भोजपुरी फोक डांसर और थिएटर आर्टिस्ट रामचंद्र मांझी का निधन हो गया है. कुछ दिनों पहले उनकी तबीयत बिगड़ने की खबर आई थी. तब उन्हें पटना के इंदिरा गांधी इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज में भर्ती कराया गया था. उनके हार्ट में ब्लॉकेज की समस्या बताई गई थी. गुरुवार, 8 सितंबर को रामचंद्र मांझी के निधन की खबर आई. वे 97 साल के थे.
भिखारी ठाकुर के सहयोगी पद्मश्री रामचंद्र मांझी का निधन, इलाज के पैसे ही नहीं थे
रामचंद्र मांझी का 'लौंडा नाच' बिहार की लोक कला की एक पहचान बन गया था.
रामचंद्र मांझी जाने-माने लोकमंच कलाकार, लेखक, गीतकार और डांसर भिखारी ठाकुर के सहयोगी रहे. उनकी टीम में रहते हुए रामचंद्र ने भोजपुरी नाट्यकला को लोकप्रिय बनाया. भोजपुरी लोक नृत्य कला 'लौंडा नाच' उन्हीं की वजह से मशहूर हुआ. उन्होंने कई मशहूर हस्तियों के सामने इस कला का प्रदर्शन किया. अनुराग कश्यप के निर्देशन में बनी फिल्म ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ में भी लौंडा नाच का जिक्र किया गया है.
रामचंद्र ने लौंडा नाच को बिहार की लोक कला की पहचान बनाया. इसके लिए उन्हें 2017 में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार दिए जाने की घोषणा की गई थी, जो साल बाद 2019 में उन्हें दिया गया. इसके दो साल बाद 2021 में देश के चौथे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्मश्री से नवाजा गया.
1925 में जन्मे रामचंद्र मांझी बिहार के सारण जिले के तुजारपुर के रहने वाले थे. वे दलित समाज से आते थे. वो बताते थे कि उन्होंने 10 साल की उम्र में ही भिखारी ठाकुर की नाट्य मंडली जॉइन कर ली थी. 1971 में भिखारी ठाकुर का निधन हो गया था. रामचंद्र मांझी तब तक उन्हीं के साथ काम करते रहे. वे बिहार की उस मशहूर नाट्य मंडली के आखिरी सदस्य थे.
The Lallantop से क्या बोले थे रामचंद्र?जीवन के अंतिम वर्षों में रामचंद्र मांझी की सुनने की क्षमता कमजोर हो चली थी, लेकिन याददाश्त एकदम दुरुस्त थी. दी लल्लनटॉप ने तीन साल पहले उनका इंटरव्यू किया था. हमारी टीम का हिस्सा रहीं स्वाति से बातचीत में उन्होंने बताया था कि कम उम्र में ही उन्होंने भिखारी ठाकुर के साथ काम करना शुरू कर दिया था. उन्होंने रामचंद्र को अपने प्रगतिशील गाने सिखाए, जिन्हें उन्होंने अलग-अलग मंचों पर लोगों के सामने पेश किया. और ऐसा करने में उन्होंने सहारा लिया ‘लौंडा नाच’ का. वे ‘नाच भिखारी नाच’ नाम की एक डॉक्युमेंट्री में भी नजर आ चुके हैं.
रामचंद्र मांझी लौंडा नाच करने के आनंद को याद करते हुए बताते थे कि साड़ी पहनने के बाद उन्हें सारे गाने याद आ जाते हैं. उन्होंने बताया कि देश की मशहूर कलाकारों ने उनके साथ नाच किया. हिंदी सिनेमा की मशहूर गायिका और अभिनेत्री सुरैया, हेलेन, साधना ने उनके साथ डांस किया था. रामचंद्र ने हंसते हुए कहा था,
"पहलवान लंगोटा कसता है तो उसकी ताकत बढ़ती है. ऐसे ही जब नचनिया का सीना कसा जाएगा ना, तो उसकी ताकत बढ़ जाएगी."
रामचंद्र मांझी ने लौंडा नाच को मशहूर किया और लौंडा नाच ने उन्हें. लेकिन उनकी कला उन्हें आर्थिक रूप से मजबूत नहीं बना पाई, जैसा ज्यादातर कलाकारों के साथ होता है. लाइव हिंदुस्तान की रिपोर्ट के मुताबिक अस्पताल में इलाज के दौरान रामचंद्र के पोते विपिन कुमार और पोती पिंकी कुमार ने बताया था कि वे आर्थिक तंगी से गुजर रहे हैं. वे रामचंद्र का इलाज नहीं करवा पा रहे थे और इसके चलते परेशान थे. उन्होंने सहयोगियों और सरकार से मदद मांगी थी. लेकिन सारी कोशिशें गुरुवार को खत्म हो गईं.
रामचंद्र के निधन के साथ बिहार की लोक कला का एक जरूरी अध्याय खत्म हो गया है.
भिखारी ठाकुर की टीम में रहे रामचंद्र मांझी का लौंडा नाच देखिए