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"बर्दाश्त नहीं किया जाएगा"- पुंछ 'कस्टोडियल हत्या' पर सेना प्रमुख ने किसको मेसेज दे दिया?

चार सैनिकों की मौत के बाद सेना ने 9 से ज़्यादा नागरिकों को पूछताछ के लिए उठाया था. इनमें से तीन को कथित तौर पर यातना देकर मार दिया गया.

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आर्मी चीफ़ जनरल मनोज पांडे. (फ़ोटो - ANI)

जम्मू-कश्मीर के पुंछ ज़िले में हुई कथित कस्टोडियल हत्या पर सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे ने पहली सार्वजनिक टिप्पणी की है. कहा कि मानवाधिकारों के उल्लंघन पर 'ज़ीरो टॉलरेंस' की नीति है. सेना दिवस (15 जनवरी) से होने वाले सालाना मीडिया संबोधन में उन्होंने कहा,

"मानवाधिकारों के संबंध में सैनिकों को मेरा मार्गदर्शन स्पष्ट है. उस संबंध में किसी भी कार्रवाई के लिए कोई रियायत नहीं बरती जाएगी. उन इलाक़ों में क्या करना है, क्या नहीं और सैनिक जो कर रहे हैं, सबके लिए निर्धारित दिशानिर्देश हैं."

दरअसल, 21 दिसंबर को एक आतंकवादी हमले में चार सैनिक मारे गए थे. इसके बाद सुरक्षा बलों ने पुंछ के टोपा पीर गांव से नौ से ज़्यादा नागरिकों को पूछताछ के लिए उठा लिया था. पूछताछ के दौरान इनमें से तीन- सफ़ीर अहमद, शब्बीर अहमद और मोहम्मद शौक़त- को कथित तौर पर यातना देकर मार दिया गया. कुछ औरों को चोट आई थी, जिस वजह से उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया.

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इंडियन एक्सप्रेस की अम्रिता नायक दत्ता की रिपोर्ट के मुताबिक़, इस घटना के बाद मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने सेना की कार्रवाई पर सवाल उठाए थे. अब इस मसले पर सेना प्रमुख की प्रतिक्रिया आई है. उन्होंने बताया कि आंतरिक जांच चल रही है और सेना ने 'प्रभावित' गांव को गोद ले लिया है. अब सेना इस गांव की देख-रेख करेगी.

इससे पहले, 27 दिसंबर को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने राजौरी का दौरा किया था. पूछताछ में जिनकी मौत हुई और जो घायल हुए, उनके परिवारों से मिले. उसी दिन सैनिकों को संबोधित भी किया और कहा, "हमारा पहला उद्देश्य आतंकवादियों को ख़त्म करना ही है, लेकिन उससे पहले हमें लोगों का दिल जीतना होगा."

पिछले हफ़्ते, जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने भी कहा था कि घटना में शामिल लोगों को बख्शा नहीं जाएगा.

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ज़ीरो टॉलरेंस नीति पर जोर देने के अलावा उन्होंने ये भी कहा कि राजौरी-पुंछ बेल्ट में सुरक्षा स्थिति चिंता का सबब है. सेना प्रमुख मनोज पांडे ने बताया कि 2003 में इलाक़े से आतंकवाद का सफ़ाया हो गया था. 2017-18 तक शांति भी रही. लेकिन पिछले तीन सालों में पूरे कश्मीर में सात सैनिक मारे गए और राजौरी-पुंछ बेल्ट में ऐम्बुश हमलों में 20 सैनिकों की मौत हुई.

इसी दौरान आतंकवादी भी इसी इलाक़े में मारे गए हैं. पीर पंजाल रेंज में कुल 45 आतंकवादी मारे गए. जम्मू-कश्मीर में बीते साल, 2023 में कुल 71 आतंकवादी मारे गए. इसमें से घाटी में 52 आतंकवादी थे. सेना ने इन क्षेत्रों में तैनाती बढ़ा दी है और कुछ यूनिट्स को संगठित किया है.

और अलग-अलग मसलों पर क्या कहा?

पूर्वी-लद्दाख में चीन के साथ चल रहे गतिरोध पर उन्होंने कहा कि सेना का पहला मक़सद तो यही है कि 2020 की मौजूद यथास्थिति वापस बहाल हो.

पूर्वोत्तर की मौजूदा स्थिति के बारे में उन्होंने बताया कि सेना वहां की स्थिति के मद्देनज़र म्यांमार से भारत में घुसपैठ करने वाले विद्रोही समूहों पर कड़ी नज़र रख रही है.

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LAC पर बुनियादी ढांचे के विकास पर जनलर पांडे ने सड़कों-सुरंगों के निर्माण, भूमिगत भंडारण, हेलीपैड, सेना चौकियों में 4-जी कनेक्टिविटी की योजना का ब्योरा दिया.

मणिपुर की स्थिति के बारे में भी बोले. उन्होंने कहा कि वहां तैनात सैनिकों ने संयम का परिचय दिया है और वहां सबसे बड़ी चुनौती है, ग़ायब हुए हथियार.