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बालासोर रेल हादसा: 76% पीड़ितों ने कहा- 'मुआवजा कम मिला', कुछ ने लड़कर लिया, कुछ अब भी इंतजार में

Balasore Train Accident के ज्यादातर पीड़ितों ने उचित मुआवजे के लिए रेलवे क्लेम ट्रिब्यूनल (RCT) का रुख किया. RCT के सामने दायर 841 याचिकाओं में कुल 40.61 करोड़ रुपये मुआवजे की मांग की गई. अब तक 793 मामलों में कुल 18.69 करोड़ रुपये दिए गए हैं.

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2 जून, 2023 को बालासोर में हुआ ट्रेन हादसा. (फोटो: PTI)

पिछले साल ओडिशा के बालासोर में हुआ भयानक ट्रेन हादसा (Balasore Train Accident), आपको याद होगा. यहां 2 जून, 2023 को हावड़ा से चेन्नई जा रही कोरोमंडल एक्सप्रेस एक मालगाड़ी से टकरा गई थी. इस टक्कर के कारण कोरोमंडल एक्सप्रेस के पटरी से उतरे कई डिब्बे दूसरे ट्रैक से गुजर रही यशवंतपुर-हावड़ा एक्सप्रेस से भी जा टकराए थे. इस हादसे में 297 लोगों की मौत हो गई थी और 800 से अधिक लोग घायल हुए थे. हादसे के बाद ज्यादातर पीड़तों ने एक और जंग लड़ी. उचित मुआवजे की जंग.

76% पीड़ितों ने की और मुआवजे की मांग

बता दें कि रेलवे ने इस हादसे में जान गंवाने वालों के परिवार के लिए 10-10 लाख रुपये मुआवजे की घोषणा की थी. गंभीर रूप से घायल हुए और विकलांग हुए पीड़ितों को 2 लाख रुपये और मामूली रूप से घायलों को 50,000 रुपये के मुआवजे का ऐलान किया गया था. हालांकि, इस हादसे में आधिकारिक रूप से प्रभावित घोषित किए गए 1,102 पीड़ितों में से 76 प्रतिशत ने राहत के लिए और मुआवजे की मांग की. इसके लिए कोलकाता, भुवनेश्वर, रांची, पटना, चेन्नई और भोपाल के रेलवे क्लेम ट्रिब्यूनल (RCT) का रुख किया. 

रेलवे क्लेम ट्रिब्यूनल (RCT) रेलवे प्रशासन के खिलाफ की गई अपीलों पर सुनवाई करता है. इंडियन एक्सप्रेस की एक स्पेशल इन्वेस्टिगेशन रिपोर्ट के मुताबिक उचित मुआवजे के लिए RCTs के सामने 841 याचिकाएं दायर की गईं. अखबार को ये जानकारी सूचना के अधिकार (RTI) अधिनियम के तहत मिले केस रिकॉर्ड्स की जांच से मिली है. इन 841 याचिकाओं में 193 याचिकाएं मृतकों के परिवार की और 648 अपीलें घायलों की रहीं. इनमें से 608 पीड़ितों (416 घायल और 192 मृतकों के परिवार) को पहले ही रेलवे से अनुग्रह राशि मिल चुकी थी.

183 मृतकों के परिवार को मिली राहत, कई केस पेंडिंग

इंडियन एक्सप्रेस को मिले रिकॉर्ड के अनुसार, RCT के सामने 841 याचिकाओं में कुल 40.61 करोड़ रुपये मुआवजे की मांग की गई. अब तक 793 मामलों में कुल 18.69 करोड़ रुपये दिए गए हैं. इसमें से लगभग 80 प्रतिशत मौत के मामले हैं. औसतन, हर घायल ने 4.32 लाख रुपये का दावा दायर किया और औसतन 68,284 रुपये का बढ़ा हुआ मुआवजा पाया.

रिपोर्ट के मुताबिक मृतकों के मामलों में, RCT ने 183 परिवारों को 8-8 लाख रुपये का और मुआवजा दिया. ये वो मामले थे, जिनमें मृतक अपने परिवार में इकलौते कमाने वाले सदस्य थे. कोलकाता (4), पटना (3) और रांची (2) की RCT बेंचों के सामने मौतों से जुड़े 9 मामले अभी भी पेंडिंग हैं. वहीं कोलकाता में 1 मामला सुनवाई के लिए पक्षों की गैर-मौजूदगी के कारण खारिज कर दिया गया.

