो ग़ाज़ा में वॉर क्राइम कर रहे हैं. इस शिकायत के बाद ICC की जांच तेज़ हुई, और बात अब नेतन्याहू समेत और इज़रायली नेताओं के ख़िलाफ़ अरेस्ट वॉरंट तक पहुंच गई है.

क्या ICC नेतन्याहू या हमास के नेताओं को वाक़ई गिरफ़्तार कर सकती है? ICC के पास अपनी कोई पुलिस नहीं है. गिरफ़्तार करने का और कोई तरीक़ा नहीं है. किसी व्यक्ति को गिरफ़्तार करने के लिए उन्हें सदस्य देश की एजेंसियों की मदद लेनी पड़ती है. मगर इज़रायल तो सदस्य देश है नहीं. लाज़मी है, उनकी पुलिस तो अपने प्रधानमंत्री को गिरफ़्तार करने में सहयोग नहीं करेगी.

एक संभावना है. अगर नेतन्याहू किसी ऐसे देश में यात्रा करते हैं, जो ICC का मेंबर हो, तो वहां से उन्हें गिरफ़्तार किया जा सकता है. हालांकि, ICC ने अब तक किसी भी हेड ऑफ़ स्टेट को गिरफ़्तार किया नहीं है. 

अरेस्ट वॉरंट का असर क्या होगा?

- इज़रायल दावा करता है कि उन्होंने ग़ाज़ा पर हमला आत्मरक्षा में किया है. नेतन्याहू इस हमले का चेहरा हैं. अगर उनके ख़िलाफ़ ICC का अरेस्ट वॉरंट जारी होता है, तो इज़रायल के मिलिटरी कैंपेन की वैधता ख़तरे में पड़ेगी. इंटरनैशनल सपोर्ट कम होगा.

- अभी तक किसी भी पश्चिमी देश या उसके सहयोगी देशों के नेताओं के ख़िलाफ़ ICC ने अरेस्ट वॉरंट जारी नहीं किया है. अगर नेतन्याहू के ख़िलाफ़ जारी होता है, तो वो लिस्ट में पहले होंगे. पश्चिमी देश ख़ुद को इंटरनैशनल लॉ और मानवाधिकारों का झंडाबरदार बताते हैं. उनके लिए नेतन्याहू का सपोर्ट करना मुश्किल हो जाएगा.

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- यूरोप के कई देश इज़रायल का सपोर्ट करते रहे हैं. उनमें से कई ICC के सदस्य हैं. अगर नेतन्याहू उन देशों के दौरे पर गए तो उन्हें वहां गिरफ़्तार किया जा सकता है.

- रूस ने पश्चिमी देशों पर दोहरेपन का आरोप लगाया है. उन्होंने पुतिन के मामले में बढ़-चढ़कर ICC का समर्थन किया था. अब ख़बर है कि अमेरिका ICC पर सैंक्शन लगा सकता है. उनका पीछे हटना या ये क़दम उनके लिए सवाल खड़े करेगा.

- इज़रायल में नेतन्याहू की छवि बुरी तरह प्भावित होगी. जनता युद्धअपराध के आरोपी को अपना नेता मानने से हिचकेगी. ये अरेस्ट वॉरंट नेतन्याहू के पॉलिटिकल करियर की आख़िरी कील साबित हो सकता है.

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