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असम को अलग देश बनाने में लगे परेश बरुआ को हिमंता बिस्वा सरमा ने न्योता क्यों दिया?

ULFA-I के प्रमुख हैं परेश बरुआ. सीएम सरमा ने बताया 'पढ़ा-लिखा समझदार 'व्यक्ति.

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परेश बरुआ (फाइल फोटो: स्पेशल अरेंजमेंट) और असम के CM हिमंता बिस्वा सरमा. (फाइल फोटो: PTI)

असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने प्रतिबंधित संगठन ULFA-I के एक प्रमुख परेश बरुआ को राज्य में आने का न्यौता दिया है. इंडिया टुडे के सारस्वत कश्यप की रिपोर्ट के मुताबिक CM हिमंता ने कहा है कि परेश बरुआ एक हफ्ता असम में बिताएं और यहां हुए बदलाव को देखें. उन्होंने परेश बरुआ को सभी सुविधाएं देने का भी आश्वासन दिया है. ये भी कहा है कि बरुआ को ये आमंत्रण किसी 'वार्ता' के लिए नहीं है.

परेश बरुआ को ‘मेहमान’ के तौर पर बुलाया

असम के तिनसुकिया में मंगलवार, 8 अगस्त को मीडिया से बात करते हुए CM हिमंता ने कहा,

"परेश बरुआ एक समझदार और पढ़े-लिखे आदमी हैं. अगर वो राज्य का दौरा करते हैं और यहां 7 दिन बिताते हैं, तो वो देखेंगे कि राज्य में पिछले कुछ सालों में कितना विकास हुआ है. मैंने उन्हें एक मेहमान के तौर पर आमंत्रित किया है, किसी वार्ता के लिए नहीं."

CM हिमंता ने कहा कि एक समय बरुआ को लगता था कि बाहरी लोगों ने असम में हर चीज पर कब्जा कर लिया है, लेकिन अब माहौल पूरी तरह बदल गया है. हिमंता बिस्वा सरमा ने कहा,

"आज असम के लोग कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में काम कर रहे हैं. अब 1982-1983 जैसा माहौल नहीं है."

अब तक नहीं बनी ‘बातचीत’ पर बात

सरमा ने यह भी कहा कि उल्फा में शामिल हुए कई युवा वापस आ गए हैं और कई अन्य भी मुख्यधारा में वापस आना चाहते हैं. बरुआ के साथ 'वार्ता' के बारे में पूछे जाने उन्होंने कहा,

''अगर कुछ व्यावहारिक कठिनाइयां न होतीं तो अब तक बातचीत हो चुकी होती. हम उन व्यावहारिक मुद्दों को हल करने की कोशिश कर रहे हैं.”

मई 2021 में असम का CM पद संभालने के बाद से हिमंता बिस्वा सरमा ULFA-I के प्रमुख परेश बरुआ से हिंसा छोड़ने और "मुख्यधारा में लौटने" की पेशकश करते रहे हैं. जबकि बरुआ की ओर से कहा गया था ULFA-I असम की संप्रभुता के मुद्दे से कभी पीछे नहीं हटेगा. वहीं हिमंता बिस्वा सरमा ने भी साफ किया था कि जब तक परेश बरुआ संप्रभुता की अपनी मांग नहीं छोड़ते, तब तक ULFA-I के साथ शांति वार्ता संभव नहीं होगी.

हालांकि एक समय उल्फा ने हिमंता बिस्वा सरमा को संगठन का ‘पूर्व सदस्य’ बताया था. ये 2011 की बात है. तब हिमंता बिस्वा सरमा राज्य की तत्कालीन कांग्रेस सरकार में मंत्री थे. उन्हीं दिनों इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट मुताबिक ULFA-I की ओर से सरमा को संगठन का पूर्व सदस्य बताया गया था. लेकिन सरमा ने इस दावे को गलत बताया था. उन्होंने कहा था,

“अगर मैं ULFA कैडर में था, तो उन्हें ऐसा कहने में 10 साल क्यों लग गए?”

अलगाववादी संगठन है ULFA-I 

यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम- इंडिपेंडेंट (ULFA-I) असम में सक्रिय एक सशस्त्र अलगाववादी संगठन है. ULFA-I यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (ULFA) संगठन से निकला है. असम में अलगाव की मांग पर 1979 में ULFA नाम का संगठन बना था. 1979 से 1985 तक असम में सशस्त्र संघर्ष का दौर चला. परेश बरुआ ULFA के कमांडर बने. ULFA के साथ केंद्र सरकार ने कई बार बात करनी चाही, लेकिन इसे लेकर ULFA में ही आपसी टकराव हो गया. भारत सरकार ने 1990 में अविभाजित ULFA को एक आतंकवादी संगठन बताते हुए उस पर प्रतिबंध लगा दिया था.

इसके बाद ULFA दो भागों में बंट गया. एक हिस्से का नेतृत्व अरविंद राजखोवा ने किया. राजखोवा गुट सरकार के साथ बातचीत के पक्ष में था. दूसरे हिस्से का नेतृत्व परेश बरुआ ने किया. बरुआ गुट सरकार के साथ बातचीत के विरोध में था. इस हिस्से का मानना था कि असम का भारत से अलग वजूद होना चाहिए. 2011 में राजखोवा के नेतृत्व वाले गुट ने केंद्र और असम सरकार के साथ सस्पेंशन ऑफ ऑपरेशंस के लिए एक त्रिपक्षीय समझौता किया. वहीं 2013 में बरुआ के नेतृत्व वाले गुट ने अपना नाम ULFA-I कर लिया.

साउथ एशिया टेररिज्म पोर्टल (SATP) के मुताबिक अभी ULFA-I का नेतृत्व इसके 'अध्यक्ष' अभिजीत बर्मन और 'उपाध्यक्ष' परेश बरुआ के हाथ में है. परेश बरुआ को इस संगठन का ‘कमांडर-इन-चीफ’ भी बताया गया है. ऐसी रिपोर्ट्स हैं कि इस समय बरुआ चीन के युन्नान प्रांत में है और बरुआ को चीन की मिनिस्ट्री ऑफ स्टेट सिक्योरिटी से धन और संरक्षण मिलता है.

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