कांग्रेस की राज्यसभा सांसद सोनिया गांधी की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु पर की गई टिप्पणी को लेकर विवाद बढ़ता ही जा रहा है. बीजेपी के करीब दो दर्जन से अधिक आदिवासी सांसदों ने उनके खिलाफ विशेषाधिकार के हनन का प्रस्ताव पेश किया है. सोनिया गांधी ने 31 जनवरी को अभिभाषण पर कहा था राष्ट्रपति अंत तक आते-आते बहुत थक गई थीं और मुश्किल से बोल पा रही थीं.
सोनिया गांधी के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव, क्या मामला है?
BJP के करीब दो दर्जन से अधिक आदिवासी सांसदों ने सोनिया गांधी के खिलाफ विशेषाधिकार के हनन का प्रस्ताव पेश किया है. सोनिया गांधी ने 31 जनवरी को बजट सत्र के अभिभाषण को लेकर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु पर टिप्पणी की थी.

राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ को भेजे गए प्रस्ताव में सांसदों ने सोनिया गांधी के खिलाफ राष्ट्रपति के पद की गरिमा को ठेस पहुंचाने का आरोप लगाया. करीब 21 सांसदों ने जो प्रस्ताव पेश किया है उसमें लिखा है,
“सोनिया गांधी का बयान हमारे देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद की गरिमा को अपमानित करता हुआ नज़र आता है. ऐसे बयान न केवल पद की गरिमा को गिराते हैं बल्कि संसदीय प्रक्रियाओं और परंपराओं के मापदंडों का भी उल्लंघन करते हैं.”
पत्र में आगे लिखा है,
“संसदीय नैतिकता और शिष्टाचार के स्थापित नियम सदस्यों को संवैधानिक पदों की गरिमा बनाए रखने और अपमानजनक बयान से बचने का आदेश देता है. सोनिया गांधी का बयान इन नियमों के साथ मेल नहीं खाता. ऐसे में इस मुद्दे की गंभीरता को देखते हुए, हम आपसे इस मामले का संज्ञान लेने और उचित अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू करने की मांग करते हैं.”
सांसदों ने आरोप लगाया कि इस तरह की टिप्पणियां सोनिया गांधी की ‘उच्चवर्गीय और आदिवासी विरोधी मानसिकता’ को दर्शाता है जो अभी तक एक गरीब आदिवासी के संघर्ष और संवेदनशीलता को समझ नहीं पाई हैं.
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प्रस्ताव पेश होने के बाद बयानबाजी शुरूसोनिया गांधी के खिलाफ संसदीय विशेषाधिकार हनन नोटिस पर बयानबाजी शुरू हो गई है. BJP और कांग्रेस के नेताओं ने इस पर अपनी प्रतिकिया दी है. कांग्रेस के राज्यसभा सांसद प्रमोद तिवारी ने कहा कि सोनिया गांधी ने एक भी शब्द असंसदीय नहीं कहा है. उन्होंने कहा, “मैंने पूरा बयान सुना है. उसमें एक शब्द भी असंसदीय एवं अपमानजनक नहीं है, बल्कि उसमें राष्ट्रपति के प्रति श्रद्धा और सहानुभूति है. अगर राष्ट्रपति की गरिमा को किसी ने ठेस पहुंचाई है तो वो पीएम मोदी हैं. जब ये संसद भवन बनकर तैयार हुआ था तो इस संसद भवन का उद्घाटन देश की संवैधानिक मुखिया से नहीं करवाया गया था.”
वहीं बीजेपी के राज्यसभा सांसद भागवत कराड ने कहा कि सोनिया गांधी ने राष्ट्रपति को लेकर अच्छी टिप्पणी नहीं की. उन्होंने कहा, “राष्ट्रपति जी का पद बहुत ही देश के लिए महत्वपूर्ण पद है. यह संविधान का पद है, बड़ा पद है. जब राष्ट्रपति जी का अभिभाषण हो गया तो कांग्रेस की नेता सोनिया गांधी ने जो टिप्पणी की है, वो अच्छी टिप्पणी नहीं है. हर नागरिक सोच रहा है कि आखिर वे ऐसा क्यों बोली होंगी. राष्ट्रपति पद को लेकर ऐसा नहीं बोलना चाहिए था.”
सोनिया गांधी की 31 जनवरी को की गई टिप्पणी के बाद राष्ट्रपति कार्यालय की ओर से भी प्रतिक्रिया आई थी. इसमें सोनिया गांधी का बिना नाम लिए उनके बयान को पद के गरिमा को नुकसान पहुंचाने वाला बताया गया था.
पीएम नरेंद्र मोदी ने भी सोनिया गांधी के बयान की आलोचना की थी. उन्होंने कहा था कि इससे कांग्रेस का ‘शाही परिवार’ राष्ट्रपति के अपमान पर उतर आया है.
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