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जज साहब दे रहे थे तारीख-पे-तारीख, हाईकोर्ट ने कहा- 'आपके ये बहाने कबूल नहीं', एक्शन का आदेश

Bombay High Court ने अपने रजिस्ट्रार को इस मामले में एक रिपोर्ट प्रशासनिक समिति के पास भेजने को कहा है, जिससे समिति निचली अदालत के जज के खिलाफ उचित कार्रवाई कर सके. हाईकोर्ट के मुताबिक उसे ऐसा लगता है कि इस मामले से जुड़े जज अपने काम को लेकर गंभीर नहीं हैं.

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निचली अदालत के जज पर कार्रवाई का आदेश | फाइल फोटो

बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay High Court) ने पुणे की एक निचली अदालत के जज के खिलाफ कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं. एक निर्धारित समय में एक केस की सुनवाई पूरी न करने पर हाईकोर्ट ने ये आदेश दिया है. बॉम्बे हाईकोर्ट ने कोर्ट के रजिस्ट्रार को इस मामले में एक रिपोर्ट प्रशासनिक समिति के पास भेजने को कहा है, जिससे समिति निचली अदालत के जज के खिलाफ उचित कार्रवाई कर सके. हाईकोर्ट के मुताबिक उसे ऐसा लगता है कि इस मामले से जुड़े जज अपने काम को लेकर गंभीर नहीं हैं.  

इंडिया टुडे से जुड़ीं विद्या की रिपोर्ट के मुताबिक जस्टिस अजय गडकरी और नीला गोखले की पीठ ने ठाणे के एक डॉक्टर की याचिका पर सुनवाई करते हुए ये आदेश दिया है. डॉक्टर की पत्नी ने उसके खिलाफ धारा 498ए और दहेज निषेध अधिनियम के तहत केस किया था. इसकी सुनवाई पुणे के बेलापुर की निचली अदालत में चल रही है. अब डॉक्टर ने हाईकोर्ट से मांग की है कि निचली अदालत इस केस की सुनवाई में तेजी लाए और जल्द फैसला सुनाए.

हाईकोर्ट की पीठ ने डॉक्टर की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता ने 2021 में उससे इसी तरह की मांग की थी और कोर्ट ने 24 फरवरी 2021 को निचली अदालत के जज को 2019 का ये मामला जल्द निपटाने को कहा था. तब हाईकोर्ट ने निचली अदालत को 4 महीने में सुनवाई पूरी करने को कहा था.

इंडिया टुडे के मुताबिक अब तीन साल बाद भी मामले की सुनवाई पूरी न होने पर याचिकाकर्ता ने फिर हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया. और बताया कि हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद तेजी से मामले की सुनवाई नहीं हो पा रही रही है. ये भी कहा है कि निचली अदालत में शिकायतकर्ता (पत्नी) कथित तौर पर स्वास्थ्य कारणों का हवाला देकर सुनवाई में आती नहीं हैं, जिससे सुनवाई में देरी हो रही है. याचिका में ये आरोप भी लगाया गया कि बेलापुर की अदालत लंबी-लंबी तारीखें भी दे रही है. जिससे सुनवाई में और देरी हो रही है.

आरोपों पर गौर करते हुए, पीठ ने जुलाई 2024 में हुई सुनवाई के दौरान रजिस्ट्रार को आदेश दिया था कि 16वें न्यायिक मजिस्ट्रेट, प्रथम श्रेणी बेलापुर की रजिस्ट्री से रिपोर्ट मांगी जाए कि 24 फरवरी, 2021 के हाईकोर्ट के आदेश का अब तक अनुपालन क्यों नहीं हुआ.

निचली अदालत ने देरी के पीछे की क्या वजह बताई?

जॉइंट सिविल जज, जूनियर डिवीजन और ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट फर्स्ट क्लास (JMFC) बेलापुर की ओर से हाईकोर्ट को देरी से सुनवाई की वजह भी लिखकर भेजी गई. JMFC ने लिखा कि ये मामला उनके सामने पहली बार 30 जनवरी, 2023 को आया था और उस समय संबंधित क्लर्क ने उन्हें यह नहीं बताया था कि इस मामले को जल्द निपटाने का आदेश हाईकोर्ट ने दिया है.

न्यायिक अधिकारी द्वारा ये भी बताया कि वो आपराधिक और दीवानी के 10 साल से अधिक समय से लंबित मामलों को निपटाने में व्यस्त थीं. इसके अलावा उनकी अदालत में पर्याप्त स्टाफ नहीं है और जो है वो भी अक्सर छुट्टी पर चला जाता है और इस वजह से इस एक मामले की सुनवाई जल्द नहीं हो पाई.

पीठ ने कहा- ‘ये बहाने स्वीकार नहीं हैं’

निचली अदालत द्वारा बताए गए इन कारणों पर हाईकोर्ट की पीठ ने कहा कि अगर शिकायतकर्ता की वजह से सुनवाई में देरी हो रही थी, तो निचली अदालत को उनके खिलाफ एक्शन लेना चाहिए था.

पीठ ने आगे कहा कि निचली अदालत के जज ने 24 फरवरी, 2021 के आदेश के तहत काम करने के पीछे कमजोर बहाने बनाए हैं, जिन्हें स्वीकार नहीं किया जा सकता. पीठ को ऐसा लगता है कि संबंधित न्यायिक अधिकारी (जज) अपने काम के प्रति गंभीर नहीं हैं. और इसलिए इसलिए हाईकोर्ट की प्रशासनिक समिति को इस मामले पर ध्यान देना चाहिए और जरूरी निर्देश जारी करने चाहिए. पीठ ने ये भी कहा है कि प्रशासनिक समिति द्वारा इस मामले पर कार्रवाई किए जाने के बाद ही पीठ याचिका पर आगे सुनवाई करेगी.

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