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29 जिले डूबे, 24 लाख बेहाल, 64 की मौत...असम में बाढ़ की पूरी कहानी

Assam में बाढ़ से करीब 24 लाख लोग प्रभावित हैं. बाढ़ से जान गंवाने वालों की संख्या 64 हो गई है. राज्य भर में 3,535 गांवों के लगभग 23.9 लाख बाढ़ से प्रभावित हुए हैं. जिनमें 50 हजार से ज्यादा लोगों ने शेल्टर होम में शरण लिया है.

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असम में बाढ़ से अब तक 64 लोग जान गंवा चुके हैं. (इंडिया टुडे)

नॉर्थ ईस्ट इंडिया का सबसे बड़ा राज्य, असम. बाढ़ की विभीषिका से जूझ रहा है. राज्य के 29 जिलों में सैलाब की स्थिति है. नदी-नाले और पगडंडी में भेद मुश्किल हो गया है. गांव और नदी के किनारे एक लय हो गए हैं. राज्य की सभी प्रमुख नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं. कुदरत बारिश की शक्ल में तबाही बरसा रहा है. लोगों के घरों में पानी भर गया है. कई लोगों के आशियाने पानी के थपेड़ों के आगे ढेर हो गई. जो जितना समेट सका, समेट कर रेस्क्यू कैंप में चले गए. लेकिन जो समय से नहीं निकल पाएं उनको पानी का बहाव अपने साथ बहा ले गया. असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने जलजमाव वाले इलाकों का दौरा किया. और दावा किया कि हालात अब काबू में हैं. राहत बचाव के काम तेजी से हो रहे हैं. लेकिन मीडिया रिपोर्ट्स उनके दावे के उलट कहानी बयां कर रहे हैं.

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क्रेडिट : (PTI)

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, असम में अब भी बाढ़ की स्थिति गंभीर बनी हुई है. इससे करीब 24 लाख लोग प्रभावित हैं. असम राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (ASDMA) के मुताबिक बाढ़ से जान गंवाने वालों की संख्या 64 हो गई है. राज्य भर में 3,535 गांवों के लगभग 23.9 लाख बाढ़ से प्रभावित हुए हैं. जिनमें 50 हजार से ज्यादा लोगों ने शेल्टर होम में शरण लिया है.

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क्रेडिट- इंडिया टुडे

बाढ़ से सबसे ज्यादा प्रभावित जिला धुबरी है. यहां करीब 8 लाख लोग बाढ़ से जूझ रहे हैं. इसके बाद कछार और दारंग जिले हैं. जहां डेढ़ लाख से ज्यादा लोग बाढ़ से प्रभावित हैं. इनके अलावा कछार, कामरूप, धुबरी, नागांव, गोलपारा, बारपेटा, डिब्रूगढ़, बोंगाईगांव, लखीमपुर, जोरहट, कोकराझार, करीमगंज और तिनसुकिया बाढ़ से सबसे ज्यादा प्रभावित जिलों में शामिल हैं.

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क्रेडिट : (PTI)

ब्रह्मपुत्र और बराक जैसी प्रमुख नदियों में जोरहट से धुबरी तक वाटर लेवल हाई है. कई नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं. बराक नदी करीमगंज शहर के एपी घाट, बीपी घाट और कुशियारा में खतरे के निशान से ऊपर बह रही है. इसके अलावा बुरहिदेहिंग, दिखौ, दिसांग, धनसिरी, जिया भराली, कोपिली और संकोश जैसी नदियां अलग-अलग जगहों पर खतरे के निशान को पार कर गई है. बाढ़ से लगभग 68 हजार 768 हेक्टेयर फसल क्षेत्र जलमग्न हो गई है.

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क्रेडिट : (PTI)

काजीरंगा नेशनल पार्क में बाढ़ के चलते अब तक 114 जंगली जानवरों की मौत हो गई है. जिनमें 6 गैंडे भी शामिल हैं. यह हाल के वर्षों में केएनपी में आई सबसे भीषण बाढ़ हैं. जिसमें इतने जानवरों की मौत हुई है.

