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पाकिस्तानः चीन के खनन प्रोजेक्ट से जुड़े काफिले पर बलूच विद्रोहियों का हमला

हमला मंगोछर के कलात में हुआ है. कहा जा रहा है कि हमला करने वाले बलूच विद्रोही हैं. विद्रोहियों ने IED का इस्तेमाल करते हुए पहले 20 वाहनों पर हमला किया. IED धमाके के बाद विद्रोहियों ने अंधाधुंध फायरिंग की. पाकिस्तानी सुरक्षाबल के लोग काफिले की सुरक्षा में तैनात थे.

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आठ सुरक्षाकर्मियों घायल हुए हैं. (फोटो- फाइल)
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शिवानी शर्मा

पाकिस्तान में चीन के प्रोजेक्ट पर हमले की ख़बर सामने आई है. पाकिस्तान में चीन की ओर से चलाए जाने वाले खनन प्रोजेक्ट से जुड़े सामान ले जा रहे वाहनों पर हमला किया गया है. ऐसे 29 वाहनों के काफिले पर बंदूकधारियों ने हमला किया है. हमले का आरोप बलूच विद्रोहियों पर है. हमले में आठ सुरक्षाकर्मी घायल होने की बात सामने आई है.

आज तक की ख़बर के मुताबिक, हमला मंगोछर के कलात में हुआ है. कहा जा रहा है कि हमला करने वाले बलूच विद्रोही हैं. विद्रोहियों ने IED का इस्तेमाल करते हुए पहले 20 वाहनों पर हमला किया. IED धमाके के बाद विद्रोहियों ने अंधाधुंध फायरिंग की. पाकिस्तानी सुरक्षाबल के लोग काफिले की सुरक्षा में तैनात थे. बाद में, हमले की सूचना पर बड़ी संख्या में पाकिस्तानी सुरक्षाबल मौके पर पहुंचे.

बताया गया कि बलूच विद्रोहियों के हमले में आठ सुरक्षाकर्मी घायल हुए हैं. कलात के डिप्टी कमिश्नर ने हमले की पुष्टि की है. उन्होंने बताया कि काफिले में चीन का कोई नागरिक शामिल नहीं था. गौरतलब है कि बीते कुछ बरसों से पाकिस्तान में चीन के नागरिकों पर हमलों की संख्या में इज़ाफा हुआ है.

पिछले साल 6 अक्टूबर को बलूच लिबरेशन आर्मी  (BLA) के विद्रोहियों ने आत्मघाती बम विस्फोट किया था. इसमें दो चीनी नागरिक मारे गए थे. इसके बाद पाकिस्तान में चीनी नागरिकों की सुरक्षा को लेकर सवाल उठाए गए थे. चीन द्वारा इस बारे में चिंता जताए जाने के बाद पाकिस्तान सरकार ने अपना रक्षा बजट बढ़ाया था. पिछले साल अगस्त में पाकिस्तान ने अपने 2.1 ट्रिलियन के डिफेंस बजट के तहत ऑपरेशन आज़म-ए-इस्तेखाम के लिए 60 अरब रुपये आवंटित किए गए थे.

पाक में चीन के प्रोजेक्ट पर हमले क्यों?

दरअसल, बलूचिस्तान में पाकिस्तान का सबसे बड़ा खनिज पदार्थ का भंडार है. आरोप है कि चीनी कंपनियां खनन कर बलूचिस्तान में इन संसाधनों का दोहन कर रही हैं. चीन यहां साल 2002 से खनिजों की माइनिंग कर रहा है. चीन इससे होने वाले फायदे का 50 फीसदी हिस्सा अपने पास रखता है. जबकि 48 फीसदी हिस्सा पाकिस्तान को देता है. बलूचिस्तान के हिस्से में महज दो फीसदी ही आता है. इसे लेकर ही बलूचों में विद्रोह की भावना है और वे लगातार चीन और उससे जुड़े प्रोजेक्ट को निशाना बना रहे हैं. 

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