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फ्लोर टेस्ट से पहले तेजस्वी ने क्या प्लान बनाया था, कैसे सदन में नीतीश ने उसे फेल कर दिया?

Bihar CM Nitish Kumar को क्यों अंदेशा था कि Speaker Awadh Bihari Chaudhary कुर्सी पर रहते तो कोई न कोई खेला ज़रूर हो जाता.

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125 वोटों से बिहार विधानसभा अध्यक्ष अवध बिहारी (बीच में) की कुर्सी चली गई है. (फाइल फोटो- आजतक)

बिहार में फ्लोर टेस्ट (Floor Test Bihar) में NDA सरकार पास हो गई है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में JDU-BJP की सरकार चलती रहेगी. इससे पहले 11 फरवरी को RJD की तरफ से दावा किया गया था कि असली खेल होना तो अभी बाकी है. इस बयान के क्या मायने थे, RJD की तरफ से क्या खेल करने की योजना थी और ये 'खेल' हो क्यों नहीं पाया, बताते हैं.

क्या था तेजस्वी यादव का प्लान?

आजतक की एक ख़बर के मुताबिक RJD की योजना सत्ता पक्ष के 8 विधायकों को साथ लेने की थी. इनमें से 5 विधायक JDU के और 3 BJP के थे. RJD की प्लानिंग थी कि इन 8 विधायकों को सदन से ग़ैर-हाज़िर दिखाकर पहले तो विधानसभा अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी की कुर्सी बचाई जाए. अवध बिहारी RJD के ही हैं. इनके ख़िलाफ़ सदन में अविश्वास प्रस्ताव गिर जाता तो अध्यक्ष के ही माध्यम से सत्ता पक्ष के अलग हुए विधायकों को अलग गुट की मान्यता दिलाने की कोशिश की जाती. इस तरह से फ्लोर टेस्ट में नीतीश कुमार की सरकार को गिराया जा सकता था.

लेकिन इसकी भनक NDA को पहले ही लग गई. जब अवध बिहारी के ख़िलाफ़ अविश्वास प्रस्ताव आया तो सदन से केवल 5 विधायक नदारद थे. NDA ने RJD के 3 विधायकों को अपने पाले में कर लिया था. अविश्वास प्रस्ताव पर हुई वोटिंग में 112 के मुक़ाबले 125 वोट से अध्यक्ष की कुर्सी चली गई और RJD का आगे का खेल भी धरा का धरा रह गया. 

अवध बिहारी की कुर्सी बचती तो क्या होता?

# RJD नेता अध्यक्ष की कुर्सी पर होते तो RJD कुछ तिकड़म कर सकती थी. बहुमत साबित न होने पर बिहार में राज्यपाल शासन लागू हो जाता.

राज्यपाल शासन में राज्यपाल के सामने तीन विकल्प होते. पहला- सबसे बड़े दल को सरकार बनाने का न्योता दे यानी RJD को.

राष्ट्रपति शासन की सिफारिश होती या विधानसभा भंग हो जाती. लोकसभा चुनाव के इतने करीब आते ही शायद ही बिहार में विधानसभा चुनाव संभव हो पाता. ऐसे में नीतीश को लंबा इंतज़ार करना पड़ता.

JDU-BJP समेत हर दल ने विश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग को लेकर व्हिप जारी किया था. क्रॉस वोटिंग में भी गेंद अध्यक्ष के पाले में ही होती. इसलिए नीतीश कुमार सबसे पहले अध्यक्ष को हटाने की जुगत में थे.

महाराष्ट्र में शिवसेना (शिंदे गुट) के विधायकों के खिलाफ उद्धव गुट की ओर से दिए गए अयोग्यता नोटिस पर फैसले में जिस तरह से एक साल से ज़्यादा समय लिया, उसे ध्यान में रखते हुए JDU कोई रिस्क नहीं लेना चाहती थी.

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बिहार में BJP-JDU के गठबंधन के साथ बनी नीतीश कुमार की नई सरकार ने सदन में बहुमत साबित कर दिया है. एनडीए सरकार के पक्ष में 129 वोट पड़े, जबकि विपक्ष ने इससे पहले ही सदन से वॉकआउट कर दिया. नई सरकार को BJP और JDU के अलावा जीतन राम मांझी की HAM पार्टी और एक निर्दलीय उम्मीदवार सुमित सिंह का भी समर्थन मिला है.

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