असम में अब सार्वजनिक स्थानों पर गोमांस (बीफ) नहीं मिलेगा. मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने राज्य में गोमांस की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया है. उन्होंने बताया कि असम कैबिनेट ने प्रदेश के होटलों, रेस्त्रां और सार्वजनिक स्थानों पर गोमांस की बिक्री पर रोक लगाने का फैसला किया है. असम के मुख्य विपक्षी दल AIUDF ने राज्य सरकार के इस फैसले को लेकर सवाल उठाए हैं.
असम सरकार ने गोमांस बेचने पर लगाया बैन, फैसले का विरोध शुरू
Assam CM Himanta Biswa Sarma ने बताया कि असम कैबिनेट ने प्रदेश के होटलों, रेस्त्रां और सार्वजनिक स्थानों पर गोमांस की बिक्री पर रोक लगाने का फैसला किया है.
मुख्यमंत्री हिमंता ने ‘एक्स’ पर पोस्ट करके फैसले का एलान किया. उन्होंने कहा कि आज से गोमांस के सेवन को बंद करने का निर्णय लिया गया है. सीएम हिमंता ने लिखा,
“हम तीन साल पहले गोहत्या को रोकने के लिए कानून लाए थे. इस दौरान हमें काफी सफलता मिली. अब हमने इसी कड़ी में आगे जाकर निर्णय किया है कि असम में गोमांस किसी भी होटल या रेस्टोरेंट में परोसा नहीं जाएगा. इसके साथ ही किसी भी सार्वजनिक कार्यक्रम या जगह पर भी गोमांस को परोसना प्रतिबंधित होगा.”
असम सरकार गोहत्या को रोकने के लिए साल 2021 में एक कानून लाई थी. असम मवेशी संरक्षण अधिनियम 2021. इसके तहत उन इलाकों में मवेशियों की हत्या और गोमांस की बिक्री पर प्रतिबंध है जहां हिंदू, जैन और सिख बहुसंख्यक रहते हैं और किसी मंदिर के पांच किलोमीटर के दायरे में हैं. लेकिन 4 दिसंबर को लिए गए फैसले के बाद अब इस दायरे में सभी सार्वजनिक स्थान आ जाएंगे.
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प्रतिबंध के फैसले के बाद राजनीति शुरूअसम सरकार के बीफ बैन के फैसले के बाद प्रदेश में राजनीति शुरू हो गई है. असम की मुख्य विपक्षी पार्टी ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (AIUDF) के महासचिव और विधायक डॉ (हाफिज़) रफीकुल इस्लाम ने कहा कि इस निर्णय पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत नहीं है. उन्होंने कहा,
“लोग क्या खाएंगे, क्या पहनेंगे, इसका फैसला कैबिनेट नहीं ले सकती. बीजेपी गोवा और उत्तर पूर्वी राज्यों में बीफ पर प्रतिबंध नहीं लगा सकती तो ये प्रतिबंध असम में क्यों? हमें इस फैसले पर अधिक ध्यान नहीं देना चाहिए.”
वहीं, असम सरकार में जल संसाधन समेत सूचना व प्रसारण मंत्रालय संभाल रहे पीजूष हजारिका ने पाकिस्तान जाने की बात कह डाली. उन्होंने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में लिखा कि असम कांग्रेस या तो राज्य सरकार के बीफ बैन वाले फैसले का स्वागत करे या पाकिस्तान चली जाए.
बीफ पर राजनीति
बीते दिनों 13 नवंबर को असम के नगांव जिले की सामगुरी विधानसभा सीट पर चुनाव हुए थे. 23 नवंबर को आए चुनावी नतीजों में बीजेपी के दिप्लू रंजन सरमा ने कांग्रेस के तनजील हुसैन को 24,501 वोटों से हरा दिया. यह हार कांग्रेस के लिए एक बड़ा झटका थी. कारण, तंजील हुसैन 2024 में लोकसभा सांसद बनने से पहले सामगुरी से लगातार पांच बार से अपनी पार्टी का परचम लहरा रहे थे. इसके बाद कांग्रेस सांसद और तंजील हुसैन के पिता रकीबुल हुसैन ने बीजेपी और सीएम हिमंता सरमा पर ‘बीफ बांटने’ का आरोप लगाया था. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, उन्होंने दावा किया बीजेपी के इस आयोजन का मकसद ‘मुस्लिम बंगाली मतदाताओं’ को लुभाना था.
सांसद रकीबुल के आरोपों पर हिमंता ने सीधा जवाब नहीं दिया. लेकिन बीती 1 दिसंबर को उन्होंने इस मुद्दे पर कांग्रेस से घुमाकर सवाल दागा. मीडिया रपटों के मुताबिक, हिमंता ने कहा कि अगर कांग्रेस लिखित में दे तो वे राज्य में बीफ बैन करने को तैयार हैं. एक्सप्रेस ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि कांग्रेस इससे मुश्किल में पड़ गई है. पार्टी के एक नेता ने बताया कि रकीबुल हुसैन के बयान को बीजेपी अपने तरीके से भुनाएगी.
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