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बालासोर में ट्रेन हादसे के बाद बचाव और खोज अभियान (फोटो: PTI)

रिकॉर्ड्स बताते हैं कि कुल मिलाकर, घायलों के लिए RCT की ओर से मुआवजे में अधिकतम बढ़ोतरी पश्चिम बंगाल के एक निवासी के मामले में की गई. ट्रेन में सामान्य श्रेणी के डिब्बे में सफर करने वाले इस व्यक्ति की बाईं कलाई जल गई थी और दाहिना हाथ फ्रैक्चर हो गया था. उसे 2 लाख रुपये की अनुग्रह राशि की तुलना में 5.4 लाख रुपये का मुआवजा दिया गया. घायलों के लिए मुआवजे में सबसे कम 10 हजार रुपये की बढ़ोतरी रांची की RCT ने तीन मामलों में की.

बालासोर हादसे में दो गर्भवती महिलाओं के अजन्मे बच्चों की मौत हो गई थी. उन्हें रेलवे ने मुआवजे के तौर पर 50 हजार रुपये दिए थे. दोनों पीड़ित महिलाओं ने कोलकाता के RCT में अपील की. एक महीने की सुनवाई के बाद, एक पीड़ित महिला को 1.2 लाख रुपये और दूसरी महिला को 80,000 रुपये अधिक दिए गए. हादसे में एक व्यक्ति के कान के पास लोहे की छड़ घुस गई थी, जिससे उसकी सुनने की शक्ति प्रभावित हुई. उसे रेलवे की 2 लाख रुपये की अनुग्रह राशि के अलावा 1.6 लाख रुपये और दिए गए.

इंडियन एक्सप्रेस ने इन 841 याचिकाओं के केस रिकॉर्ड की समीक्षा की है. इसमें पता चला:

- कम से कम 90 पीड़ित, जो घायल हुए थे, ने RCT को बताया कि उन्हें रेलवे या उनकी राज्य सरकारों से मुआवजे के तौर पर एक भी रुपया नहीं मिला - उन सभी को RCT ने राहत दी.

- कुल मिलाकर, रेलवे ने 232 घायलों और एक मृतक के ओडिशा में रहने वाले परिवार को मुआवजा नहीं दिया. 297 मृतकों में से 27 शवों की पहचान नहीं हो सकी.

- कम से कम 215 मामलों में, रेलवे ने RCT के सामने सुनवाई के दौरान 'घायलों' से इसका सबूत मांगा कि वे दुर्घटनास्थल पर थे, उनसे यात्रा का प्रमाण मांगा.

- घायलों के कम से कम 450 मामलों में जो इंजरी हुई, वो RCT  के मुआवजा कानून के तहत नहीं थी. मतलब ये है कि इंजरी की परिभाषा में मानसिक आघात जैसे मामले न होने के कारण, ज्यादातर प्रभावितों को उनकी मांग के मुकाबले कम मुआवजा मिला.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक रेल मंत्रालय ने उसकी रिपोर्ट के निष्कर्षों पर आधारित सवाल का कोई जवाब नहीं दिया है.

अखबार को मिले केस रिकॉर्ड से ये भी पता चला है:

- घायलों के 648 मामलों में से, 577 की सुनवाई भुवनेश्वर और कोलकाता में दो RCT द्वारा की गई. पीड़ितों ने करीब 25 करोड़ रुपये का दावा किया था और उन्हें लगभग 4 करोड़ रुपये दिए गए.

- पटना बेंच ने कुल 28 में से अब तक केवल 6 मामलों का फैसला किया है, और मृत्यु के तीन मामलों में 8-8 लाख रुपये, घायलों के एक मामले में 64,000 रुपये और घायलों के 2 अन्य मामलों में 15-15 हजार रुपये दिए हैं. इसके अलावा, कोलकाता बेंच के सामने 22 मामलों और भुवनेश्वर में 1 मामले की अभी भी सुनवाई चल रही है.

- भोपाल बेंच के सामने केवल 1 मामला है. एक पेंट्री कार कर्मचारी का केस, जो गंभीर रूप से जल गया था और उसे रेलवे से 2 लाख रुपए की अनुग्रह राशि मिली थी. उसे 4 लाख रुपए के दावे पर 1.6 लाख रुपए का और मुआवजा दिया गया.

बालासोर हादसे को लेकर जुलाई 2023 में तीन रेलवे कर्मचारियों- दो सेक्शन इंजीनियर और एक तकनीशियन, को गिरफ्तार किया गया था. तीनों के खिलाफ CBI आरोप पत्र दायर कर चुकी है. इन पर गैर इरादतन हत्या और सबूत मिटाने का आरोप है. वहीं रेलवे सुरक्षा आयुक्त (दक्षिण-पूर्वी सर्किल) की जांच के बाद CBI द्वारा गिरफ्तार किए गए 3 अधिकारियों सहित 7 रेलवे अधिकारियों को सस्पेंड किया गया.

वीडियो: बालासोर ट्रेन हादसे में CBI का एक्शन, रेलवे के तीन गिरफ्तार अधिकारी कौन?