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मनीष कश्यप ने 'बिहारियों पर हमले' को साबित करने के लिए जो वीडियो डाले, उनका सच क्या है?

तमिलनाडु में बिहार के प्रवासी मजदूरों पर हमले के फेक वीडियो और खबरें वायरल करने का मामला तूल पकड़ चुका है.

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बिहारी मजदूरों पर हमले की फेक जानकारी शेयर करने के आरोप में मनीष पर FIR. (तस्वीर/स्क्रीनशॉट- ट्विटर)

तमिलनाडु में बिहार के प्रवासी मजदूरों पर हमले (Bihar migrant workers attacked in Tamil Nadu) के फेक वीडियो और खबरें वायरल (Fake videos) करने का मामला तूल पकड़ चुका है. बिहार पुलिस ने इस मामले में कार्रवाई करते हुए यूट्यूबर मनीष कश्यप के खिलाफ FIR दर्ज की है. FIR के बाद से मनीष कश्यप पर गिरफ्तारी की तलवार लटकी हुई है. 

इस बीच ट्विटर पर कुछ वीडियो वायरल हो रहे हैं. इनके आधार पर आरोप लग रहा है कि मनीष कश्यप ने तमिलनाडु में बिहारी मजदूरों पर हमले के दावे को सही साबित करने के लिए ‘स्क्रिप्टेड’ वीडियो शेयर किए थे. मनीष के ट्विटर हैंडल से एक के बाद एक पोस्ट किए जा रहे हैं. बुधवार, 8 मार्च को भी उनके ट्विटर अकाउंट से एक पोस्ट किया गया. इसमें प्रवासी मजदूरों के लिए आवाज उठाने की बात दोहराते हुए बिहार सरकार को घेरा गया.

ट्वीट में लिखा था,

“तेजस्वी यादव जी चश्मा हटाकर इस फोटो को देखिए, मजदूरों के चेहरे पर घाव हैं. जिस मीडिया ने रिकॉर्डिंग की है उसका मोबाइल नंबर भी है. एक बार बात करके तो देखिए क्या पता आप झूठ बोल रहे हैं और मजदूर सच में तमिलनाडु में परेशान हों.”

मनीष ने आगे लिखा कि मजदूरों को तमिलनाडु में जो ‘मार’ पड़ी है वो सच है कि झूठ इसकी जानकारी तो सरकार और प्रशासन ही देगा. लेकिन बिहारी मजदूर राज्य से बाहर जाकर मार खाते हैं, भगाए जाते हैं, इसके लिए दोषी सरकार ही है.

मनीष ने तेजस्वी यादव पर आरोप लगाते हुए लिखा,

“तेजस्वी यादव जी शायद भाषण में झूठ बोलते-बोलते आप लोगों को झूठ सुनने की आदत हो गई है. इसलिए मनीष कश्यप का सच आप लोगों को झूठ लगा. मैं बिहार के मजदूर और गरीबों के बारे में झूठ नहीं फैलाता हूं बल्कि उनकी सच्चाई दिखाता हूं और उस सच को आप लोग देखना नहीं चाहते.”

वीडियो का सच क्या है?

बिहार के मजदूरों पर तमिलनाडु में हमले की बात करने वाले मनीष कश्यप पर फेक विडियो फैलाने के आरोप लगे हैं. तमिलनाडु पुलिस ने वीडियो को फेक बताया है. पुलिस ने जो वीडियो पोस्ट किया है, उसमें मजदूर बन कर बैठे दो लोग वीडियो शुरू होने से पहले हंसते हुए नजर आ रहे हैं. वीडियो यहां देखा जा सकता है.

अलीशान जाफरी नाम के एक पत्रकार ने भी पोस्ट करते हुए इस फेक वीडियो की जानकारी दी है. 

अलीशान ने मनीष पर प्रोपेगेंडा फैलाने के आरोप भी लगाए. एक और ट्वीट शेयर करते हुए अलीशान ने लिखा कि जिस चैनल पर ये वीडियो दिखाया गया, वो प्रोपेगेंडा कॉन्टेंट से भरा पड़ा है. उनके मुताबिक एक वीडियो में 50 लोगों के मारे जाने की बात कही गई है, जो कि झूठ है.

वहीं चंदन नाम के एक अन्य ट्विटर यूजर ने बुधवार देर रात दो वीडियो के स्क्रीनशॉट ट्विटर पर शेयर किए. उन्होंने बताया, 

"पहला वीडियो 2 दिन पहले डाला गया था. स्क्रीनशॉट में देखें, इसमें गमछा डाला हुआ व्यक्ति पीड़ित है. दूसरा वीडियो 14 घंटे पहले का है. इसमें वही पीड़ित एंकर बना हुआ है. 30 घंटे में पीड़ित को चोट भी सही हो गई और वो एंकर भी बन गया."

इस सबके बीच मनीष कश्यप ने बिहार के मजदूरों पर हमले की जांच के लिए एक स्वतंत्र कमेटी बनाने की बात कही है. उन्होंने ट्वीट कर लिखा,

“एक स्वतंत्र कमेटी बनाकर बिहारी मजदूर जो बिहार के बाहर कमाते हैं, उनकी दयनीय स्थिति का पता लगाया जाए. फिर पता चलेगा कि मेरे ऊपर जो FIR हुई है वो सही है या गलत.”

मनीष ने आगे लिखा कि स्वतंत्र कमेटी में पक्ष और विपक्ष के नेता, बिहार के समाजसेवी, पत्रकार, वकील, रिटायर्ड IAS/IPS अधिकारी और रिटायर्ड जज होने चाहिए.

जांच में 30 वीडियो मिले थे

इस मामले की जांच में लगी बिहार पुलिस की एक शाखा EOU के पुलिस अधिकारियों ने बताया था कि कुल 30 फेक वीडियो और सोशल मीडिया पोस्ट का पता लगा है. पुलिस ने इन वीडियो को हटाने के लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को भी नोटिस जारी किए हैं. फेसबुक को 9 नोटिस दिए गए हैं. ट्विटर और यूट्यूब को 15-15 नोटिस जारी किए गए हैं. वहीं तीन नोटिस Gmail को भी भेजे गए. 

PTI की खबर के मुताबिक EOU की 10 लोगों की टीम इस मामले की जांच में जुटी है. अधिकारियों ने मामले में सख्त कार्रवाई करने की बात कही है. बिहार सरकार ने चार अधिकारियों की एक टीम तमिलनाडु भी भेजी है, जो इसी मामले की जांच में लगे वहां के अधिकारियों की मदद करेगी.

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