पहले जान लेते हैं कि तापिर गाव ने क्या कहा
तापिर गाव ने 19 नवंबर, 2019 को लोकसभा में एक बयान दिया. कहा कि अरुणाचल में चीन की सेना करीब 50-60 किलोमीटर अंदर आ गई है. नया डोकलाम अरुणाचल में ही होगा. बता दें कि साल 2017 में भारत-चीन के बीच भूटान सीमा के पास डोकलाम में 76 दिनों तक तनाव रहा था. गाव ने संसद में कहा,
14 नवंबर, 2019 को राजनाथ सिंह अरुणाचल प्रदेश के तवांग में आए. यहां उन्होंने एक पुल का उद्घाटन किया. इस पर चीनी अधिकारियों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर ऑब्जेक्शन जताया. जब राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और गृहमंत्री अरुणाचल गए, तब भी चीन ने ऑब्जेक्शन किया. लेकिन संसद में यह मुद्दा नहीं उठा. दिबांग घाटी और चागलगाम में चीन घुस आया है. अब अगर डोकलाम होगा, तो अरुणाचल प्रदेश में होगा. अरुणाचल में 50-60 किलोमीटर अंदर तक चीन घुसा हुआ है.तापिर गाव का यह बयान आप यहां देख सकते हैं.
सितंबर 2019 में भी तापिर ने उठाया था मुद्दा
तापिर ने इससे पहले भी यह मुद्दा उठाया था. सितंबर 2019 में उन्होंने कहा था कि चीन ने भारतीय सीमा में 75 किलोमीटर अंदर आकर लकड़ी का एक पुल बनाया है. पुल अंजॉ जिले में चागलगाम के पास बनाया. हालांकि भारतीय सेना ने इस दावे का खंडन किया था. सेना के प्रवक्ता कर्नल अमन आनंद ने कहा था कि इस जगह पर भारत और चीन, दोनों दावा करते हैं. ऐसे में दोनों सेनाएं गश्त लगाती हैं. लेकिन उस जगह पर चीनी सेना की मौजूदगी नहीं है.
सेना के खंडन के बाद भी बीजेपी सांसद तापिर गाव अपनी बात पर कायम थे. उन्होंने कहा था कि वे देश से झूठ नहीं बोल सकते हैं. बाद में यही बात उन्होंने लोकसभा में दोहराई. कहा कि अगर वे आज इस मुद्दे को नहीं उठाएंगे, तो आने वाली पीढ़ियां उन्हें माफ नहीं करेंगी. उनका कहना है कि इस मामले में वे पीएम, गृह मंत्री, रक्षा मंत्री और विदेश मंत्री को कई पत्र लिख चुके हैं.
लद्दाख में तनाव के बाद उनके पुराने बयान फिर से चर्चा में आ गए. कांग्रेस इसी बयान को हथियार बनाकर मोदी सरकार पर हमलावर है. कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी और गौरव गोगोई ने आरोप लगाया कि अरुणाचल में भी चीन ने भारत की जमीन दबा ली है.
कौन-कौन से इलाके हैं, जहां चीन के कब्जे का दावा है
हमने सांसद तापिर गाव से संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन उनसे बातचीत नहीं हो पाई. हालांकि उन्होंने 25 जून को 'स्क्रॉल' से बात की. बताया कि चीन ने भारत से लगते सभी रणनीतिक मोर्चे पर घुसपैठ की है. यह लगातार जारी है. चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के लिए मैकमोहन रेखा को पार करना कोई नई बात नहीं है. उनकी घुसपैठ आम बात हो चुकी है.
तापिर गाव का कहना है कि ऊपरी सुबनसिरी डिवीजन के असाफिला, दिबांग घाटी के पास आंद्रेला घाटी, चागलगाम- ये वह जगहें हैं, जहां चीनी सेना ने कब्जा किया है. यहां पर चीन सेना काफी अंदर तक आती है.
नक्शे में चागलगाम (गोले में) दिख रहा है. यह भारत-चीन सीमा के काफी पास है. यहां पर चीनी सेना की घुसपैठ के मामले लगातार सामने आते रहे हैं.
कैसे कब्जा कर रहा है चीन
उन्होंने कहा कि अप्रैल में चीनी सेना असाफिला इलाके से कुछ स्थानीय लोगों को पकड़ ले गई थी. ये लोग जड़ी-बूटियां लेने जंगल में गए थे. बाद में भारतीय सेना की दखल के बाद उन्हें छोड़ा गया था. अगर चीन भारतीय सीमा में नहीं आ रहा, तो उन्होंने उन लोगों को कैसे पकड़ा?
गाव का कहना है कि 1962 के बाद से ही चीन आगे बढ़ रहा है. उसने साल दर साल अपनी गश्त बढ़ाते हुए भारतीय जमीन कब्जाई है. यहां उसने चौकियां और सड़कें तक बना ली हैं. 17 जून को 'द प्रिंट' ने तापिर गाव के हवाले से लिखा कि 2017 में चीनी सेना ने अरुणाचल प्रदेश के अपर सियांग ज़िले के अंदर सड़क बना ली थी, जिसे बाद में भारतीय सेना ने ब्लॉक किया.
बीजेपी सांसद तापिर गाव की मानें, तो अंजॉ जिले (गोले में) चीन पुुल बनाने की कोशिश कर रहा है.
समस्या दूर करने पर क्या कहते हैं गाव
गाव का कहना है कि भारत सरकार को जल्द से जल्द सीमा के पास सड़कें बनानी चाहिए. यह देशहित में होगा. उनका कहना है कि आजादी के बाद से ही सड़कें बनाने पर ध्यान नहीं दिया गया. जवाहरलाल नेहरू से लेकर नरसिम्हा राव की सरकार तक, सबने भारत-चीन सीमा के पास सड़क नहीं बनाई. उन्होंने यहां पर बफर जोन बना दिया. इस वजह से चीन ने फायदा उठाया. हालांकि उन्होंने नरेंद्र मोदी सरकार का बचाव किया. कहा कि थोड़े से समय में इतनी सड़कें नहीं बनती हैं. उनका कहना है कि सेना और सरकार को चीन से लगती सीमा पर तैनाती और चौकसी बढ़ानी चाहिए.
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