The Lallantop

Budget 2024: आज आने वाला है बजट, किसान, मिडल क्लास और कॉर्पोरेट की कितनी उम्मीदें पूरी होंगी?

ये इस साल का दूसरा बजट (Budget 2024) है. फरवरी में एक अंतरिम बजट (Interim Budget) आया था. दो बजट इसलिए कि इस साल आम चुनाव हुए हैं और चुनाव से ठीक पहले पूर्ण बजट पेश नहीं किया जा सकता.

post-main-image
वित्त मंत्री निर्मला सीतारामण का सातवां बजट. (फ़ोटो - PTI)

आज, 23 जुलाई को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) वित्त वर्ष 2024-25 के लिए केंद्रीय बजट (Union Budget) पेश करेंगी. भाजपा के नेतृत्व वाली NDA सरकार के तीसरे कार्यकाल का पहला बजट होगा. ये इस साल का पूर्ण बजट होगा. लोकसभा चुनाव से पहले 1 फरवरी को अंतरिम बजट (Interim Budget) आया था. 

लगातार सातवीं बार बजट पेश करने के साथ निर्मला सीतारमण पूर्व-प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई का रिकॉर्ड तोड़ देंगी. उनके नाम कुल 10 बजट पेश करने का रिकॉर्ड है. इसमें से 1959 से 1964 के बीच लगातार पांच पूर्ण और एक अंतरिम बजट पेश किए गए थे.

Budget 2024 से हैं क्या-क्या उम्मीदें?

इस सरकार का दावा है कि इन्होंने बुनियादी ढांचे (Infrastructure) पर बहुत ध्यान दिया है. इसलिए कुछ एक्सपर्ट्स का इशारा है कि बुनियादी ढांचे में निवेश बढ़ाया जा सकता है. ख़ासतौर पर रिन्यूएबल एनर्जी, सिटी गैस और पानी के सेक्टर में.

अगर 2030 तक भारत में 500 गीगावाट रिन्यूएबल एनर्जी के लक्ष्य को पूरा करना है, तो आर्थिक सर्वे के मुताबिक़, 30.5 लाख करोड़ रुपये का निवेश चाहिए. 

बजट से जुड़े पल-पल के अपडेट लाइव जानने के लिए क्लिक करें

अपेक्षा है कि रेलवे नेटवर्क के विस्तार और आधुनिकीकरण के लिए बजटीय आवंटन बढ़ सकता है. मुंबई-अहमदाबाद कॉरिडोर जैसे हाई-स्पीड रेल प्रोजेक्ट्स की मांग बढ़ी है, इसीलिए फंडिंग भी बढ़ने की उम्मीद है. ऐसे प्रोजेक्ट्स के लिए बजटीय आवंटन वित्त वर्ष 2023-24 में लगभग 18,500 करोड़ था, जो फरवरी, 2024 के अंतरिम बजट तक बढ़कर 25,000 करोड़ रुपये हो गया था. इसके और बढ़ने की उम्मीद है.

मिडिल क्लास और नौकरी-पेशा टैक्सपेयर्स की अपेक्षा है कि टैक्स स्ट्रक्चर में बदलाव हों. टैक्स स्लैब में कुछ राहत मिले. ऐसा जनता ने अंतरिम बजट में भी उम्मीद की थी. मगर तब ऐसा नहीं हुआ था. टैक्सपेयर्स को अब यही उम्मीद है कि इस बार वैसा नहीं होगा, जैसा पिछली बार हुआ था.

ये भी पढ़ें - बजट भाषण में बोले जाने वाले भारी-भरकम शब्दों से लगता है डर, बस एक क्लिक और...

व्यापार करने में आसानी, जिसे अंग्रेज़ी में Ease of Doing Business कहते हैं, में सुधार के लिए सरकार अपनी पीठ थपथपाती रही है. कुछ सूचकांक उनकी इस उपलब्धि को सपोर्ट भी करते हैं. इसीलिए अर्थ समझने वालों का कहना है कि सरकार इस दिशा में भी निवेश कर सकती है.

कृषि क्षेत्र और किसानों के लिए उत्पादन को बढ़ावा देने वाली (PLI) योजनाओं पर निवेश बढ़ने की संभावना है. किसान इस उम्मीद में भी हैं कि GST दरों को भी कम किया जाएगा. किसानों के कुछ जत्थों ने बारहा न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की लीगल गारंटी की मांग की है. मगर उस मामले में सरकार के इंकार का रुख साफ़ है, कि वित्तीय बोझ बहुत बढ़ जाएगा.

भारत स्वास्थ्य सेवा में 2.3% और शिक्षा में 3% निवेश करता है. अगर बुनियादी समस्याओं से निजात चाहिए, तो एक्सपर्ट्स के बकौल सरकार को ये निवेश बढ़ाना होगा. टेक्नोलॉजी और जेनेरिक दवाओं पहुंच को बेहतर करना होगा. 

आप कहां देख सकते हैं बजट? दी लल्लनटॉप के undefined पर और दी लल्लनटॉप की वेबसाइट पर. यहां आपको मिलेगी हर छोटी डिटेल, आसान भाषा में. जो पेच न समझ आए, यहां समझ आ जाएगा.

वीडियो: वित्त मंत्री का माइक बंद, थरूर हंस पड़े