वक्फ (संशोधन) बिल पर चर्चा (Waqf bill panel meeting) कर रही संसदीय समिति की बैठक के दौरान भाजपा और विपक्ष के सांसदों के बीच माहौल गरम हो गया. 15 अक्टूबर को संसदीय समिति की बैठक के दौरान विपक्ष ने भाजपा सांसदों पर उनके खिलाफ ‘आपत्तिजनक’ भाषा का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया. विपक्ष ने लगातार दूसरे दिन बैठक से वॉकआउट कर दिया.
वक्फ संशोधन बिल की समीक्षा बैठक में BJP और विपक्षी सांसदों में जबरदस्त बवाल
भाजपा सांसदों ने आरोप लगाया कि विपक्षी सदस्य अध्यक्ष के साथ दुर्व्यवहार कर रहे थे. वहीं बीजेपी सांसदों पर आपत्तिजनक भाषा बोलने का आरोप है.
इंडिया टुडे से जुड़े अभिषेक डे की रिपोर्ट के अनुसार सांसदों के बीच बवाल वक्फ बोर्ड में महिलाओं को शामिल करने के प्रस्ताव को लेकर हुआ. भाजपा सांसद निशिकांत दुबे, दिलीप सैकिया, अभिजीत गांगुली और तृणमूल सांसद कल्याण बनर्जी व कांग्रेस के गौरव गोगोई के बीच तीखी नोकझोंक हो गई. विपक्ष ने आरोप लगाया कि समिति के अध्यक्ष जगदंबिका पाल नियमों के अनुसार काम नहीं कर रहे हैं, और भाजपा सांसदों के खिलाफ कार्रवाई करने में विफल रहे हैं.
वहीं, भाजपा सांसदों ने आरोप लगाया कि विपक्षी सदस्य अध्यक्ष के साथ दुर्व्यवहार कर रहे थे. बता दें कि 28 जुलाई को केंद्र सरकार ने वक्फ (संशोधन) विधेयक पेश किया था. लेकिन विपक्षी दलों ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई थी. विपक्ष के विरोध के बाद सरकार ने विधेयक को 8 अगस्त को संयुक्त संसदीय समिति (JPC) के पास भेज दिया था. जिसके बाद से बिल पर चर्चा चल रही है.
14 अक्टूबर को कर्नाटक के राज्य अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व अध्यक्ष अनवर मणिपदी ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे पर वक्फ भूमि घोटाले में शामिल होने का आरोप लगाया. जिसके बाद विपक्ष ने सदन से वॉकआउट कर दिया. रिपोर्ट के मुताबिक मणिपदी उन सदस्यों में शामिल थे जिन्हें विधेयक पर अपना पक्ष रखने के लिए बुलाया गया था.
विपक्षी दलों ने नियमों का हवाला देते हुए दावा किया कि इन समितियों की बैठकों में 'उच्च गणमान्य व्यक्तियों' के खिलाफ अप्रमाणित आरोप नहीं लगाए जा सकते हैं. उनका दावा था कि समिति के अध्यक्ष ने उनकी आपत्तियों को खारिज कर दिया था.
रिपोर्ट के मुताबिक पिछले महीने भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने जगदंबिका पाल को पत्र लिखकर वक्फ बिल पर आए 1.25 करोड़ से अधिक आवेदनों के बारे में 'गंभीर चिंता' जताई थी. निशिकांत ने केंद्रीय गृह मंत्रालय से इसकी जांच की मांग की थी. उन्होंने ये भी आरोप लगाया था कि कट्टरपंथी समूह और जाकिर नाइक जैसे व्यक्ति या विदेशी ताकतें इसमें शामिल हो सकती हैं.
वक्फ बोर्ड एक्ट 1995 के सेक्शन 40 के मुताबिक, अगर वक्फ बोर्ड को लगता है कि किसी सम्पत्ति पर वक्फ बोर्ड का हक़ है तो वक्फ बोर्ड स्वतः संज्ञान लेते हुए उसके बारे में जानकारी इकट्ठी कर सकता है. वक्फ बोर्ड खुद संपत्ति की पड़ताल करता है और इस पर फैसला सुनाता है. अगर किसी को वक्फ बोर्ड के फैसले से दिक्कत हो, तो वो वक्फ बोर्ड ट्राइब्यूनल में आवेदन दे सकता है. लेकिन ट्राइब्यूनल का फैसला फाइनल होगा. माने उस फैसले के खिलाफ अपील करने का प्रोसेस काफी पेचीदा है. आप हाई कोर्ट जा तो सकते हैं, लेकिन एक जटिल कानूनी प्रक्रिया के बाद ही.
सरकार Waqf एक्ट में क्या बदलाव चाहती है?मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मौजूदा वक़्फ बोर्ड एक्ट में केंद्र सरकार करीब 40 संशोधन करना चाहती है. कई रिपोर्ट्स में बताया गया है कि सरकार का जोर वक्फ में महिलाओं का पार्टिसिपेशन बढ़ाने पर है. साथ ही सरकार की वक्फ बोर्ड की संपत्ति से जुड़ी ताकत पर भी कंट्रोल करने की बात कही जा रही है. सबसे ज्यादा विवाद इसी बात को लेकर है.
वीडियो: Asaduddin Owaisi ने Waqf Bill पर सरकार को घेरते हुए क्या दावा कर दिया?