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क्रेडिट : (PTI)

पिछले हफ्ते असम के मैदानी इलाकों में भी बाढ़ का असर दिखा है. क्योंकि ऊपरी इलाकें में स्थित कई बांधों से अतिरिक्त पानी छोड़ा गया है. जिसमें असम-अरुणाचल सीमा पर रंगनदी और सुबनसिरी लोअर बांध, नागालैंड में दोयांग बांध और पड़ोसी भूटान में कुरिचू बांध शामिल हैं. इसके अलावा गुवाहाटी के कटोरे के आकार के निचले इलाकों में बढ़ते कंक्रीट निर्माण ने इस क्षेत्र में बाढ़ की संभावना को और बढ़ा दिया है.

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क्रेडिट : (PTI)

असम राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (ASDMA)  के एक सीनियर ऑफिसर के मुताबिक, 

तबाही के बावजूद उम्मीद की एक किरण दिखती है. क्योंकि 2 जुलाई से स्थिति में सुधार होना शुरू हुआ है. और उम्मीद है कि आने वाले दिनों में जल स्तर घटने लगेगा.

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने असम में बाढ़ की स्थिति के आकलन के लिए मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा से बात की है. अमित शाह ने ट्वीट कर कहा कि NDRF और SDRF युद्ध स्तर पर काम कर रहे हैं, राहत प्रदान कर रहे हैं और पीड़ितों को बचा रहे हैं.

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स्थानीय लोग बताते हैं कि पहले असम में 4-5 साल में एकाध बार बाढ़ आती थी. लेकिन अब हर साल यहां 3 से 4 बार बाढ़ आ रही है. असम में ऐसे हालात बार-बार क्यों पैदा हो रहे हैं? इसको समझने से पहले यहां की जियोग्राफी पर नजर डालना होगा. असम की भौगोलिक स्थिति किसी कटोरे जैसी है, जिसमें पानी जमा हो जाता है.

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क्रेडिट : (PTI)

आजतक की रिपोर्ट के मुताबिक, पूरा असम राज्य नदी घाटी में बसा हुआ है. असम का कुल क्षेत्रफल 78,438 वर्ग किलोमीटर है. जिसमें 56,194 वर्ग किलोमीटर ब्रह्मपुत्र नदी की घाटी में बसा है. बाकी का 22,444 वर्ग किलोमीटर का इलाका बराक नदी की घाटी में बसा हैं. हर साल असम का लगभग 40 फीसदी एरिया बाढ़ में डूब जाता है. ब्रह्मपुत्र और बराक के अलावा राज्य में 48 छोटी-छोटी और सहायक नदियां भी हैं. जिस वजह से यहां बाढ़ का खतरा ज्यादा है.

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क्रेडिट : (PTI)

असम में बाढ़ आने की बड़ी वजह

सामान्य से ज्यादा बारिश: ब्रह्मपुत्र बोर्ड के मुताबिक यहां हर साल सामान्य से 248 सेमी से 635 सेमी ज्यादा बारिश होती है.

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क्रेडिट : (PTI)

रहने के लिए जगह की कमी:  ब्रह्मपुत्र नदी जिस घाटी से होकर गुजरती है, वो जगह बहुत संकरी है. और ब्रह्मपुत्र नदी का विस्तार कई किलोमीटर तक है. इसके दोनो ओर जंगल हैं. और निचले इलाके में खेती होती है. ऐसे में यहां रहने के लिए जगह कम है. जब नदी ऊपर से बहते हुए निचले इलाकों में आती है तो इससे बाढ़ आ जाती है. 

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क्रेडिट : (PTI)

जनसंख्या घनत्व में वृद्धि:  कम जगह में ज्यादा लोगों के रहने की वजह से भी बाढ़ का खतरा बढ़ गया है. 1940-41 में यहां हर किमी में 9 से 29 लोग रहते थे. लेकिन अब हर एक किमी में तकरीबन 200 लोग रहते हैं.  

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