The Lallantop

14 साल की लड़की के रेप के आरोपी को हाई कोर्ट ने दी जमानत, बेंच ने बताई एक-एक बात

बेंच ने सुनवाई के दौरान बताया कि FIR और लड़की के बयानों में काफी अंतर है. पीड़िता ने अपने बयान में बताया कि वो आरोपी के साथ रिलेशनशिप में थी. इसके अलावा मामले में शामिल गवाहों के बयानों से मालूम पड़ा कि पीड़िता के पिता को उनके रिश्तों के बारे में पता था

post-main-image
बॉम्बे हाई कोर्ट ने पॉक्सो एक्ट में गिरफ्तार एक व्यक्ति को जमानत दी. (तस्वीर: India Today)

बॉम्बे हाई कोर्ट ने एक नाबालिग लड़की से कथित तौर पर बलात्कार करने के आरोप में गिरफ्तार किए गए व्यक्ति को जमानत दे दी. कोर्ट ने कहा कि लड़की को अपने साथ हुए ‘भले-बुरे के बारे में पर्याप्त जानकारी थी’ और वो ‘अपनी इच्छा से’ चार दिनों तक आरोपी के साथ रही थी.

दोनों की एक दूसरे से पहले से जान-पहचान थी

जजमेंट ऑर्डर के मुताबिक, घटना नवंबर 2019 की है. तब उत्तर प्रदेश के रहने वाले एक व्यक्ति के खिलाफ मुंबई के डीएन पुलिस स्टेशन में FIR दर्ज की गई थी. यह FIR एक 14 साल की नाबालिग लड़की के पिता ने दर्ज कराई थी. पिता के मुताबिक उनकी बेटी 19 नवंबर, 2019 से गुमशदा हो गई थी. मामला दर्ज होने के बाद 25 नवंबर को वो अपने दोस्त के साथ जुहू चौपाटी बीच पर देखी गई. पुलिस ने उसके दोस्त को गिरफ्तार कर लिया.

आरोपी ने पुलिस को अपना बयान दर्ज कराया. उसका कहना है कि वो अनाथ है. बताया कि गिरफ्तारी के वक्त वो 19 साल का था और नाबालिग लड़की का दो साल पहले से दोस्त था. लेकिन कई बार जमानत याचिका दायर करने के बाद भी लड़की के नाबालिग होने के कारण उसे निचली अदालत से जमानत नहीं मिली. आरोपी ने 5 साल 2 महीने और 23 दिन जेल में गुजारे.

यह भी पढ़ें:बॉम्बे हाईकोर्ट ने 2010 गैंगरेप केस में 8 आरोपियों को बरी किया 

FIR और लड़की के बयान में अंतर

इसके बाद मामला हाई कोर्ट पहुंचा. वहां बेंच ने सुनवाई के दौरान बताया कि FIR और लड़की के बयानों में काफी अंतर है. उसने कहा कि लड़की आरोपी के साथ रिलेशनशिप में थी. इसके अलावा मामले में शामिल गवाहों के बयानों से मालूम पड़ा कि लड़की के पिता को उनके रिश्ते के बारे में पता था.

लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस मिलिंद जाधव की बेंच ने लड़की के बयानों पर विचार किया. 14 साल की लड़की ने कहा था कि उसने आरोपी के साथ सहमति से संबंध बनाए थे और वह उसकी हरकतों से अंजान नहीं थी.

बेंच ने इस बात पर भी जोर दिया कि भले ऐसे मामलों में पॉक्सो अधिनियम के तहत गंभीर सजा का प्रावधान है, लेकिन यह कोर्ट को न्याय सुनिश्चित करने के लिए जमानत देने या इनकार करने से नहीं रोकेगा.

जस्टिस मिलिंद जाधव ने कहा,

लड़की अपने माता-पिता को बताए बिना घर छोड़कर आरोपी के साथ चार दिनों तक रही. इसमें कोई संदेह नहीं है कि पॉक्सो अधिनियम के तहत लड़की नाबालिग है, लेकिन मामले के फैक्ट्स को देखने से समझ आ रहा था कि उसे इस बात की पूरी जानकारी थी कि वो क्या कर रही है. उसने अपनी इच्छा से आरोपी के साथ चार दिन रहना चुना.

कोर्ट ने कहा कि लड़की के साथ कोई क्रूर हरकत नहीं की गई थी और आरोपी का कोई पुराना आपराधिक इतिहास भी नहीं था.

वीडियो: अमेरिका ने रोकी भारत को दी जाने वाली ये फंडिंग