महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव (Maharashtra Assembly Election) की 288 विधानसभा सीटों की काउंटिंग में BJP गठबंधन एकतरफा जीत की ओर है. जबकि झारखंड में INDIA गठबंधन ने रुझानों में बहुमत का आंकड़ा पार कर लिया है. INDIA गठबंधन 55 से ज्यादा सीटों पर, जबकि NDA 20 से ज्यादा सीटों पर आगे है. इन दोनों चुनावों में महिलाओं ने अहम रोल निभाया है. महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए कल्याणकारी योजनाएं काफी हद तक निर्णायक फैक्टर साबित हो रही हैं.
अलग-अलग राज्यों में राजनीतिक दलों ने महिला-केंद्रित कल्याण कार्यक्रमों की घोषणा की. जिसका उन्हें फायदा भी मिला. झारखंड और महाराष्ट्र के चुनाव नतीजों में महिला वोटर्स का असर साफ देखने को मिल रहा है.
महिलाओं के लिए आईं योजनाओं ने बदल लिया सीन, महाराष्ट्र-झारखंड के रिजल्ट तो यही बता रहे हैं
Maharashtra और Jharkhand के Assembly Election में महिलाओं ने अहम रोल निभाया है. महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए कल्याणकारी योजनाएं काफी हद तक निर्णायक फैक्टर साबित हो रही हैं.
शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में मध्य प्रदेश की सरकार ने देश में पहली बार ऐसी स्कीम लॉन्च की थी, जिनका फोकस लड़कियों और महिलाओं पर था. इस स्कीम ने एमपी का पॉलिटिकल लैंडस्कैप बदल दिया था. चुनाव से कुछ दिन पहले लॉन्च की गई लाडली बहना योजना एमपी में गेम-चेंजर साबित हुई थी. डायरेक्ट कैश ट्रांसफर का लाभ देने वाली ये योजना काफी हद तक हिट साबित हुई थी. इस योजना ने महिला मतदाताओं को रिकॉर्ड संख्या में वोट डालने के लिए प्रेरित किया. नतीजा ये रहा कि चुनाव में भाजपा को भारी जीत मिली और यह रणनीति चुनाव जीतने का फार्मूला साबित हुई.
पिछले कुछ सालों में कई राज्य सरकारों ने ऐसी कल्याणकारी योजनाएं लागू की हैं, जिनके फोकस में महिलाएं हैं. इनमें महिलाओं की बेहतरी के लिए सीधा नगद ट्रांसफर शामिल है. इन योजनाओं को महिलाओं ने काफी पसंद किया और बदले में उन सरकारों के पक्ष में जमकर वोट किया. आलोचक कई बार इन कदमों को पॉपुलिस्ट कदम बताते हैं, लेकिन इन कदमों से जो राजनीतिक लाभ मिलता है उसे नकारा नहीं जा सकता है. महाराष्ट्र और झारखंड इन योजनाओं की सफलता के हालिया उदाहरण हैं.
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महाराष्ट्र में इस चुनाव से पहले सत्तारूढ़ महायुति गठबंधन ने महिला सशक्तिकरण योजना का विस्तार किया. जिसमें महिलाओं की शिक्षा और कौशल विकास के लिए वित्तीय प्रोत्साहन भी शामिल है. लाडकी बहिन योजना इस सरकार की ट्रेड मार्क स्कीम बन गई. योजना के तहत हर परिवार की महिला मुखिया को प्रतिमाह 1500 रुपये रुपये दिए जाने लगे. जबकि चुनाव के तुरंत पहले शिंदे सरकार ने इसे बढ़ाकर 2500 रुपये तक करने का वादा किया.
महिला वोटरों को शिंदे सरकार की ये बात काफी रास आई. इस चुनाव में महिलाएं बढ़ चढ़कर मतदान करने निकलीं. खासकर ग्रामीण और कस्बाई इलाकों में बड़ी संख्या में महिलाएं वोट देने निकलीं. नतीजों से ये बात साफ हो रही है कि महिलाओं ने महायुति सरकार को जमकर वोट किया. जिन सीटों पर महाविकास अघाड़ी और महायुति के बीच कांटे की टक्कर थी, वहां भी महायुति ने महिला वोटरों के दम पर बंपर कामयाबी हासिल की.
जबकि झारखंड में भी ऐसा ही कुछ देखने को मिला. मइयां सम्मान योजना के तहत राज्य सरकार योग्य महिलाओं को हर महीने 1000 रुपये दे रही थी. हेमंत सरकार इस योजना की 4 किश्त महिलाओं के खाते में ट्रांसफर कर भी चुकी है. इसके अलावा हेमंत सरकार ने स्कूल जाने वाली लड़कियों को मुफ्त साइकिल, सिंगल मदर को नगद सहायता, बेरोजगार महिलाओं को नगद सहायता देने की भी स्कीमें शुरू की. जिनका फायदा हेमंत सोरेन को इस चुनाव में मिला है.
महिला केंद्रित योजनाएं की सफलता का क्या है राज?1. सीधा फायदा: महिलाओं को केंद्र में रखकर बनाई गईं कल्याणकारी योजनाओं में अक्सर सीधे बैंक अकाउंट में पैसे डाले जाते हैं. इनसे उन्हें तुरंत फायदा मिलता है. इस फायदे के बदले में महिलाओं को संबंधित पार्टी को वोट देने में गुरेज नहीं होता है.
2. सामुदायिक प्रभाव: महिलाएं, विशेष रूप से ग्रामीण भारत में, परिवार और समुदाय के निर्णय लेने में केंद्रीय भूमिका निभाती हैं. ये अप्रत्यक्ष रूप से कई वोटों को प्रभावित करती हैं. एक महिला जब समूह में होती है और इन योजनाओं की चर्चा करती है, तो दूसरी महिलाएं भी इससे प्रभावित होती हैं.
3. सामाजिक अंतर को पाटना: ये योजनाएं लंबे समय से चली आ रही असमानताओं को टारगेट करती हैं. ये योजनाएं सिंगल मदर, विधवाओं और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को तुरंत आकर्षित करती हैं. क्योंकि इसमें बिना किसी सरकारी दखल के उन्हें नगद पैसे मिलते हैं.
4. राजनीतिक वफादारी: लाभार्थी केंद्रित कार्यक्रम महिलाओं के बीच विश्वास और वफ़ादारी को बढ़ावा देते हैं, जो पार्टियां इन्हें अमल में लाती हैं उनके लिए ये महिलाएं परमानेंट वोट बैंक में तब्दील हो जाती हैं.
ध्यान देने वाली बात है कि महिलाओं को सेंटर में रखकर बनाई गईं इस तरह की कल्याणकारी योजनाएं राजनीतिक दलों के लिए एक शक्तिशाली टूल के तौर पर उभरी हैं. ये चुनावी रणनीतियों को नया रूप दे रही हैं. बात चुनाव नतीजों की करें तो महाराष्ट्र में महायुति को तकरीबन 230 के आस-पास सीटें मिलती दिख रही हैं. महाविकास अघाड़ी गठबंधन का हाल काफी खराब है. वह 50 के आसपास सीटों पर बढ़त बनाए हुए है. महायुति में बीजेपी, शिवसेना (एकनाथ शिंदे) और NCP (अजित पवार) शामिल हैं, जबकि महाविकास अघाड़ी में Congress, शिवसेना (उद्धव ठाकरे) और NCP(शरद पवार) हैं. वहीं झारखंड में INDIA गठबंधन को बंपर जीत मिली है.
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