
चार सौ साल से गुजरात में रह रहे हैं ये 'काले' लोग, फिर भी रंगभेद के शिकार
इनको हिंदी बोलते देख लोगे तो तबीयत प्रसन्न हो जाएगी. ये अपने को पूरी तरह से इस देश के नाम कर चुके हैं. लेकिन प्रॉब्लम्स नहीं खत्म होतीं.

हमारे देश में तमाम सांस्कृतिक खूबियां हैं. लेकिन खामियां भी कम नहीं. धर्म, जाति, क्षेत्र से लेकर हर लेवल पर लोगों में एक खाई है. अपने अपने खांचे में सब अपने को परफेक्ट मानते हैं. दूसरे को नीचा समझते हैं. रंग और नस्लभेद का एक ऐसा ही अजब नमूना गुजरात में नजर आया. जब बीबीसी की ये डॉक्यूमेंट्री सामने आई. इस डॉक्यूमेंट्री में दिखाया गया उन अफ्रीकन लोगों को जो अब इंडियन हैं. उनके हिसाब से उनके पूर्वज कोई चार सौ साल पहले आकर यहां बस गए थे. वे तब से यहां रह रहे हैं. गोकि यही उनकी दुनिया है. यही उनका गांव देश है. लेकिन बहुत बुरी तरह से वो भेदभाव के शिकार हैं. कदम कदम पर उनको रेसिस्ट कमेंट्स का सामना करना पड़ता है. बेंजामिन प्रैट जो खुद तो सीरा लियोन देश से आते हैं. लेकिन जब उनको अपनी उस कम्युनिटी के बारे में पता चला, जो इंडिया में रह रही है, तो वो एकदम से एक्साइटेड हो गए. उन्होंने बीबीसी से रिक्वेस्ट की कि उनकी मुश्किल लाइफ लोगों तक पहुंचाने के लिए वो कुछ करें. वो और उनके तमाम यार दोस्त, घर परिवार यहां के होकर भी यहां के नहीं हैं, उनकी तकलीफ को साझा करें. बीबीसी की टीम ने प्रैट को साथ लिया और निकल पड़ी अपने मिशन पर. गुजरात की सिड्डी कम्युनिटी से मिलाने. जो अफ्रीकी मूल के भारतीय हैं. तो जो निकल के आया वो ये डॉक्यूमेंट्री है. इसमें आई खास बातें एक एक करके हम यहां बताते हैं.
1. एक नौजवान हैं सैडी. ये अपना एक्सपीरिएंस शेयर करते हैं. कि हमारी और इंडियन्स की केमेस्ट्री बहुत अच्छी नहीं है. वो हम पर पूरी तरह भरोसा नहीं करते. 2. स्टेला, मूलतः अंगोला की. ये बताती हैं यहां लोग हर काली औरत को प्रॉस्टीट्यूट समझते हैं. छूटते ही रेट पूछते हैं "हाऊ मच?" 3. गेरे नाम का एक लड़का. वो बताता है यहां लोग उनको अजीब निगाहों से देखते हैं. सब नहीं, लेकिन कुछ लोग तो हद कर देते हैं. बड़े अजीब क्वेस्चन पूछते हैं लोग. 4. सिड्डी बापू. ये इसी कम्युनिटी के सयाने मेंबर हैं. टकाटक हिंदी में बतियाते हैं. कहते हैं कि हमारे पूर्वज 400 साल पहले आए और यहीं बस गए. लौट कर नहीं गए. यहीं रोजगार किया. सेना में भर्ती हुए. जनरल, एडमिरल और एडमिनिस्ट्रेशन रैंक तक हासिल की. 5. ये बताते हैं कि जब ओबामा अमेरिका के राष्ट्रपति चुने गए तो इन सबको भयंकर खुशी हुई. ढोल नगाड़े बजे. लोग नाचे गाए. कि पहली बार कोई अपना भाई बंधु इतनी ऊंची कुर्सी पर पहुंचा है. 6. अफ्रीकन कल्चर को पहचानने का क्या जुगाड़ है. इसका सीक्रेट बताया. कि एक अफ्रीकी को दुनिया के किसी भी अफ्रीकी के सामने खड़ा कर दो. और ड्रम बजा दो. दोनों नाचेंगे देखना. तो प्रैट साहब को इंडिया में मौजूद अपने लोगों को देख कर अच्छा महसूस हुआ. थोड़ी बहुत कमी है. लेकिन संतोष इस बात का कि चलो कहीं तो वो लोग अपनाए गए हैं. धीरे धीरे लोग पूरी तरह एक्सेप्ट कर लेंगे. ये भरोसा उनकी आंखों में दिखता है. https://www.youtube.com/watch?v=djuAvmn37ug&feature=youtu.be
