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Barmer-Jaisalmer Election Result: बाड़मेर-जैसलमेर को चर्चा में लाने वाले रविंद्र सिंह भाटी कितने वोटों से हारे?

बाड़मेर-जैसलमेर, क्षेत्रफल के हिसाब से भारत की दूसरी सबसे बड़ी लोकसभा है. लेकिन आज अगर ये राजस्थान की सबसे चर्चित सीट है, तो उसका कारण निर्विवाद रूप से रविंद्र सिंह भाटी हैं, जो पहले निर्दलीय विधायक बने और जब लोकसभा चुनाव में उतरे तो उनकी रैलियों में भीड़ गुजरात तक में देखी गई.

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इस बार सीट पर मुख्य मुकाबले में एक तरफ रविंद्र भाटी हैं, जो राजपूत समाज से आते हैं. और दूसरी तरफ़ उम्मेदराम बेनीवाल हैं. (फ़ोटो/आजतक)

बाड़मेर-जैसलमेर लोकसभा सीट (Barmer-Jaisalmer Lok Sabha) पर कांग्रेस के उम्मेदराम बेनीवाल (Ummedram Beniwal) जीत चुके हैं. उम्मेदराम बेनीवाल को कुल 7,04,676 वोट मिले हैं. उन्होंने निर्दलीय प्रत्याशी और शिव सीट से विधायक रविंद्र सिंह भाटी (Ravindra Singh Bhati) को 1,18,176 से हराया है. भाटी को 5 लाख 86 हजार 500 लोगों ने वोट किया. यहां भाजपा नेता और केंद्रीय कृषि राज्यमंत्री कैलाश चौधरी (Kailash Choudhary) को 2,86,733 वोट मिले हैं. 

जाट बनाम राजपूत का मुकाबला

बाड़मेर-जैसलमेर, क्षेत्रफल के हिसाब से भारत की दूसरी सबसे बड़ी लोकसभा है. लेकिन आज अगर ये राजस्थान की सबसे चर्चित सीट है, तो उसका कारण निर्विवाद रूप से रविंद्र सिंह भाटी हैं, जो पहले निर्दलीय विधायक बने और जब लोकसभा चुनाव में उतरे तो उनकी रैलियों में भीड़ गुजरात तक में देखी गई.

बाड़मेर-जैसलमेर राजस्थान की उन कुछ सीटों में से है जहां जाट-बनाम राजपूत वाली वर्चस्व की लड़ाई खुलकर नज़र आती है. 1952 से अब तक हुए कुल 13 सांसदों में सिर्फ दो ऐसे थे जो इन दो समाजों से नहीं आते थे.

इस बार सीट पर मुख्य मुकाबले में एक तरफ रविंद्र भाटी हैं, जो राजपूत समाज से आते हैं. मौजूदा सांसद और भाजपा के प्रत्याशी कैलाश चौधरी जाट समाज से आते हैं. कांग्रेस प्रत्याशी उम्मेदराम बेनीवाल भी जाट समाज से आते हैं.

जाट समुदाय इस लोकसभा सीट पर निर्णायक संख्या में है. ये भी एक कारण था, कि साल 2014 में भाजपा ने पूर्व रक्षा, विदेश एवं वित्त मंत्री जसवंत सिंह को यहां से टिकट देने में दिलचस्पी नहीं दिखाई. जसवंत सिंह 2009 से ही अपनी पार्टी में हाशिए पर थे. 2014 में मानकर चल रहे थे कि यहां से टिकट मिलेगा, लेकिन पार्टी ने टिकट दिया कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए तीन बार के सांसद सोना राम को. जसवंत सिंह ने नाराज़ होकर बगावत कर दी और निर्दलीय चुनाव लड़ा. 2014 मोदी लहर का चुनाव था. नतीजे आए, तो सेना में मेजर रहे जसवंत सिंह फौज में कर्नल रहे सोना राम से हार गए.

2014 के लोकसभा नतीजे 

सोना राम (भाजपा) - 4,88,747
जसवंत सिंह (निर्दलीय) -  4,01,286
हरीष चौधरी (कांग्रेस) - 2,20,881

2019 में भाजपा ने सोना राम का टिकट काट कैलाश चौधरी को दिया. इस बार कांग्रेस ने जसवंत सिंह के बेटे और 2004 में बाड़मेर-जैसलमेर से भाजपा के टिकट पर सांसद बन चुके मानवेंद्र सिंह को मैदान में उतारा. मानवेंद्र अब कांग्रेस में थे. नतीजा कुछ ऐसा रहा -

2019 के लोकसभा नतीजे 

कैलाश चौधरी (भाजपा) - 8,46,526
मानवेंद्र सिंह (कांग्रेस) - 5,22,718

सवा तीन लाख के मार्जिन से जीते कैलाश चौधरी के पास केंद्र में राज्यमंत्री का पद है. पार्टी ने टिकट भी रिपीट कर ही दिया. वो जिस समाज से आते हैं, उसकी संख्या भी सीट पर अच्छी खासी है. लेकिन उनके सामने इस बार एक अलग तरह की मुश्किल थी - विधानसभा का टिकट न मिलने से नाखुश होकर भाजपा छोड़ने वाले रविंद्र सिंह भाटी.

शिव सीट, बाड़मेर-जैसलमेर लोकसभा में पड़ने वाली 8 विधानसभाओं में से एक है. इस सीट पर 2023 के विधानसभा चुनाव में जो हुआ, उसने 2024 के लोकसभा चुनाव पर बहुत असर डाला. रविंद्र सिंह भाटी छात्र राजनीति से आते हैं. जोधपुर की जयनारायण व्यास यूनिवर्सिटी में छात्रसंघ अध्यक्ष रहे. अपने इलाके में भीड़ खींचने लगे तो भाजपा का ध्यान उन पर गया. भाटी ने पार्टी जॉइन कर ली. इस उम्मीद में, कि शिव से टिकट मिलेगा. लेकिन पार्टी ने टिकट दिया स्वरूप सिंह खारा को. भाटी ने पार्टी छोड़कर निर्दलीय चुनाव लड़ा. वो खुद लगभग 4 हज़ार की लीड से जीते. लेकिन भाजपा उम्मीदवार रह गए चौथे नंबर पर.

दूसरा प्रमुख बिंदु ये है कि कांग्रेस और भाजपा - दोनों पार्टियों ने उम्मीदवार जाट समुदाय से ही चुने हैं. इस बात का असर नतीजों पर पड़ सकता है. वैसे इंडिया टुडे एक्सिस माय इंडिया ने इस सीट पर कड़ा मुकाबला रविंद्र भाटी और उम्मेदराम बेनीवाल के बीच ही बताया गया था, जिसपर रविंद्र भाटी आगे नज़र आ रहे थे. लेकिन आज यहां बेनीवाल की जीत हुई है.

वीडियो: ‘बंद कमरे में’ रविंद्र भाटी पर कैलाश चौधरी ने क्या आरोप लगाए?