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बिहार में JDU सांसद ने खुलेआम कहा, "यादव और मुसलमान अपने काम के लिए मेरे पास ना आएं, क्योंकि..."

सीतामढ़ी से जेडीयू के सांसद देवेश चंद्र ठाकुर ने मुसलमानों को कहा, "मेरे यहां आए तो चाय नाश्ता करके जाएं लेकिन मैं उनका काम नहीं करूंगा."

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बिहार के सीतामढ़ी से सांसद देवेश चंद्र ठाकुर ने मुसलमानों और यादवों को लेकर विवादित बयान दिया है. (तस्वीर-सोशल मीडिया X)

बिहार के सीतामढ़ी से JDU सांसद देवेश चंद्र ठाकुर ने मुसलमानों और यादवों को लेकर विवादित बयान दिया है. उन्होंने कहा है कि अब वे यादव और मुसलमानों का काम नहीं करेंगे. उन्होंने आगे कहा कि अगर इन समुदायों का कोई शख्स उनके यहां काम करवाने आता है तो चाय नाश्ता जरूर करके जाए, लेकिन उसका काम नहीं करूंगा. उन्होंने इसकी वजह भी बताई है. बोले कि चुनाव में इन दोनों वर्गों से उन्हें वोट नहीं मिले.

सांसद देवेश चंद्र ठाकुर ने कहा, “यादव और मुसलमान वोट डालते समय तीर के निशान में पीएम मोदी का चेहरा देखते हैं, तो मैं आपके लिए काम करते हुए लालू और लालटेन का चेहरा क्यों न देखूं? मेरे यादव और मुसलमान भाई आइए जरूर आइए, चाय पीजिए, मिठाई खाइए, लेकिन किसी काम की बात नहीं कीजिएगा.”

NDA के वोटों का हुआ 'चीरहरण'

देवेशचंद्र ठाकुर ने कहा कि चुनाव में एनडीए के वोटों में से कितना ‘चीरहरण’ हुआ, इसका कोई भी उचित कारण नहीं है. उन्होंने सवाल पूछते हुए कहा कि क्या कारण है बताइए? जेडीयू सांसद बोले, “कुशवाहा समाज का वोट अचानक कट गया. यह सब तो एनडीए का वोट था. आखिर क्यों कट गया. कुशवाहा समाज के लोग केवल इसलिए खुश हो गए कि लालू प्रसाद ने इस समाज के सात लोगों को टिकट दे दिया था.”

उन्होंने आगे कहा, “क्या कुशवाहा समाज इतना स्वार्थी हो गया है. इस समाज के बीजेपी से डिप्टी सीएम हैं सरकार में. उपेंद्र कुशवाहा अगर जीत गए होते तो आज केंद्रीय मंत्री बन गए होते. कुशवाहा समाज से कोई पांच या सात लोग भी सांसद बन जाते तो भी सीतामढ़ी में उसका क्या फर्क पड़ जाता? क्या सीतामढ़ी के कुशवाहा समाज के लोग उनसे काम करवाने जाते? इनकी सोच कितनी विकृत हो गई है.”

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देवेशचंद्र ठाकुर ने बताया कि उनके पास मुस्लिम समाज का एक शख्स कुछ काम कराने के लिए आया था, लेकिन उन्होंने स्पष्ट कह दिया कि आप पहली बार आए हैं, इसलिए मैं कुछ ज्यादा नहीं कहूंगा. वरना मैं छोड़ता नहीं हूं. आपने वोट तो लालटेन को दिया होगा, तो उस शख्स ने कबूल भी कर लिया.

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