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1000 पुलिसवाले, 8 SDM, एक KM तक बैरिकेडिंग... भोपाल में 110 दुकानों पर चला बुलडोजर

Bhopal Bulldozer Action: ट्रैफिक की समस्या को कम करने के लिए यहां ब्रिज बनाया जा रहा है. कार्रवाई के दौरान यहां भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया. यहां करीब 1000 पुलिसकर्मी, 8 SDM और स्थानीय प्रशासन की कई टीमें मौके पर मौजूद रहीं.

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भोपाल में दुकानों पर चला सरकार का बुलडोजर (फोटो: आजतक)

भोपाल में अतिक्रमण को हटाने के लिए प्रशासन ने 110 दुकानों पर बुलडोजर चलवा दिया (Bhopal Bulldozer Action). प्रशासन की कड़ी सुरक्षा के बीच सुभाष नगर मार्केट में ये कार्रवाई की गई. ट्रैफिक की समस्या को कम करने के लिए यहां ब्रिज बनाया जा रहा है. प्रशासन ने दुकानदारों को अपना सामान हटाने के लिए शनिवार, 8 फरवरी तक का वक्त दिया था. जिसके बाद रविवार, 9 फरवरी की सुबह से दुकानों को बुलडोजर से हटाना शुरू किया गया.

भारी संख्या बल के बीच कार्रवाई

आजतक की रिपोर्ट के मुताबिक, कड़े सुरक्षा घेरे में ये दुकानें तोड़ी जा रही हैं. कार्रवाई के दौरान यहां भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया. यहां करीब 1000 पुलिसकर्मी, 8 SDM और स्थानीय प्रशासन की कई टीमें मौके पर मौजूद रहीं. इसके अलावा करीब 1 किलोमीटर के दायरे में पुलिस ने बैरिकेडिंग लगा दी. किसी को भी घटनास्थल पर जाने की इजाजत नहीं दी गई है. यहां तक पुलिस ने मीडिया को कवरेज करने से रोक रखा है.

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ब्रिज का हो रहा निर्माण

रिपोर्ट के मुताबिक, शहर में ट्रैफिक की समस्या को कम करने के लिए सुभाष नगर मार्केट में ब्रिज की तीसरी लेन का निर्माण किया जा रहा है. ताकि लोगों को आने-जाने में असुविधा न हो. प्रशासन ने इस बारे में दुकानदारों को नोटिस भी दिया था कि दुकानदार अपनी-अपनी दुकानों से अपना सामान हटा लें और दुकानें खाली कर लें. तय वक्त के बाद पुलिस ने 9 फरवरी की सुबह से कार्रवाई शुरू कर दी. 

क्या कहते हैं आंकड़े?

अंग्रेजी मैगजीन 'फ्रंटलाइन' में अनुज बहल ने बुलडोजर से घर और दुकान गिराने की कार्रवाई पर एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार की है. ये रिपोर्ट हाउसिंग एंड लैंड राइट्स नेटवर्क (HLRN) के हवाले से बनाई गई है. HLRN ने 2017 से लेकर 2023 तक इस तरह के आंकड़ों को इकट्ठा किया. रिपोर्ट बताती है कि बुलडोजर की कार्रवाई से कम से कम 16 लाख 80 हजार लोग प्रभावित हुए.

रिपोर्ट के अनुसार, ये बेदखली झुग्गियों को हटाने, लैंड क्लीयरेंस, अतिक्रमण हटाने या शहरों को खूबसूरत बनाने की पहल के कारण हुई हैं. इसके अलावा इन्फ्रास्ट्रक्चर और तथाकथित विकास योजनाओं के कारण भी लोगों को विस्थापित होना पड़ा. 

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